विपक्षी खेमे में शामिल शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) ने विधानसभा के मॉनसून सत्र की पूर्व संध्या पर महाराष्ट्र सरकार की ओर से रविवार को आयोजित चाय पार्टी का बहिष्कार किया. मॉनसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अन्य कैबिनेट सहयोगियों ने भाग लिया. इनमें राकांपा के नवनियुक्त उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उनके खेमे के मंत्री भी शामिल थे.
इसके पहले दिन में, शिवसेना (यूबीटी) नेता और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने एक बैठक आयोजित की जिसमें कांग्रेस के विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट और राकांपा नेता जयंत पाटिल ने हिस्सा लिया. गौरतलब है कि हाल ही में राकांपा नेता अजित पवार के उपमुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने के बाद से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है. अजित पवार के खेमे के आठ अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली है.
दानवे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने चाय पार्टी में शामिल होने के राज्य सरकार के आमंत्रण का बहिष्कार करने का फैसला किया है क्योंकि यह कई मोर्चों पर लोगों की समस्याओं को हल करने में विफल रही है. संवैधानिक मानदंडों पर इस सरकार की वैधता पहले से ही सवालों के घेरे में है.'' उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि सरकार ने जांच एजेंसियों का ‘दुरुपयोग' करने की नीति अपनाई है ताकि विपक्ष पर दबाव बनाया जा सके कि वे सरकार में शामिल हों या झूठे आरोपों और उत्पीड़न का सामना करें.
राकांपा के विभाजित होने के कारण क्या कांग्रेस विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए दावा करेगी, इस पर थोराट ने कहा, ‘‘कांग्रेस के पास 45 विधायक हैं और हम नेता प्रतिपक्ष पद के लिए दावा कर सकते हैं.''