Maharashtra: घर की चौखट में मिला 39 सांपों का डेरा, नजारा देख सहम गए लोग

गोंदिया शहर में एक घर की चौखट में दीमक लगी थी, खुदाई के दौरान सांपों का झुंड देखकर लोगों के होश उड़ गए. सर्पमित्र ने सांपों को सुरक्षित पकड़कर पांगड़ी जंगल में छोड़ा.

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4 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 39 सांपों के बच्चों को सुरक्षित पकड़ा
गोंदिया:

महाराष्‍ट्र के गोंदिया शहर के शास्त्री वार्ड इलाके में स्थित एक घर की चौखट की खुदाई के दौरान एक दो नहीं, बल्कि एक-एक करके 39 सांपों के बच्चों को दनादन बाहर निकलता देख सभी के होश उड़ गए. शाम 5:00 बजे से रात 9:00 बजे के बीच 4 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान भारी मात्रा में घर के चौखट से सांपों को निकलता देखकर घरवाले भय से सिहर उठे. इसके बाद सभी सांपों को सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया गया. 

घर के मालिक राजेश सीताराम शर्मा ने बताया कि मकान तकरीबन 20 साल पुराना है. मुख्य द्वार के लकड़ी की चौखट दीमक लगने से सड़ी हुई थी. शुक्रवार 7 अप्रैल को घर की सफाई के दौरान कामवाली बाई को एक सांप का छोटा बच्चा दिखाई दिया, जिसे सुरक्षित पकड़ कर घर से बाहर निकाला गया. इसी बीच चौखट की दरार में तीन-चार मुंडी दिखाई दीं, जिससे सांपों की संख्या अधिक होने की आशंका जताते हुए मौके पर सर्पमित्र को बुलाया गया. उन्होंने अपने सहयोगी के साथ घर की चौखट और आंगन की टाइल्स को खंगाला तथा 4 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 39 सांपों के बच्चों को सुरक्षित पकड़ कर प्लास्टिक के डिब्बे में डाला, तत्पश्चात उन्हें जंगल में छोड़ दिया. 

सर्पमित्र ने बताया, "पकड़े गए सभी 39 सांप के बच्चे आल्यु किल बेक (तास्या) प्रजाति के हैं. यह सांप जहरीले नहीं होते. अमूमन अंडे से जब बच्चे बाहर निकलते हैं, तो नागिन जगह छोड़ देती है."

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चौखट की दरार में सांप दिखने पर धीरे-धीरे जब चिमटे से उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला गया, तो भीतर से कई सांप निकलने लगे. 4 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला, पकड़े गए 39 सांप के बच्चे  हाथ की हथेली से कुछ बड़े हैं, जिनकी लंबाई 5 से 7 इंच होगी और इन नवजात सांपों का जन्म 1 सप्ताह पूर्व ही हुआ होगा. बहरहाल, इन्हें सुरक्षित डिब्बे में डाला गया और पांगड़ी के एक नेचुरल हैबिटेट जंगल में नाले के पास इन्हें खुले में विचरण हेतु छोड़ दिया गया है.

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दरअसल, शास्त्री वार्ड के इस मकान के आंगन में पुरानी नाली थी, जो काफी समय से इस्‍तेमाल नहीं हो रही थी. जमीन के भीतर घुसी होने से चौखट के अंदर दीमक लगी थी, जिससे सांपों के बच्चों को कीड़े-मकोड़े खाने के लिए आसानी से मिल जाते थे और उन्होंने भोजन के लिहाज़ से चौखट को डेरा बना लिया.

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