दसवीं कक्षा में 10 बार हुए फेल फिर भी नहीं मानी हार, 11वें प्रयास में मिली सफलता

कृष्णा के पिता नामदेव मुंडे ने NDTV से कहा, "वह 5 साल में 10 प्रयासों के बाद पास हुआ है. लेकिन मैं फीस जमा करता रहा, क्योंकि मैं उसे हर अवसर देना चाहता था”.

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नई दिल्ली:

कहते हैं कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती. लेकिन कोई कोशिश भी कितनी बार करे? आज हम आपको एक ऐसे लड़के की कहानी बता रहे हैं जिन्होंने दसवीं में दस बार फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी और फिर 11वीं बार में सफलता हासिल की. महाराष्ट्र के बीड जिले में कृष्णा मुंडे नाम का युवक लगातार 10 बार दसवीं की परीक्षा में असफल हो गया. फिर भी उसने हार नहीं मानी. 11वें प्रयास में परीक्षा में पास हो गया. युवक की सफलता से न सिर्फ उसके परिवार वाले बल्कि पूरा गांव ही जश्न मना रहा है. 

युवक के पिता का सपना था कि उसका बेटा दसवीं पास कर जाए. यही कारण था कि लगातार मिल रही असफलता के बाद भी वो लगातार प्रयास करता रहा. परीक्षा के परिणाम आते ही पूरे गांव में जश्न का माहौल है. ढोल बाजे के साथ कंधे पर बिठाकर उसे घुमाया गया.  मंदिर का प्रसाद बंटा. पूरे गांव में पटाखे छोड़े गए. 

बीड में परली तालुका के डाबी गांव के रहने वाले युवक के पिता नामदेव मुंडे पेशे से मजदूर हैं और बड़ी मुश्किल से अपना परिवार पाल रहे हैं. लेकिन उनकी एक ही इच्छा रही कि चाहे जो हो पर उनका बेटा कृष्णा मुंडे 10 वीं कक्षा पास कर ले. बेटे ने भी पिता के सपने को अपना बनाया. दस बार कोशिश की. दसों बार फ़ेल हुआ लेकिन ग्यारहवीं बार में जीत मिली क्योंकि उसने असफलता के सामने घुटने नहीं टेके!

2018 से अब तक दस बार निराशा का सामना करने के बावजूद, कृष्णा ने अपने संकल्प में कभी कमी नहीं आने दी. इस साल, उनके प्रयासों ने रंग दिखाया, जिससे साबित हुआ कि कड़ी मेहनत से कोई भी चुनौती पार की जा सकती है.

कृष्णा के पिता नामदेव मुंडे ने NDTV से कहा, "वह 5 साल में 10 प्रयासों के बाद पास हुआ है. लेकिन मैं फीस जमा करता रहा, क्योंकि मैं उसे हर अवसर देना चाहता था”. जिन्होंने भी बाप-बेटे की मेहनत को देखा, उन्हें पता है कि ये सफलता इनके लिए क्या मायने रखती है. इसलिए पूरा गाँव इनकी ख़ुशी में शामिल हो रहा है.

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