एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने NDTV को बताया है कि महाराष्ट्र में कोरोनावायरस म्यूटेशन के कई केस सामने आए हैं. हालांकि, अभी इस म्यूटेशन के व्यवहार को लेकर कोई पूरी तस्वीर नहीं बन सकी है कि यह म्यूटेशन कितना तेज या धीरे फैलता है और कैसे लोगों को संक्रमित करता है. उन्होंन यह भी कहा कि अभी इस म्यूटेशन को 'वायरस का अलग स्ट्रेन कहना जल्दबाजी होगी'.
महाराष्ट्र के डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, डॉक्टर टीपी लहाने ने कहा कि अभी शुरुआती दिन हैं और इस म्यूटेंट वैराइटी की 'अप्रभावकारिता' को समझने के लिए अभी और सीक्वेंसिंग और स्टडी की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक इसके लिए जीन सीक्वेंसिंग कर रहे हैं और इसके नतीजे अगले 10-15 दिनों में सामने आ जाएंगे. इसके लिए विस्तार से अध्ययन करना होगा.
ये म्यूटेशन महाराष्ट्र महाराष्ट्र में सामने आए हैं, जहां- देश में सबसे ज्यादा कोविड के मामले आए हैं और सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं- यहां अब दो महीनों के बाद फिर से मामले तेजी से बढ़े हैं. गुरुवार को महाराष्ट्र में 5,000 केस सामने आए, ऐसा 75 दिनों के बाद हुआ. मुंबई में 700 से ज्यादा केस आए, जिसके बाद BMC ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं.
डॉक्टर लहाने ने NDTV से कहा कि 'मुझे लगता है कि सेफ्टी को लेकर लापरवाही के चलते केस बढ़े हैं, न कि इसलिए कि कोई नया स्ट्रेन है. अभी इसे नया स्ट्रेन कहना जल्दबादी होगी.'
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अमरावती, अकोला और यवतमाल जिले में सीक्वेंसिंग टेस्ट कराए गए हैं. अमरावती के तीन, यवतमाल के तीन और अकोला के दो सैंपल मे म्यूटेशन पाया गया है. ये नतीजे मंगलवार को आए हैं. भारत इस वक्त बाहर से आए कोरोनावायरस के स्ट्रेन से भी लड़ रहा है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने बताया है कि साउथ अफ्रीका का स्ट्रेन चार लोगों और ब्राजील का स्ट्रेन एक में मिला है. देश में फिलहाल यूके स्ट्रेन के 187 केस हैं.
डॉक्टर लहाने ने बताया कि सीक्वेंसिंग टेस्ट के नतीजे मंगलवार को आए, शुरू 15 दिन पहले किए गए थे. उन्होंने NDTV को बताया कि 'सीक्वेंसिंग करने में आठ से 10 दिन लगते हैं और उसमें हमें स्पाइक प्रोटीन के सीक्वेंस में बदलाव दिखे हैं.' क्या यह वेरिएंट यूके स्ट्रेन जैसा ही नहीं है, सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 'आप कह सकते हैं कि कुछ चीजें यूके स्ट्रेन जैसी ही हैं, लेकिन यह असल में यूके स्ट्रेन की वेराइटी वाला नहीं है.' उन्होंने आगे कहा कि 'इन तीन जिलों में जो अलग म्यूटेशन दिखे हैं, वो अलग है. और इसका कैरेक्टर पकड़ने के लिए हमें और सीक्वेंसिंग करने की जरूरत है.'
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को अब इस म्यूटेशन को ऑब्जर्व करना पड़ेगा, इसकी प्रभावकारिता का आकलन करना होगा और अगर यह ज्यादा संक्रामक हुआ तो उसके हिसाब से बचाव के कदम वगैरह तय करने होंगे.