महाराष्‍ट्र में राज्‍यपाल ने की राष्‍ट्रपति शासन की सिफारिश, शिवसेना पहुंची सुप्रीम कोर्ट

महाराष्‍ट्र में राष्‍ट्रपति शासन के लिए राज्‍यपाल की सिफारिश को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. अब इसे मंजूरी के लिए राष्‍ट्रपति के पास भेजी जा रही है. उधर राज्‍यपाल के इस सिफारिश के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है.

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (फाइल फोटो)

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राष्‍ट्रपति शासन के लिए राज्‍यपाल की सिफारिश
केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी
सिफारिश के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई
महाराष्ट्र:

महाराष्‍ट्र में राष्‍ट्रपति शासन के लिए राज्‍यपाल की सिफारिश को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. अब इसे मंजूरी के लिए राष्‍ट्रपति के पास भेजी जा रही है. उधर राज्‍यपाल के इस सिफारिश के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. शिव सेना का कहना है कि राज्‍यपाल ये सब बीजेपी के इशारे पर कर रही है. शिवसेना का कहना है कि राज्‍यपाल ने पार्टी को सिर्फ 24 घंटे का समय दिया. इससे पहले प्रसार भारती ने अपने सूत्रों के हवाले से इस खबर को दिया था कि महाराष्‍ट्र में राष्‍ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी गई है. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री के विदेश दौरे से पहले हुई कैबिनेट बैठक में महाराष्‍ट्र के मुद्दे पर चर्चा हुई और राज्‍यपाल की सिफारिश को मान लिया गया. हालांकि इससे पहले जब एनसीपी नेता नवाब मलिक से सवाल किया गया कि राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश की गई है, तो उनका कहना था कि राजभवन से इसपर खुलासा आ गया है कि ऐसी कोई सिफारिश नहीं की गई है.

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राज्‍य में पिछली सरकार का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्‍त हो गया था. जिसके बाद राज्‍य में चुनी हुई सरकार बन जानी चाहिए थी लेकिन कोई भी राजनीतिक दल या गठबंधन ने सरकार बनाने का बहुमत के साथ अभी तक दावा पेश नहीं किया. राज्‍य के राज्‍यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी सभी दलों के नेताओं से मिले. बीजेपी पहले ही सरकार बनाने को लेकर अपन असमर्थता जता चुकी है थी. इसके बाद शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी (Congress-NCP) के साथ मिलकर सरकार बनाने को तैयार हुई लेकिन बहुमत के साथ दावा पेश नहीं कर पाई.

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इससे पहले दो राज्‍यों क्रमश: महाराष्‍ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए. चुनाव परिणाम आने के साथ यह स्‍पष्‍ट हो गया था कि महाराष्‍ट्र में बीजेपी-शिवसेना की सरकार बनने जा रही है. लेकिन महाराष्‍ट्र में बीजेपी-शिवसेना को बहुमत मिलने के बाद भी सरकार नहीं बन पाई. 

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महाराष्‍ट्र के चुनाव परिणाम आने के बाद शिवसेना ने मुख्‍यमंत्री पद की मांग शुरू कर दी. शिवसेना की ओर से यह बताया गया कि चुनाव से पहले बीजेपी ने ढ़ाई-ढ़ाई साल मुख्‍यमंत्री पर सहमति दी थी लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी अपने वादे से मुकर गई. बीजेपी की ओर से भी बात बनने की उम्‍मीद थी लेकिन यह उम्‍मीद उस समय समाप्‍त हो गया जब बीजेपी की ओर से राज्‍यपाल को यह सूचित किया गया कि बीजेपी सरकार बनाने में असमर्थ है. इधर केंद्र की मोदी सरकार में शामिल शिवसेना का एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने केंद्रीय मंत्री-मंडल से इस्‍तीफा दे दिया और शिवसेना ने एनडीए से हटने की घोषणा कर दी. इसके बाद शिवसेना ने एनसीपी से संपर्क किया और यह संकेत मिला कि वह समर्थन दे सकती है. हालांकि शिवसेना राज्‍यपाल को किसी भी दल का समर्थन पत्र देने में नाकाम रहा लेकिन राज्‍यपाल से और समय दिए जाने की मांग की. राज्‍यपाल ने उनकी मांग को ठुकरा दिया. 

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इस बीच शिवसेना को समर्थन दिए जाने को लेकर कांग्रेस की दिनभर बैठक होते रही लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. सूत्रों के हवाले से यह खबर आई कि कांग्रेस सरकार को बाहर से समर्थन देने को तैयार है लेकिन इसकी घोषणा नहीं की गई. एनसीपी के साथ भी कांग्रेस की बैठक को लेकर खबर आई लेकिन यह स्‍पष्‍ट नहीं हुआ कि ताजा स्‍थ‍िति क्‍या है. अभी एनसीपी विधायकों की बैठक हुई जिसके बाद पार्टी के वरिष्‍ठ नेता नवाब मलिक ने प्रेस से कहा कि सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस से बात करने के लिए पार्टी के वरिष्‍ठ नेता शरद पवार को अधिकृत किया गया है. उन्‍होंने कहा कि आज शाम 5 बजे कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेताओं के साथ मुंबई में ही बातचीत होगी जिसमें आगे की रणनीति बनाई जाएगी. उन्‍होंने कहा कि मेरा स्‍पष्‍ट मत है कि राज्‍य में स्‍थाई सरकार के लिए तीनों दलों को सरकार में शामिल होना होगा. 

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इसी बीच अब यह खबर आ रही है कि राज्‍यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी ने राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन लगाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल को अपनी सिफारिश भेज दी जिसे मंत्रिमंडल ने मान लिया. अब इस सिफारिश को राष्‍ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजी जा रही है. राष्‍ट्रपति से मंजूरी के बाद राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन लागू हो जाएगी.

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