महाराष्ट्र : कोरोना के कारण टूरिस्टों की आवाजाही बंद, गाइड रोजगार के लिए भटक रहे

लगभग एक साल से पर्यटन स्थल बंद, टूरिस्ट गाइडों के सामने रोज़गार का संकट, कोई दुकान में काम कर रहा, कोई नौकरी ढूंढ रहा

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प्रतीकात्मक फोटो.

मुंबई:

Coronavirus: लगभग एक साल से कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप की वजह से पर्यटन स्थल बंद हैं. पहले जिन स्थलों पर देश-विदेश से लोग घूमने आते थे वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ है. इसका असर इन स्थलों पर काम करने वाले टूरिस्ट गाइडों पर पड़ा है. उनके सामने रोज़गार को लेकर कई सवाल हैं. मार्च 2020 से ही बड़े-बड़े स्मारक बंद हैं और इनके जरिए जिनका घर चलता था, जो भारत की बात देश विदेश तक ले जाते थे वे परेशान हैं. उन्हें नहीं पता कि भविष्य में क्या हालात होंगे और वे इसे लेकर परेशान हैं.

टूरिस्ट गाइड उमेश जाधव कहते हैं कि ''संकोच लग रहा है, हम कहां काम ढूंढने जा रहे हैं, यह बताने संकोच लग रहा है. स्टेटस के साथ जिंदगी जी है, फॉरेन डिग्नेटरीज के साथ जाते थे हम. देश को बताते थे गर्व के साथ और आज वो आदमी जाकर नौकरी ढूंढ रहा है. यह परेशानी कम से कम सरकार को हमारे ऊपर नहीं लाना चाहिए थी. कुछ तो मदद करना चाहिए थी.''

करीब 25 साल से गाइड का काम करने वाले उमेश जाधव भावुक होकर अपने साथ गाइड का काम करने वाले उन सभी लोगों की बात कर रहे हैं, जो पिछले एक साल से परेशान हैं. औरंगाबाद के प्रसिद्ध बीबी का मकबरा में हर रोज़ बड़ी तादाद में पर्यटक घूमने आया करते थे, लेकिन एक साल से सब कुछ बंद है.

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सन 1978 से गाइड का काम करने वाले राम पीताम्बरे हिंदी, मराठी और अंग्रेज़ी के साथ जापानी भाषा भी बोलते हैं और विदेशी पर्यटकों में काफी पसंद किए जाते हैं. 40 साल तक इस व्यवसाय से जुड़े रहने के बाद अब वह बेरोजगार हैं और परिवार वालों पर निर्भर हैं. राम पीताम्बरे ने कहा कि ''अभी पूरा कारोबार ठप है. कहीं से काम मिलने की कोई उम्मीद नहीं है. इसलिए कभी मैं मेरे किसी रिश्तेदार की दुकान में काम करता हूं, कभी मंदिर में.. आखिरी सहारा जो बचा है, मैं मेरे बच्चों के सहारे और मां की पेंशन पर गुज़ारा करने की कोशिश कर रहा हूं.''

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पिछले साल करीब 8 महीने तक सभी पर्यटक स्थल बंद थे और कोरोना के बढ़ते मामलों के वजह से इसे दोबारा खोलने के बाद भी विदेशी पर्यटकों के आने की तादाद ना के बराबर थी. और अब एक बार फिर इसे बंद कर दिया गया है. जर्मन और थाई भाषा बोलने वाले टूरिस्ट गाइड थॉमस बनसोडे को नहीं पता कि आखिर वो क्या करें. थॉमस बनसोडे कहते हैं कि ''टीवी चैनल के साथ ही मैंने बहुत सारे फॉरेन टूरिस्ट को गाइड किया है, और आज ऐसी परिस्थिति है कि एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक दूत होने के बावजूद हमें सरवाइव करने में बहुत तकलीफ हो रहा है. ऐसी हालात में हमें क्या करना चाहिए?''

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पिछले एक साल में सभी क्षेत्रों में लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. ऐसे में नई नौकरी मिलना भी मुश्किल है. कोई खेत में काम कर रहा है तो कोई एक साल से बेरोजगार है. टूरिस्ट गाइड उमेश जाधव ने बताया कि ''सभी लोगों को एक साल से काम नहीं है. एक साल से काम नहीं है तो जो सेविंग थी, फैमिली और फ्रेंड थे उनके सपोर्ट से कुछ समय चला, लेकिन कोई दूसरी नौकरी ढूंढना ज़रूरी था. कुछ लोग खेती में काम करने लगे, कुछ जूस सेंटर में, कुछ दुकानों में और कुछ ऑनलाइन पढ़ाने लगे हैं.''

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टूरिस्ट गाइड राहुल निकम ने कहा कि ''इतने साल से हम यही करते आए हैं. अब नया स्किल सीखना या काम करना मुश्किल हो रहा है.''

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