महंत नरेंद्र गिरि ने सुसाइड नोट में बताई अपनी अंतिम इच्छा, लिखा- बदनामी से अच्छा है मर जाना

नरेंद्र गिरि ने खत में ये भी लिखा था कि मैंने पहले भी आत्महत्या की कोशिश की थी, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया.एक ऑडियो कैसेट भी आनंद गिरि ने जारी किया था जिससे मेरी बदनामी हुई थी. आज मैं हिम्मत हार गया हूं.

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नरेंद्र गिरि ने सुसाइड नोट में लिखा था- बेहद आहत हूं, मरने जा रहा हूं
नई दिल्ली:

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Narendra Giri Last Wish) की मौत का रहस्य गहराता जा रहा है. इन सबके बीच आज पांच डॉक्टरों की टाम उनका पोस्टमार्टम कर रही है. पोस्टमार्टम के बाद आज दोपहर उन्हें भू समाधि दी जाएगी. महंत नरेंद्र गीरि की मौत के बाद बलबीर गिरि उनके उत्तराधिकारी होंगे. बलबीर गिरि उनके 15 साल पुराने शिष्य हैं और अब तक वो हरिद्वार आश्रम के प्रभारी के रूप में काम कर रहे थे. महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी वसीहत में बलबीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है.  सुसाइड नोट में नरेंद्र गिरि ने अपनी अंतिम इच्छा भी लिखी है. उन्होंने शिष्य बलबीर गिरि को जिम्मेदारी सौंपी है कि पार्क में नींबू के पेड़ के पास मेरी समाधि लगा दी जाए. उन्होंने लैटर में लिखा है कि मेरा मन आनंद गिरी के चलते बहुत विचलित हो गया है.आनंद गिरि मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहा है. आज जब मुझे सूचना मिली है कि हरिद्वार से कंप्यूटर के जरिए वह लड़की या महिला की तस्वीर लगाकर मेरा फोटो वायरल कर देगा.मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, अगर मेरी बदनामी हुई तो मैं कैसे जी पाऊंगा. इससे अच्छा तो मर जाना है. 

नरेंद्र गिरि ने लिखा- पहले भी की थी आत्महत्या की कोशिश

उन्होंने खत में ये भी लिखा था कि मैंने पहले भी आत्महत्या की कोशिश की थी, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया.एक ऑडियो कैसेट भी आनंद गिरि ने जारी किया था जिससे मेरी बदनामी हुई थी. आज मैं हिम्मत हार गया हूं. उन्होंने इस लेटर में ये भी साफ किया कि मैं पूरे होश हवास में बगैर किसी दबाव के खत लिख रहा हूं.  आनंद गिरी ने मुझ पर झूठे और मनगढंत आरोप लगाए हैं. मैं मरने जा रहा हं, सत्य कह रहा हूं कि मैंने एक भी पैसा घर पर नहीं दिया. एक-एक पैसा और मठ में लगाया है.  उन्होंने खत में ये भी लिखा कि आनंद गिरि ने मुझ पर जो आरोप लगाए हैं, उससे मेरी और मठ की काफी बदनामी हुई है. मैं बेहद आहत हूं इसलिए मरने जा रहा हूं.

मठ की संपत्तियों को लेकर हुआ था गुरु-शिष्य में झगड़ा

वहीं आनंद गिरि जिन्हें महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी खुदकुशी के लिए ज़िम्मेदार बताया है, वह कभी उनका इतना प्रिय शिष्य था कि लोग उसे ही उनका उत्तराधिकारी समझते थे. पिछले कुछ वक्त से गुरु शिष्य के रिश्ते खराब थे. झगड़े की वजह बाघम्बरी मठ की सैकड़ों करोड़ की जायदाद बताई जा रही है. आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरि पर मठ की संपत्तियों को बेचने का आरोप लगाया था. अब नरेंद्र गिरी के सुसाइड नोट से वो खुद फंस गए हैं. लेकिन उनके शिष्य उनके समर्थन में अभियान चला रहे हैं.
आनंद गिरि संतों में माने जाते हैं हीरो

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बता दें कि आनंद गिरी संतों के हीरो माने जाते हैं. फेयर,स्लिम,टॉल, लंबे बालों वाले खूबसूरत योग गुरु. नरेंद्र गिरि टीनएजर आनंद को हरिद्वार के किसी आश्रम से लाए थे. वो उनके सबसे प्रिय शिष्य माने जाते थे. हर कोई उन्हें उनकी गद्दी का उत्तराधिकारी समझता था, लेकिन गुरु से झगड़ा हुआ तो उसे धर्म युद्ध कहने लगे. आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरी पर बाघम्बरी मठ की 40 करोड़ की जमीन बेच डालने का आरोप लगाया.  आनंद की तरफ से नरेंद्र गिरि पर ज़्यादातर हमले फेसबुक पे "वी सपोर्ट स्वामी आनंदगिरि" और " फैन्स स्वामी आनंदगिरि " नाम के फेसबुक पेजेज से होते थे. बीच में आनंद गिरि नरेंद्र गिरि को नार्को टेस्ट कराने की भी चुनौती देने लगे. इस पूरे मामले पर आनंद गिरि का कहना है कि मैं सच या झूठ बोल रहा हूं सरकार का सपोर्ट लेकर नार्को टेस्ट मेरा भी कराया जा सकता है. साथ ही अपेक्षा करूंगा कि उधर से भी नार्को टेस्ट हो. अगर वो दोषी पाए जाएं तो उन पर कार्रवाई करने का आप सामर्थ्य रखें.

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