'सचिन वाजे वसूली कर रहा था और अनिल देशमुख अनजान थे?' शिवसेना ने की अपनी ही सरकार के मंत्री की खिंचाई

सामना के अपने साप्ताहिक कॉलम 'रोख ठोक' में शिवसेना नेता संजय राउत ने सवाल पूछा कि आख़िर एक API लेवल के अधिकारी सचिन वाजे को इतने अधिकार किसने दिए? यही जाँच का विषय है. राउत ने लिखा है, “पुलिस आयुक्त, गृहमंत्री, मंत्रिमंडल के प्रमुख लोगों का दुलारा व विश्वासपात्र रहा वाजे महज एक सहायक पुलिस निरीक्षक था. उसे मुंबई पुलिस का असीमित अधिकार किसके आदेश पर दिया गया?

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शिवसेना के MP और सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने गृहमंत्री अनिल देशमुख पर सवाल उठाए हैं.
मुंबई:

महाराष्ट्र  (Maharashtra) की महाविकास अघाड़ी सरकार (MVA Government) में खींचतान दिखने लगी है. सरकार की अगुवाई कर रही मुख्य पार्टी शिवसेना (Shiv Sena) के मुखपत्र 'सामना' (Saamna) में अपनी ही सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख (Home Minister Anil Deshmukh) की खिंचाई की गई है. आज के सामना के संपादकीय पेज पर 'रोख ठोक' लेख में लिखा गया है कि अनिल देशमुख को गृहमंत्री का पद दुर्घटनावश मिल गया है. इसके अलावा यह भी सवाल उठाए गए हैं कि मुंबई पुलिस आयुक्तालय में बैठकर सचिन वाजे वसूली कर रहा था और गृह मंत्री को इस बारे में जानकारी नहीं होगी?

शिवसेना के राज्यसभा सांसद और सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने अपने संपादकीय में लिखा है, अनिल देशमुख को गृह मंत्री का पद दुर्घटनावश मिल गया. जयंत पाटील, दिलीप वलसे-पाटील ने गृह मंत्री का पद स्वीकार करने से मना कर दिया था. तब यह पद शरद पवार ने देशमुख को सौंपा. इस पद की एक गरिमा व रुतबा है. खौफ भी है. आर.आर. पाटील की गृहमंत्री के रूप में कार्य पद्धति की तुलना आज भी की जाती है. संदिग्ध व्यक्ति के घेरे में रहकर राज्य के गृहमंत्री पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति काम नहीं कर सकता है. पुलिस विभाग पहले ही बदनाम है. उस पर ऐसी बातों से संदेह बढ़ता है."

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राउत ने लिखा है, "श्री अनिल देशमुख ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से बेवजह पंगा लिया. गृहमंत्री को कम-से-कम बोलना चाहिए. बेवजह कैमरे के सामने जाना और जांच का आदेश जारी करना अच्छा नहीं है. ‘सौ सुनार की एक लोहार की' ऐसा बर्ताव गृहमंत्री का होना चाहिए. पुलिस विभाग का नेतृत्व सिर्फ ‘सैल्यूट' लेने के लिए नहीं होता है. वह प्रखर नेतृत्व देने के लिए होता है. प्रखरता ईमानदारी से तैयार होती है, ये भूलने से  कैसे चलेगा?"

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संपादकीय में आगे लिखा गया है, "परमबीर सिंह ने जब आरोप लगाया तब गृह विभाग और सरकार की धज्जियां उड़ीं. परंतु महाराष्ट्र सरकार के बचाव में एक भी महत्वपूर्ण मंत्री तुरंत सामने नहीं आया. चौबीस घंटे गड़बड़ी का माहौल बना रहा. लोगों को परमबीर का आरोप प्रारंभ में सही लगा इसकी वजह सरकार के पास ‘डैमेज कंट्रोल' के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी. एक वसूलीबाज पुलिस अधिकारी का बचाव प्रारंभ में विधान मंडल में किया. उसके बाद परमबीर सिंह के आरोपों का उत्तर देने के लिए कोई तैयार नहीं था और मीडिया पर कुछ समय के लिए विपक्ष ने कब्जा जमा लिया, यह भयंकर था."

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सामना के अपने साप्ताहिक कॉलम 'रोख ठोक' में शिवसेना नेता संजय राउत ने सवाल पूछा कि आख़िर एक API लेवल के अधिकारी सचिन वाजे को इतने अधिकार किसने दिए? यही जाँच का विषय है. राउत ने लिखा है, “पुलिस आयुक्त, गृहमंत्री, मंत्रिमंडल के प्रमुख लोगों का दुलारा व विश्वासपात्र रहा वाजे महज एक सहायक पुलिस निरीक्षक था. उसे मुंबई पुलिस का असीमित अधिकार किसके आदेश पर दिया गया? यह वास्तविक जांच का विषय है. मुंबई पुलिस आयुक्तालय में बैठकर वाजे वसूली कर रहा था और गृहमंत्री को इस बारे में जानकारी नहीं होगी?"

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