Covid-19 Pandemic: महाराष्‍ट्र के ज्‍यादातर अस्‍पतालों में बेड फुल, पुणे में वेटिंग एरिया में लगाने पड़े ऑक्‍सीजन बेड..

बीते 5 दिनों से चार हज़ार से ज्‍यादा मामले देख रहे नासिक के प्राइवेट सरकारी अस्पताल में हर तरफ मरीज नजर आ रहे हैं ऐसे में बेड की कमी भी सामने आ रही है.

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महाराष्ट्र के सबसे प्रभावित ज़िले पुणे में आईसीयू-ऑक्‍सीजन बेड फ़ुल हैं
मुंंबई:

Maharashtra Covid-19 case Update: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच महाराष्ट्र के भीतर जो हॉटस्पॉट ज़िले हैं वहां ICU बेड और ऑक्‍सीजन की भारी कमी दिख रही है. पुणे में तो अस्पताल के वेटिंग एरिया में सात ऑक्‍सीजन बेड लगाने पड़े हैं ताकि मरीज़ों को लौटाने के बजाए ऑक्‍सीजन देकर बचाया जाए. मुंबई के 92% आईसीयू, 93% वेंटिलेटर बेड फुल हैं. जीवनरक्षक दवा रेमडेसिविर के लिए फिर लंबी क़तार दिखने लगी है. नासिक जिले में रेमडेसिविर के लिए लंबी कतार लगी. कई जगह स्‍टाक खत्‍म होने से लोग नाराज नजर आए. बीते 5 दिनों से चार हज़ार से ज्‍यादा मामले देख रहे नासिक के प्राइवेट सरकारी अस्पताल में हर तरफ मरीज नजर आ रहे हैं ऐसे में बेड की कमी भी सामने आ रही है. नासिक के पालक मंत्री छगन भुजबल खुद अस्पताल के वार्ड और ऑक्‍सीजन बेड का जायज़ा लेने पहुंचे.

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कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच राज्‍य के स्वास्थ्यमंत्री राजेश टोपे कहते हैं, 'लोग इंतज़ार करके अपनी हालत और बिगाड़ रहे हैं. जो जो लोग अभी ऑक्‍सीजन या आईसीयू पर हैं, इनमें अधिकांश लोगों ने 5-7 दिन का समय ज़ाया किया. समय पर टेस्ट और दवा शुरू नहीं की इसलिए हालत बिगड़ी.'' महाराष्ट्र के सबसे प्रभावित ज़िले पुणे में आईसीयू-ऑक्‍सीजन बेड फ़ुल है इसलिए पिंपरी इलाके के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल (YCM) अस्पताल ने लोगों को लौटाने के बजाए, वेटिंग एरिया में ही 7 ऑक्‍सीजन बेड लगाए हैं.इस पहल से मरीज़ों की जान बच रही है. वाईसीएमएच, पुणे के इंचार्ज डॉ कौस्तुभ कहणे बताते हैं, ''‘ये ट्रायज एरिया है यहाँ मरीज़ आते हैं तो इंतज़ार करते हैं जब तक इन्हें कहीं शिफ़्ट न किया जाए इसलिए हमने उनके लिए यहां ऑक्‍सीजन बेड लगाए हैं, पहले दो थे अब बढ़ाकर 7 कर दिया है और आगे बढ़ाएंगे.'' पुणे ज़िले में सिर्फ़ 79 वेंटिलेटर बचे हैं, वहीं पुणे शहर के आंकड़े कहते हैं कि सिर्फ़ 5 आईसीयू बेड हैं, वेंटिलेटर एक भी नहीं. महाराष्‍ट्र के एक अन्‍य प्रभावित शहर, नागपुर में एक बेड पर दो मरीज़ों के इलाज को अस्पताल मजबूर है, ज़मीन पर काम कर रही संस्था और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि कई ज़िलों में आईसीयू बेड और ऑक्‍सीजन की भारी कमी है. ग्‍लोबल फाउंडेशन के मसीहुद्दीन सिद्दिक़ी कहते हैं, 'औरंगाबाद में गैस सिलिंडर की बहुत दिक़्क़त है, रिफ़ीलिंग के कहां 150 लगते थे अब 350 हो चुके हैं, कई कंडीशन लगाए हैं गैस एजेंसी ने, हज़ारों का डिपॉज़िट फ़ी लेते हैं, बेड की तो इतनी कमी है कि बिगड़ी हालत में ही किसी तरह ऑक्‍सीजन सिलेंडर अरेंज कर अपने घरों में आइसलेट हो रहे हैं.

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रवक्‍ता डॉ अविनाश भोंडवे ने महाराष्‍ट्र में कोरोना के हालात को लेकर कहा, 'मुंबई पुणे, नासिक, औरंगाबाद, नवी मुंबई, नागपुर, कहीं भी आईसीयू के बेड नहीं हैं. सरकारी बेड पूरे भर गए हैं, प्राइवेट में भी कहीं जगह नहीं है. ऑक्‍सीजन की कमी हर जगह महसूस हो रही है.''आर्थिक राजधानी मुंबई में 92% आईसीयू बेड तो 93% वेंटिलेटर बेड भर चुके हैं. कुल मिलाकर हालात चिंताजनक हैं! इस बीच, कोरोना महामारी के चलते दुकानें बंद कराए जाने के विरोध में बोरीवली पूर्व के व्यापारियों ने प्रदर्शन किया. इनकी मांग है कि जब ऑनलाइन शॉपिंग, सब्जी मार्केट, लोकल ट्रेन और बस चालू हैं तो हम पर ही पाबंदी क्यों ? हमारे भी बाल बच्चे वाले है. हमारे यहां काम करने वाले 8 से 10 परिवार इन दुकानों के बल पर ही पलते हैं.

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