महाराष्ट्र में लॉकडाउन के समय से ही लोग अधिक शुल्क वाले बिजली बिल आने की शिकायत कर रहे थे जिसके बाद सरकार ने लोगों को राहत देने का ऐलान किया था. लेकिन अब महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार का कहना है कि ग्राहकों को कोई राहत नहीं मिल सकती है, उन्हें बकाया बिल भरना होगा. लोग इससे परेशान हैं.
मुंबई के धारावी इलाके में कपड़ों का व्यवसाय करने वाले मसीउद्दीन अंसारी की फैक्ट्री लॉकडाउन के समय बंद थी, लेकिन फिर भी उन्हें हर महीने हज़ारों रुपयों का बिल बिजली विभाग की ओर से दिया गया. महाराष्ट्र सरकार ने पहले लोगों को आश्वासन देते हुए कहा था कि उन्हें राहत देने के लिए जल्द ही कोई कदम उठाया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. मार्च महीने से अब तक मसीउद्दीन अंसारी का 56 हजार रुपयों का बिल बकाया है. उन्हें नहीं पता कि वे अब बिल का भुगतान कैसे करेंगे. मसीउद्दीन अंसारी ने कहा कि मार्च से बिल बकाया है जो धीरे-धीरे अब 56 हज़ार हो गया है. रीडिंग के हिसाब से अगर बिल दिया जाएगा तो हम भर देंगे, लेकिन अब जब खाने के पैसे नहीं हैं तो यह बिल कैसे भरेंगे.. कारोबार 5 महीने से बंद था.
धारावी की तबस्सुम खातून के पति मजदूरी करते हैं और महीने का 10 से 12 हज़ार रुपये कमाते हैं. घर में एक पंखा और दो ट्यूब लाइट हैं और उनका एक महीने का बिल 13 हजार रुपये आया. उन्हें नहीं समझ आ रहा कि वो इतनी बड़ी रकम कैसे चुकाएंगे. तबस्सुम खातून कहती हैं कि ''हम खाएंगे या पैसे भरेंगे, मजदूर आदमी तो मर ही जाएगा. क्या करें.. मर जाएंगे. जो कमाते हैं, उससे घर में कुछ सब्ज़ी लाते हैं, बाकी पैसा बिजली का बिल भरने में खर्च करते हैं.''
महाराष्ट्र में लॉकडाउन के दौरान बिजली के मीटरों की रीडिंग नहीं ली गई थी और पिछले साल के औसत निकालकर लोगों को बिल भेजा गया था. सभी जगह पर इसका विरोध होने पर सरकार ने राहत देने की बात कही थी. लेकिन अब सरकार का कहना है कि सरकार की ओर से राहत नहीं दी जा सकती और इसके लिए ऊर्जा मंत्री ने केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है. ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने कहा कि जब केंद्र सरकार से पैसों की मांग की तो उन्होंने 10 फीसदी ब्याज मांगा. हमने कहा कि आपको बिना ब्याज पैसे देने चाहिए, केंद्र ने वो किया नहीं.
महाराष्ट्र बीजेपी बिजली बिलों के मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरती नज़र आ रही है.