अगर ऐसा हुआ तो एकनाथ शिंदे की सारी 'मेहनत' पर फिर जाएगा पानी, समझें महाराष्ट्र के सियासी संकट का यह समीकरण

महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेटरी डॉक्टर अनंत कलसे के मुताबिक एकनाथ शिंदे गुट के पास राज्यपाल को चिट्ठी लिख सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव देकर विधानसभा में बहुमत साबित करने का मौका है.

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शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे (फाइल फोटो)
मुंबई:

शिवसेना नेता और मंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी से बगावत के बाद महाराष्ट्र में उत्पन्न हुए सियासी संकट का आज पांचवा दिन हैं. बीते पांच दिनों से एकनाथ असम के गुवाहाटी के एक होटल में बागी शिवसेना विधायकों और निर्दलीय विधायकों के गुट साथ डेरा जमाए हुए हैं. दावों का दौर जारी है. एक के बाद एक बयान सामने आ रहे हैं. इधर, महाराष्ट्र में मौजूद सीएम उद्धव ठाकरे और महाविकास अघाड़ी के नेता सरकार को बचाने की कवायद में जुटे हैं. दोनों पक्षों के बीच खींचतान जारी है.

बागी नेता एकनाथ शिंदे ने दलबदल कानून से बचने के लिए शिवसेना के  37 विधायकों की जरूरी संख्या बल तो अपने पास जमा कर ली है. लेकिन अभी अविश्वास प्रस्ताव का पत्र राज्यपाल को नहीं दिया है. इस बीच शिवसेना की तरफ से 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की अर्जी विधानसभा के उपसभापति को दी जा चुकी है. उपसभापति जल्द ही सभी को नोटिस देकर अपनी बात रखने के लिए कहेंगे.

एकनाथ शिंदे की चली जाएगी विधायकी

ऐसे में अगर इनकी सदस्यता बर्खास्त होती है तो एकनाथ शिंदे की खुद की विधायकी चली जाएगी. मतलब सब किए कराए पर पानी फिर जाएगा. लेकिन इसमें अभी वक्त है. साथ ही अगर ऐसा होता है तो सावभाविक है कि एकनाथ शिंदे गुट अदालत जा सकता है. लेकिन उसके पहले अभी एकनाथ शिंदे के पास सबसे अच्छा विकल्प ये मौजूद है कि वो राज्यपाल को अविश्वास प्रस्ताव के लिए चिट्ठी भेज दें. 

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महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेटरी डॉक्टर अनंत कलसे के मुताबिक एकनाथ शिंदे गुट के पास राज्यपाल को चिट्ठी लिख सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव देकर विधानसभा में बहुमत साबित करने का मौका है. लेकिन इसमें भी एक बड़ी अड़चन है. वो ये कि दलबदल कानून के शेड्यूल 10 के मुताबिक एकनाथ शिंदे गुट को उसके लिए भी किसी एक दल में विलय करना होगा.

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सवाल है वो किस पार्टी में विलय करेंगे?

ऐसे में सवाल है वो किस पार्टी में विलय करेंगे? अगर बीजेपी में विलय करते हैं तो उनका अस्तित्व खत्म होने का खतरा है. या फिर उनके साथ गुवाहाटी के होटल में मौजूद विधायक बच्चू कडू की प्रहार जनशक्ति पार्टी में वो विलय करेंगे? गौरतलब है कि प्रहार जनशक्ति पार्टी के दो विधायक हैं और दोनों इस समय एकनाथ शिंदे गुट के साथ हैं. मतलब साफ है दोनों ही हालात में एकनाथ शिंदे का शिवसेना पार्टी और बाला साहब ठाकरे का शिवसैनिक होने का दावा बेमानी साबित होगा. 

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