उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे आस्था के महापर्व महाकुंभ (Prayagraj Maha Kumbh 2025) का बुधवार को 16वां दिन है. 144 साल बाद हुए इस महाकुंभ में पुण्य कमाने के लिए देश-दुनिया से लोग पहुंच रहे हैं. मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान (Amrit Snan) के दौरान बुधवार तड़के महाकुंभ में बड़ा हादसा हुआ. अचानक मची भगदड़ में कई श्रद्धालुओं की जान चली गई. कई जख्मी भी हुए. संगम घाट पर हुए इस हादसे को एक बुजुर्ग ने अपनी आंखों से देखा. ये अपनी कैंसर पीड़ित पत्नी की जिंदगी की सलामती के लिए प्रयागराज पहुंचे थे. संगम में जिसने भी इस बुजुर्ग दंपति की कहानी सुनीं, वो अपने आंसू नहीं रोक पाया.
कहते हैं 'जब दवा काम न आए, तब दुआ काम कर जाती है'. इसी विश्वास के साथ ये बुजुर्ग दंपति मध्य प्रदेश के मैहर से यूपी के प्रयागराज पहुंचे. मकसद था मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में अमृत स्नान करना और गंगा मैया से अपनी पत्नी की जिंदगी मांगना. बुजुर्ग की पत्नी निर्मला द्विवेदी कैंसर की मरीज हैं. 2 साल से उनका टाटा इंस्टीट्यूट में इलाज चल रहा है. बुजुर्ग पति अपनी पत्नी को व्हीलचेयर पर बिठाकर मंगलवार को संगम तट पहुंचे थे. बुधवार सुबह इन्होंने अमृत स्नान किया. उनकी बस एक ही आस है कि गंगा मैया कृपा करेंगी और उनकी पत्नी कैंसर से जंग जीत जाएंगी.
मेटास्टेटिक कैंसर से पीड़ित हैं निर्मला देवी
निर्मला देवी को मेटास्टेटिक कैंसर है. जब कैंसर मूल ट्यूमर से फैलकर शरीर के दूसरे हिस्सों में पहुंच जाता है, तो इसे मेटास्टेटिक कैंसर कहा जाता है. आसान शब्दों में इसे कैंसर का 4 स्टेज भी कहते हैं. क्या कैंसर की बीमारी और शरीर की कमजोर हालत में व्हील चेयर से इतनी भीड़ में आना जरूरी था? इसके जवाब में निर्मला देवी कहती हैं, "गंगा मैया की इच्छा थी, तो आ गए. हमने मंगलवार को भी स्नान किया. मौनी अमावस्या पर आज अमृत स्नान किया है."
अपनी पत्नी की हालत बताते हुए बुजुर्ग भावुक हो जाते हैं. उन्होंने NDTV को बताया, "पहले इनका गॉल ब्लैडर का ऑपरेशन हो चुका है. इसके बाद कैंसर इनके सिर में आया. सिर के बाद टू लिप्स नोट में कैंसर हुआ."
गंगा मैया जरूर पार लगाएंगी
वह कहते हैं, "अब संगम से मुंबई भी पहुंचना है. गुरुवार को डॉक्टर से अपॉइंटमेंट है. 2 फरवरी को कीमो थेरेपी होनी है. मैंने सोचा कीमो लगने से पहले एकबार इनका गंगा स्नान हो जाए. शायद गंगा मैया हमारी जीवन की नैया पार लगा दे. हमें विश्वास है कि महाकुंभ में गंगा स्नान कर लेंगे, तो कैंसर ठीक हो जाएगा. मुझे पूरा भरोसा है कि मैया पार लगा देगी. हमारे साथ बेटा भी आया है."
पत्नी को आखिरी समय में गंगा स्नान कराने की थी इच्छा
बुजुर्ग कहते हैं, "भगवान का बुलावा हो, तो जाना पड़ेगा. कोई रोक नहीं पाएगा. हमारी शुरू से इच्छा थी कि महाकुंभ में आए. 144 साल बाद ये महाकुंभ पड़ा है. हमें लगा कि अब दोबारा ये महाकुंभ देखने को मिलेगा या नहीं... ये कोई नहीं जानता. मेरी पत्नी अपनी जिंदगी के आखिरी समय में है. डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया है. इसलिए हमने तय किया कि आखिरी समय में इन्हें गंगा स्नान करा दिया जाए."
भीड़ से नहीं लगा डर
क्या इतनी भीड़ में व्हील चेयर से पहुंचने में डर नहीं लगा? इसके जवाब में कैंसर पीड़िता निर्मला देवी कहती हैं, "डर नहीं लगा. बिल्कुल भी नहीं. रात में भगदड़ तो हुई. लेकिन हम जहां थे, वहीं बैठे रह गए. अब चले जाएंगे." उन्होंने बताया, "मैं भगदड़ के दौरान वहीं थी. बहुत भीड़ थी. जाली लगी थी, लोग उसी पर चढ़कर कूदने लगे थे. हम सब जमीन पर बैठे थे. इन्होंने मुझे व्हील चेयर पर बिठाया और वहां से निकाल लाए."
बुजुर्ग ने इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार और महाकुंभ के आयोजकों का शुक्रिया अदा किया है.
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