राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में बगावत से शरद पवार ही नहीं, अन्य दल भी हैरान हैं. शरद पवार ने NDTV को बताया कि भतीजे अजित पवार के खेमा बदलने की जानकारी उनको नहीं थी. अजित पवार ने रविवार को सबको चौंकाते हुए महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल होकर एनसीपी में विभाजन कर दिया. इससे बाद 24 साल पहले शरद पवार द्वारा स्थापित पार्टी संकट में पड़ गई है. हालांकि, शरद पवार ने कहा है कि वह सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ जंग जारी रखेंगे और एक बार फिर एनसीपी को खड़ा करेंगे.
अजित पवार ने मई में अलग होने की आखिरी कोशिश की, लेकिन उनके 82 वर्षीय चाचा ने उन्हें मात दे दी. सूत्रों ने बताया कि जैसे ही शरद पवार को अपने भतीजे की योजना की भनक लगी, वैसे ही वह अजितत पवार के नेतृत्व वाले गुट के साथ बैठ गए और कहा कि उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया है. दिग्गज नेता ने अजित पवार से कहा कि उनके इस्तीफे से पार्टी कैडर को यह संदेश जाएगा कि अगली पीढ़ी ने कमान संभाल ली है. अब अगली पीढ़ी का फैसला होगा कि भाजपा के साथ हाथ मिलाना है या नहीं?
सूत्रों ने कहा कि अजित पवार गुट, सीनियर पवार के इस कदम से आश्वस्त था, जिन्होंने 2 मई को इस्तीफा देने के अपने फैसले की घोषणा की थी. हालांकि, शरद पवार के इस कदम के बाद कहानी में नाटकीय दृश्य सामने आए. एनसीपी कार्यकर्ताओं ने शरद पवार के इस्तीफे के विरोध में प्रदर्शन शुरू कर दिया. साथ ही अश्रुपूर्ण अपील शुरू की और राकांपा के शीर्ष नेताओं ने अनुभवी से पार्टी प्रमुख पद पर बने रहने का आग्रह किया.
फिर, अजित पवार और उनके खेमे को स्तब्ध कर देने वाले एक कदम में, शरद पवार ने यू-टर्न लिया और कहा कि उन्होंने पद पर बने रहने का फैसला किया है, क्योंकि वह "जनता की भावनाओं" का अनादर नहीं कर सकते. सूत्रों ने कहा कि अजित पवार समझ गए थे कि उनके चाचा ने उन्हें गच्चा दे दिया, जो देश के राजनीतिक परिदृश्य में अपनी तीखी चालों के लिए जाने जाते हैं.
चाचा से सबक सीखने के बाद, अजित पवार ने फिर कोशिश शुरू की और विधायकों को अपने पाले में करने की कोशिशें फिर से शुरू कर दीं. इनमें से कई उनके चाचा के लंबे समय से सहयोगी थे. सूत्रों ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से अजित पवार खेमा अपना समर्थन हासिल करने के लिए पार्टी के नेताओं तक पहुंचने के लिए लगातार काम कर रहा थे. ये प्रयास रविवार को रंग लाया और सभी ने प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल (शरद पवार के सबसे करीबी सहयोगी) जैसे वरिष्ठ नेताओं को अजित पवार का समर्थन करते हुए देखा.
ऐसा माना जाता है कि प्रफुल्ल पटेल उन लोगों में से हैं, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि शरद पवार को बगावत की योजना का कोई सुराग न मिले. गौरतलब है कि प्रफुल्ल पटेल ने एनडीटीवी को दिये एक इंटरव्यू में कहा था कि पार्टी एक है और शरद पवार उसके नेता हैं.
इस बीच, पिछले महीने शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष नामित किया गया था. इसके तुरंत बाद, अजित पवार ने घोषणा की कि वह महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में पद छोड़ना चाहते हैं. इस बयान को महाराष्ट्र में एनसीपी अध्यक्ष पद के लिए दबाव के तौर पर देखा गया. दो सप्ताह से भी कम समय के बाद, उन्होंने चार साल में तीसरी बार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
हालांकि, मई महीने का कदम अजित पवार का चाचा से अलग होने का पहला प्रयास नहीं था. 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद, मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने भाजपा से अपनी राहें अलग कर ली थीं. जल्दबाजी में बुलाए गए समारोह में देवेन्द्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वहीं, उनके साथ कोई और नहीं, बल्कि अजित पवार थे, जिन्होंने एनसीपी विधायकों के समर्थन का दावा किया था. वह चार दिन से भी कम समय तक इस पद पर रहे थे. एक हफ्ते बाद, अपने चाचा की चतुराई भरी चालों के बाद, अजीत पवार फिर से शपथ ले रहे थे. इस बार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के उपमुख्यमंत्री के रूप में, जिसे शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस का गठबंधन यानी महाविकास आघाड़ी का समर्थन प्राप्त था.
अब उम्मीद की जा रही है कि शरद पवार अपने समर्थकों को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. रविवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बगावत में शामिल लोगों को अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. विश्वास व्यक्त करते हुए कि वह अपनी खोई हुई जमीन वापस पा लेंगे, अनुभवी राजनेता ने अपने लंबे राजनीतिक करियर के उदाहरण दिए जहां उन्होंने संकटों के बाद वापसी की है. महाराष्ट्र के सतारा में शरद पवार का शक्ति प्रदर्शन देखने को मिला. यहां शरद पवार के साथ समर्थकों का हुजूम नजर आया. शरद यावद के साथ पृथ्वीराज चौहान भी मौजद रहे. यहां भतीजे के विद्रोह के बाद शरद पवार ने कहा कि मेरी लड़ाई सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ है. मैं लड़ता रहूंगा और फिर एनसीपी को खड़ा करूंगा.
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