मुंबई की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय के आरोप पत्र पर संज्ञान लिया और कहा कि इस बात के प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि मलिक सीधे तौर पर और जानबूझकर कुर्ला में गोवावाला परिसर को हड़पने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश में शामिल थे. कोर्ट ने ये भी कहा कि मलिक के तार दाऊद इब्राहिम गैंग से भी मनी लॉन्ड्रिंग में साजिश रचने में दिखते हैं.
अदालत ने मलिक और 1993 के बम विस्फोट मामले के आरोपी सरदार शाहवाली खान, जिसका नाम भी इस मामले में है, के खिलाफ एक प्रक्रिया जारी की है .
खास बात ये है कि मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले में विशेष न्यायाधीश आरएन रोकाडे ने कहा है कि हसीना पारकर और अन्य की मिलीभगत से आरोपी नवाब मलिक द्वारा हड़पी गई उपरोक्त संपत्ति (गोवाला परिसर), पीएमएलए, 2002 की धारा 2 (1) (यू) के तहत अपराध की आय है और अपराध की आय का उक्त अधिग्रहण अवैध गतिविधियों के जरिए किया गया है.
नवाब मलिक ने अदालत को बताया, सरकारी अस्पताल में उचित इलाज नहीं मिला
अदालत ने कहा कि इस मामले में प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि आरोपी सीधे और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग अपराध में शामिल है, इसलिए, वह पीएमएलए, 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए जिम्मेदार है और धारा 4 के तहत दंड के लिए उत्तरदायी है.
नवाब मलिक का इस्तीफा मांगने को लेकर ठाकरे ने साधा BJP पर निशाना, पीडीपी के साथ गठबंधन की दिलाई याद
अदालत ने ये भी कहा है कि आरोपी के खिलाफ शिकायत में लगाए गए आरोपों और रिकॉर्ड में रखे गए विभिन्न दस्तावेजों से ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार हैं. इसलिए मेरी राय है कि मुकदमे की प्रक्रिया की आवश्यकता है. अदालत ने कहा कि इस मामले में शामिल अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा जारी रखा जाए.