केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे और भारतीय जनता पार्टी (BJP) बीजेपी विधायक नीतेश राणे ने कणकवली कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है, उन पर संतोष परब नाम के व्यक्ति पर जानलेवा हमले का आरोप है. समर्पण करने के बाद अदालत ने नितेश राणे को पहले न्यायायिक हिरासत में भेजा, फिर पुलिस की अर्जी पर 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि नितेश राणे को सुप्रीम कोर्ट का संरक्षण था. ऐसे में पुलिस सीधे गिरफ्तार नही कर सकती थी. लेकिन नितेश राणे ने खुद ही बॉम्बे हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी वापस लेकर कणकवली कोर्ट में समर्पण कर दिया था. इसलिए अदालत ने पहले न्यायिक हिरासत में लिया फिर पुलिस ने जांच के लिए पुलिस हिरासत की मांग कर रिमांड पर ले लिया. यह मामला सिंधुदुर्ग जिला सहकारी बैंक चुनाव के प्रचार के दौरान स्थानीय शिवसेना कार्यकर्ता संतोष परब पर कथित हमले से संबंधित है.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले माह बंबई हाईकोर्ट में दावा किया था कि हत्या के प्रयास के मामले में नीतेश राणे की संलिप्तता साबित करने के लिए उसके पास पर्याप्त सबूत मौजूद हैं. पुलिस ने यह भी कहा कि यह मामला किसी उपहास की घटना के कारण दर्ज नहीं किया गया है .सिंधुदुर्ग जिले की कंकावली पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक सुदीप पासबोला ने राणे की अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त करने का अदालत से अनुरोध किया था. राणे ने पिछले महीने पुलिस द्वारा उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और 34 (साझा इरादा) के तहत दर्ज मामले में अग्रिम जमानत की गुहार लगाई थी.
जब बीजेपी MLA नीतेश राणे ने आदित्य ठाकरे को देखकर निकाली 'म्याऊं' की आवाज..
नीतेश की याचिका का विरोध करते हुए कंकावली पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा था कि यह कहना गलत है कि याचिकाकर्ता को राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है या 23 दिसंबर को विधान भवन के बाहर धरने में किये गये उपहास के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. पासबोला ने दलील दी थी कि अगर मामला राजनीति से प्रेरित होता तो पुलिस 24 दिसंबर, 2021 को ही राणे को उस वक्त गिरफ्तार कर लेती, जब वह पूछताछ के लिए पेश हुए थे. (भाषा से भी इनपुट)