जूस बेचने से लेकर सट्टेबाजी का करोड़ों का साम्राज्य बनाने तक...महादेव ऐप से कैसे चलता था ठगी का ये रैकेट, समझिए

महादेव बेटिंग ऐप मामले की जांच के दौरान ईडी ने कई बड़े खुलासे किए हैं. ईडी को इस जांच के दौरान पता चला कि इस ऐप को देश के कई शहरों से ऑपरेट किया जा रहा था.

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नई दिल्ली:

महादेव बेटिंग एप के मास्टरमाइंड सौरभ चंद्राकर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अगले हफ्तेभर में भारत ला सकती है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सौरभ चंद्राकर यूएई में बैठकर इस पूरे रैकेट को चलाता था. जांच में पता चला है कि सौरभ ब्यूरोक्रेट्स और पॉलिटिशियन का एक नेक्सस तैयार कर महादेव बेटिंग ऐप को भारत में ऑपरेट कर रहा था. सौरभ के साथ उसका साथ रवि उप्पल भी इस ऐप को ऑपरेट करता था. ये दोनों ही महादेव ऐप के प्रमोटर भी थे. इनका नेटवर्क मलेशिया, थाईलैंड, भारत और यूएई के अलग-अलग शहरों तक फैला हुआ था. ये लोग अपने नेटवर्क के जरिए ही अलग-अलग सब्सिडरी ऐप बनाकर ऑनलाइन सट्टा खिलाते थे. ईडी की जांच में पता चला है कि इस ऐप के जरिए हजारों करोड़ रुपये के वारे-न्यारे किए गए हैं. चलिए हम आपको विस्तार से समझाते हैं कि आखिर इस ऐप के जरिए ये पूरा खेल होता कैसे था...

जूस बेचने से लेकर सट्टेबाजी तक का सफर 

ईडी की जांच में पता चला है कि महादेव बेटिंग ऐप का मास्टमाइंड सौरफ चंद्राकर एक समय में जूस बेचने का काम करता था. धीरे-धीरे करके सौरभ चंद्राकर सट्टेबाजी के खेल में घुसा और देखते ही देखते उसने अपने दोस्त रवि के साथ मिलकर महादेव बेटिंग ऐप को ग्लोबल बना दिया. छत्तीसगढ़ समेत देश के कई अलग-अलग राज्यों में महादेव बेटिंग ऐप के करीब 30 कॉल सेंटर थे. इन सभी कॉल सेंटर्स को बकायदा एक चेन बनाकर बेहद शातिर तरीके से चलाया जा रहा था. हिन्दुस्तान में इसे बेटिंग ऐप को ऑपरेट करने की जिम्मेदारी सौरभ और रवि ने अपने ही करीबी दोस्त अनिल दम्मानी और सुनील दम्मानी को दी थी. 

सट्टे के इस खेल का मनी ट्रेल कुछ ऐसा होता था

ये आरोपी सट्टेबाजी से मिलने वाले पैसे को कुछ इस तरह से ठिकाने लगाया जाता था कि उसकी खबर किसी को ना चल सके. ईडी की जांच में पता चला है कि सौरभ और रवि अपने दोस्तों की मदद से KYC के जरिए बड़ी संख्या में बेनामी बैंक एकाउंट खोलते थे.मेन प्रमोटर सौरभ चंद्राकर,रवि उप्पल और पैनल ऑपरेटर(कॉल सेंटर ऑपरेटर) इन सभी की मिली भगत से इस बैटिंग ऐप सिंडिकेट को चलाया जा रहा था.इस सिंडिकेट को चलाने के लिए पुलिस,पॉलीटिशियन और ब्यूरोक्रेट्स को भी हिस्सेदारी दी गई थी. अनिल दम्मानी का रोल इस सिंडिकेट में सिर्फ ऑनलाइन बेटिंग एप को ही चलाना नहीं बल्कि बड़े स्तर पर हवाला के जरिए आने वाले पैसे को बेटिंग एप में इस्तेमाल करने के साथ-साथ पुलिस, पॉलिटिशियन और ब्यूरोक्रेट्स जो इस ऐप से लाभान्वित होते थे उन तक पैसा पहुंचाने का भी था. ताकि उनपर कोई उंगली ना उठा सके.

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क्या है महादेव बेटिंग ऐप?

महादेव बेटिंग ऐप एक ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बनाया गया ऐप है. इस पर साइन इन करने वाले यूजर्स पोकर, चांस गेम्स और कार्ड गेम्स जैसे कई गेम खेल सकते थे. इस ऐप के जरिए क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल जैसे खेलों में सट्टेबाजी भी की जाती थी. 

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किसने की थी इस ऐप की शुरुआत 

इस ऐप की शुरुआत 2019 में सौरभ चंद्राकर ने की थी. सौरभ भिलाई में जूस फैक्ट्री के नाम से एक छोटी सी जूस की दुकान चलाता था. इसी दौरान उसकी मुलाकात रवि उप्पल नाम के एक शख्स से हुई थी. बाद में इन दोनों एक साथ काम करने का फैसला किया. 2017 में ही इन दोनों ने ऑनलाइन सट्टेबाजी के जरिए पैसा कमाने के इरादे से एक वेबसाइट बनाई. 2019 में सौरभ दुबई चला गया और बाद में उसने अपने दोस्त रवि को भी वहा बुला लिया.  रवि के दुबई पहुंचने के बाद ही दोनों मिलकर महादेव बुक ऑनलाइन के नमा से एक बेटिंग वेबसाइट और ऐप तैयार की. अपने इस ऐप को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के दोनों ने सोशल मीडिया मार्केटिंग और इन्फ्लुएंसर का भी सहारा लिया. 

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इस तरह से मशहूर हुआ था ये ऐप

इस ऐप ने अपने तमाम प्रमोशन के जरिए महज कुछ महीने में ही 12 लाख से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ लिया था. ईडी की जांच में पता चला है कि इस ऐप से जुड़ने वाले लोगों में ज्यादातर छत्तीसगढ़ से थे. इस ऐप पर क्रिकेट मैच से लेकर चुनाव के परिणाम तक पर भी सट्टा लगाया जाता था. कहा जाता है कि इस ऐप के कारोबार ने खास तौर पर कोरोना के दौरान और रफ्तार पकड़ी थी. 

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कैसे काम करता था ये नेटवर्क 

ये कंपनी बेहत शातिर तरीके से ऑपरेट करती थी. लोगों को सट्टेबाजी के जरिए पैसे कमाने का लोभ देकर इनके एजेंट और लोगों को अपने साथ जोड़ते थे. कंपनी के साथ जुड़ने के लिए यूजर बताए गए नंबर पर संपर्क करते थे. जिसके बाद इन यूजर्स को व्हाट्सएप के एक प्राइवेट ग्रुप से जोड़ दिया जाता था. इसके बाद उन्हें कुछ वेबसाइट्स पर अपनी आईडी क्रिएट करने के लिए कहा जाता था. 

एक बार आईडी बन जाने के बाद यूजर्स को दो फोन नंबर दिए जाते थे. एक फोन नंबर के माध्यम से ये यूजर्स आईडी में पैसे के साथ प्वाइंट जमा करते थे. जबकि दूसरा नंबर आईडी के प्वाइंट को भुनाने और वेबसाइट से संपर्क करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता था. इसके बाद ये यूजर्स बेनाम खाते में पैसा जमा कराते थे. जीतने के बाद उसी खाते से वह अपना पैसा निकाल भी लेते थे. 

हवाला के जरिए भेजा जाता था कैश

जांच में पता चला है कि हवाला के जरिए मोटा कैश UAE में बैठे प्रमोटर छत्तीसगढ़ में अनिल और सुनील दम्मानी को भेजते थे.उसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस के एक ASI चन्द्र भूषण वर्मा तक ये पैसा पहुंचाया जाता था जिसकी जिम्मेदारी थी कि छत्तीसगढ़ पुलिस में तैनात पुलिस अधिकारी ब्यूरोक्रेट्स और राजनीतिक प्रभाव वाले लोगों तक इस पैसे को बतौर रिश्वत पहुंचाना.यह पैसा रायपुर के सदर बाजार में एक ज्वेलर के यहां हवाला के जरिए भेजा जाता था.पूछताछ में अनिल दम्मानी ने बताया पिछले दो-तीन साल में वह अपने भाई सुनील के साथ मिलकर रवि उप्पल के कहने पर 60 से 65 करोड रुपए का ट्रांजैक्शन हवाला के जरिए कर चुका है. जिसमें से उसे 6 लाख रुपए मिले.अनील दम्मानी ने ये भी बताया कि ये दोनों अपनी ज्वेलरी की शॉप के जरिए हवाला का कारोबार भी चलाते है.

रवि उप्पल के संपर्क में थे दोनों अनिल और सुनील

ईडी की जांच में पता चला है कि सुनील और अनील यूएई में बैठे रवि उप्पल के संपर्क में रहते थे. इसका खुलासा उनकी कॉल डिटेल से हुआ है. इस पूरे खेल में पुलिस का एक एएसआई भी शामिल था. जिसकी पहचान अब चंद्रभूषण वर्मा के रूप में की गई है. वर्मा के संबंध मुख्यमंत्री के पीए विनोद वर्मा से थे. और वह उसी संबध के दम पर महादेव ऑनलाइन बेटिंग एप को ऑपरेट करने के लिए तमाम पुलिस अधिकारी और ब्यूरोक्रेट और पॉलिटिशयन को मैनेज कर रहा था. 

महादेव बेटिंग ऐप का बॉलीवुड कनेक्शन

इसी साल फरवरी महीने में दुबई में महादेव ऑनलाइन गेमिंग एप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर की शादी थी जिसमें चार्टर्ड प्लेन से तकरीबन 17 बॉलीवुड हस्तियों को बुलाया गया था, जहां पर उनका स्टेज परफॉर्मेंस भी था. आरोप है कि इस परफॉर्मेंस के बदले में तमाम कलाकारों को हवाला के जरिए उन्हें परफॉर्मेंस के बदले करोड़ों रुपए दिए गए थे.बॉलीवुड के कई कलाकारों पर महादेव बेटिंग ऐप की सपोर्टिंग एप को प्रमोट करने का भी आरोप लगा है. पुलिस इन तमाम कलाकारों से पूछताछ कर रही है. 

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