मजिस्ट्रेट, न्यायाधीश कानून से ऊपर नहीं; कर्तव्य में लापरवाही के नतीजे का सामना करना होगा: अदालत

न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासक को पूर्व सीजेएम के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित रहने के दौरान उन्हें निलंबन में रखने का निर्देश देते हुए कहा, ‘‘यह सभी के लिए सबक होना चाहिए.’’

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केरल उच्च न्यायालय ने एक आरोपी को दोषी करार देने के लिए मुकदमे में कथित रूप से साक्ष्य थोपने के मामले में शुक्रवार को लक्षद्वीप के पूर्व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) को निलंबित करने का आदेश सुनाया. अदालत ने यह भी कहा कि मजिस्ट्रेट, न्यायाधीश और अन्य न्यायिक अधिकारी कानून से ऊपर नहीं हैं और उन्हें कर्तव्य में लापरवाही के मामले में परिणाम भुगतने होंगे.

न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासक को पूर्व सीजेएम के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित रहने के दौरान उन्हें निलंबन में रखने का निर्देश देते हुए कहा, ‘‘यह सभी के लिए सबक होना चाहिए.''

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर इस अदालत का प्रथम दृष्टया निष्कर्ष है कि अतिरिक्त तृतीय प्रतिवादी (पूर्व सीजेएम) ने पीडब्ल्यू 7 (आपराधिक मामले में एक गवाह) के सबूत गढ़कर जालसाजी की. प्रथम दृष्टया, मेरी राय है कि अतिरिक्त तृतीय प्रतिवादी ने गंभीर कदाचार किया और कर्तव्य में लापरवाही की.''

उच्च न्यायालय ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 340 के तहत पूर्व सीजेएम के. चेरियाकोया को नोटिस जारी किया और प्रारंभिक जांच करने के मामले में तत्कालीन पीठ लिपिक पी पी मुथुकोया तथा एलडी लिपिक ए सी पुथुन्नी को भी नोटिस जारी किया. तीनों को 23 जनवरी, 2023 को उच्च न्यायालय में पेश होने का निर्देश दिया गया है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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