लेटर बम (Letter Bomb) और तबादला घोटाले में घिरी महाविकास आघाड़ी सरकार ने बचाव की मुद्रा से निकलकर अब आक्रामक रवैया अपना लिया है. बुधवार को कैबिनेट मीटिंग के बाद सरकार में शामिल कई मंत्रियों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और चर्चा के बाद तय हुआ कि परमबीर के आरोपों की जांच के लिए राज्य सरकार एक जांच आयोग बनाएगी. रिटायर जज के नेतृत्व में होने वाले इस जांच आयोग की घोषणा आज होने की संभावना है. इसके साथ ही तबादला पोस्टिंग रिकॉर्डिंग मामले पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुख्य सचिव सीताराम कुंटे से रिपोर्ट मंगाई है. कुंटे आज अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप सकते हैं.
महाविकास आघाड़ी से जुड़े एक बड़े नेता के मुताबिक- तब की कमिश्नर ऑफ इंटेलिजेंस रश्मि शुक्ला ने तभी के एसीएस सीताराम कुंटे से आतंक से जुड़ी खुफिया सूचना की तह तक जाने के लिए फोन रिकॉर्डिंग की इजाजत ली थी, लेकिन उसकी आड़ में ये कारनामा किया. रिकॉर्डिंग के बाद जब रिपोर्ट एसीएस के पास गई तो उन्होंने हैरानी जताई और पूछा भी कि आपने इजाजत तो आतंक से जुड़े नेटवर्क के नाम पर ली थी. एनसीपी नेता जितेन्द्र आव्हाड ने कल कैबिनेट मीटिंग के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा था कि तब रश्मि शुक्ला ने मांफी मांगी थी, इसलिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, लेकिन अब बीजेपी को वही रिकॉर्डिंग लिंक कर दिया है.
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बता दें कि मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह ने पत्र लिखकर राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि उन्हें वसूली का टारगेट दिया गया था. इस पत्र के बाद महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आ गया था. विपक्षी दल गृहमंत्री से पद से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार का कहना है कि आरोप गंभीर हैं, लेकिन इस्तीफे का सवाल ही पैदा नहीं होता. सरकार ने कहा कि मामले की जांच की जाएगी. दोषी पाए जाने वाले पर सख्त कार्रवाई होगी.
इसी सियासी भूचाल के बीच बुधवार को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित भाजपा के बड़े नेता राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करने पहुंचे. इन नेताओं में सुधीर मुनगंटीवार, आशीष शेलार, विखे पाटील, जयकुमार रावल, चंद्रकांत पाटिल, मंगल प्रभात लोढ़ा और प्रवीण दरेकर शामिल हैं.
वहीं मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को किसी भी तरह के निर्देश देने से इनकार कर दिया कि मामले की सुनवाई जल्द की जाए. कोर्ट में कहा कि यह हाई कोर्ट तय करेगा.