कम होते संक्रमण के बीच महाराष्ट्र सरकार की डेथ ऑडिट कमिटी ने तीसरी लहर में कोविड से हुई मौतें के साथ ही रोगियों में वैक्सीन के प्रभाव पर एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें कई अहम जानकरियां वायरस के प्रभाव को समझाती हैं. जनवरी में आई कोविड की तीसरी लहर में भी ‘सांसें' थमीं थी. बीते महीने महाराष्ट्र में 1052 मरीजों की मौत हुई है. महाराष्ट्र सरकार की डेथ ऑडिट कमिटी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कोविड संक्रमण के बाद सांस लेने में दिक्कत की वजह से 44% मौत हुई. हालांकि जिनकी मौत हुई उनमें 62% लोग ऐसे भी थे, जिन्हें कोमोर्बिडीटी यानी दूसरी बीमारियां भी थीं. 58 लोग ऐसे थे जिन्हें शुरुआत में कोरोना का कोई भी लक्षण नहीं था, लेकिन 3 से 4 दिनों में उनकी हालत अचानक गंभीर हो गई. हालांकि, मौतें कोरोना के किस वेरिएंट से हुई डेल्टा या ओमीक्रोन इसका अध्ययन जारी है.
कोरोना से होने वाली मौत का ऑडिट करने के लिए राज्य सरकार ने डेथ ऑडिट कमिटी का गठन किया है. इस कमिटी के विश्लेषण में 8,266 कोविड रोगियों के एक अध्ययन का भी उल्लेख किया गया जिसमें पाया गया कि लगभग 64% मरीज पूरी तरह वैक्सिनेटेड थे और 36% रोगियों का टीकाकरण बिलकुल नहीं या आंशिक रूप से हुआ था. टीके वाले मरीजों में 48% होम आईसोलेशन में ठीक हुए, 16% को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, और मौतें 0.48% रहीं.
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बिना वैक्सीन लिए कोविड मरीजों में 24% का इलाज घर पर हुआ, 12% को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा तो मौतें 2% रहीं. संक्रमित वैक्सिनेटेड मरीजों में 85% ने कोविशील्ड ली थी तो 14% ने कोवैक्सीन लिया हुआ था. कोविशील्ड वैक्सीन लेने वालों की संख्या कोवैक्सीन की तुलना में कहीं ज्यादा है, इसलिए इस वैक्सीन को लेने वालों में संक्रमण का आंकड़ा भी ज्यादा मालूम पड़ता है.
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इधर मुंबई और महाराष्ट्र में लगातार कम हो रहे कोविड मामलों को देखते हुए, केंद्र और राज्य के कोविड टास्क फोर्स से इस बारे में चर्चा भी चल रही है, कि क्या लोगों को जल्द ही मास्क से राहत दी जा सकती है?
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