मध्य प्रदेश में बाढ़ का कहर जारी है. प्रदेश के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट जैसे विदिशा, रायसेन, सागर में बाढ़ का पानी कम हो रहा है. लेकिन राजस्थान में बांधों से बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद मुरैना, भिंड और श्योपुर के लगभग 100 गांव अब भी बाढ़ से प्रभावित हैं. साथ ही अधिकांश नदियां, खासकर पार्वती और चंबल उफान पर हैं. बाढ़ के कारण 6000 ग्रामीणों को एसडीआरएफ की पांच टीमों ने करीब सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है.
इधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भिंड, मुरैना और श्योपुर का हवाई सर्वेक्षण किया और बाढ़ पीड़ित परिवारों से भी मुलाकात की. विदिशा के अधिकांश गांवों में वे प्रभावित परिवारों से मिलने के लिए वे पहले नाव से गए, फिर पानी कम होने पर घुटने के गहरे पानी उतर कर उनसे मुलाकात की.
बता दें कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के तीन जिलों में एसडीआरएफ की 12 टीमों और एनडीआरएफ की एक टीम को लगाया गया है, ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके. मुख्यमंत्री बुधवार देर शाम हेलीकॉप्टर से मुरैना पहुंचे और वहां से करीब 40 किलोमीटर दूर अंबा के पास कुठियाना गांव पहुंचे. उन्होंने यहां राहत शिविरों में रह रहे लोगों से बातचीत की और आश्वासन दिया कि घबराने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा, "अत्यधिक बारिश और बाढ़ से बनी स्थिति नियंत्रण में है. जैसे ही बाढ़ का पानी उतरता है, 48 घंटे के भीतर सभी प्रभावित गांवों और शहरों में व्यवस्था बहाल की जानी चाहिए. स्वच्छता, पेयजल की बहाली और बिजली की आपूर्ति को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए. राहत और पुनर्वास कार्य भी तुरंत शुरू किया जाना चाहिए. बाढ़ और अत्यधिक बारिश के कारण घरों, घरेलू सामानों, फसलों और मवेशियों के नुकसान का आकलन पारदर्शी तरीके से और संवेदनशीलता के साथ सुनिश्चित किया जाना चाहिए. प्रभावितों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी."
शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर भी राज्य में अत्यधिक वर्षा और इससे उत्पन्न बाढ़ और जल-जमाव की स्थिति के बारे में चर्चा की.
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