लखनऊ में महापंचायत, किसान संगठनों के फिलहाल कदम पीछे खींचने के आसार नहीं

सरकार और किसानों के बीच भरोसे की कमी, राकेश टिकैत ने कहा कि अभी सिर्फ एक मांग पूरी हुई, बाकी मांगों पर सरकार किसानों से बात शुरू करे

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लखनऊ में सोमवार को किसान महापंचायत हुई.

लखनऊ:

लखनऊ में हुई किसान महापंचायत में किसानों ने कहा कि खेती के काले क़ानून वापस करना ही काफ़ी नहीं है, जब तक एमएसपी गारंटी क़ानून नहीं बनता और पहले से तैयार किसान विरोधी विधेयक रद्द नहीं किए जाते तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा. लखनऊ की किसान महापंचायत में बड़ी तादाद में किसान जुटे. खेती के नए कानून वापस लेने के प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद यह किसानों की पहली महापंचायत थी.संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल तमाम संगठनों के किसान यहां पहुंचे.पंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांगें हैं कि काला कृषि कानून वापस हो, एमएसपी गारंटी कानून बने, बिजली संशोधन विधेयक वापस हो, बीज विधेयक का ड्राफ्ट रद्द हो, पराली जलाने को अपराध से बाहर करें और दस साल से पुराना ट्रैक्टर चलाने की छूट हो. 

टिकैत ने कहा कि अभी सिर्फ़ एक मांग पूरी हुई है. बाकी मांगों पर सरकार उनसे बात शुरू करे. उन्होंने कहा कि ''जो कुछ कानून या बिल पार्लियामेंट में रखे हुए हैं, यह कभी भी ला सकते हैं उसको. उस पर एक बार और चर्चा कर लो. जैसे सीड बिल है,बिजली,इलेक्ट्रिसिटी बिल है.पॉल्यूशन वाला है, दूध का है..भूमि का है.वे किसानों की जमीनें छीनने का काम कर रहे हैं.''

पीएम मोदी ने भले नए कृषि क़ानून लाने के लिए देश से माफी मांग ली हो, लेकिन बीजेपी नेताओं का एक वर्ग शुरू से ही किसानों को देशद्रोही बताता रहा है..वह अब भी अपनी बात पर क़ायम है. बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि ''तथाकथित किसानों के अपवित्र गठजोड़ में उनके मंच से पाकिस्तान ज़िंदाबाद,खालिस्तान ज़िंदाबाद जैसे अपवित्र नारे लग रहे थे. तो मोदी जी के लिए भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रथम राष्ट्र है. बिल तो बनते रहते हैं, वापस होते रहते हैं, फिर बन जाएंगे, कोई देर नहीं लगती है.'' 

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काशी राम ईको गार्डन में सुबह से रात तक किसानों के आने का सिलसिला चलता रहा. लेकिन तमाम ऐसे हैं जिन्हें सरकार पर भरोसा नहीं. तमाम बड़े बीजेपी नेताओं की इस बयानबाज़ी से भी उनका भरोसा टूटा है. एक किसान नेता ने कहा कि सरकार जब सारे क़ानूनों पर किसानों के साथ बैठकर बात करेगी...समाधान निकलेगा तब यह आंदोलन बंद होगा,वरना चलता रहेगा. 

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यूपी और पंजाब में चुनाव होने हैं. पंजाब के अलावा पश्चिमी यूपी के एक बड़े हिस्से में इन कृषि बिलों को लेकर किसानों में ज़बरदस्त नाराज़गी  रही है. लखीमपुर कांड ने सिख किसानों में और रोष पैदा किया. क़ानून वापसी के ऐलान के बाद अब बीजेपी डैमेज कंट्रोल मोड में है. 

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बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि ''किसान आंदोलन की बात करते हैं. मित्रो बहुत से किसान नेता, किसान नेता के नाम पर जाने गए.लेकिन जो काम किसान के लिए किया, वह मोदी जी के बराबर किसी किसान नेता ने नहीं किया. इस बात को भी हमको समझना चाहिए.'' 

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सरकार और किसानों के बीच एक ज़बरदस्त ट्रस्ट डेफीसिएट है, यानी भरोसे की कमी है. और इसके बहुत सारे कारण हैं.चाहे वह अजय मिश्रा के बयान हों, किसानों की मौत पर कोई शोक संवेदना न व्यक्त करना हो, किसानों को खालिस्तानी,आतंकवादी कहने वाले बहुत सारे लोग हों, जिनकी किसी ने निंदा नहीं की. जब तक यह भरोसे की कमी क़ायम रहेगी, तब तक इस तरह के आंदोलन चलते रहेंगे.

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