मध्य प्रदेश : पोषण ट्रैकर ऐप में तकनीकी खामी, कांग्रेस उठा रही सवाल

महिला बाल विकास विभाग ने कैमरे पर तो प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन बताया कि गफलत राज्य के और केंद्र के ऐप को लेकर है. अगले दो महीने में राज्य के संपर्क ऐप के बजाए पूरी तरह से पोषण ट्रैकर के जरिये ही काम होगा.

Advertisement
Read Time: 25 mins
भोपाल:

केंद्र सरकार ने 2 साल पहले "पोषण ट्रैकर" ऐप लॉन्च किया, मकसद था तकनीक के जरिये कम वजन वाले बच्चों की पहचान और पोषण सेवा को बेहतर बनाना, लेकिन इसी ऐप ने बताया कि मध्य प्रदेश में लाखों बच्चों को नाश्ता और गर्म खाना नहीं मिल रहा है, हज़ारों आंगनबाड़ी केन्द्र खुल ही नहीं रहे हैं. खुद ये रिपोर्ट महिला बाल विकास विभाग ने जारी की, लेकिन 5 दिन बाद इस बारे में सवाल पूछने पर सरकार ने कहा कि मामला वितरण में गड़बड़ी का नहीं, तकनीक में खामी का है.

इस बारे में महिला बाल विकास विभाग ने कैमरे पर तो प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन बताया कि गफलत राज्य के और केंद्र के ऐप को लेकर है. वो रोजाना 28 लाख से ज्यादा बच्चों को नाश्ता, खाना देते हैं. अगले दो महीने में राज्य के संपर्क ऐप के बजाए पूरी तरह से पोषण ट्रैकर के जरिये ही काम होगा. हालांकि 2 अप्रैल को ही महिला एवं बाल विकास संचनालय ने सारे जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी को खत भेजकर कहा था कि आंगनबाड़ियों के खुलने और हितग्राहियों को नाश्ता और गर्म पका भोजन के वितरण में काफी अंतर है.

वर्तमान में 76 प्रतिशत आंगनबाड़ी केंद्र खुलना और मात्र 32 फीसद में ही गर्म पका भोजन दिया जाना दिख रहा है. मध्य प्रदेश सरकार के महिला बाल विकास विभाग ने हर ज़िले से खुद सवाल पूछा कि क्यों राज्य में 97,137 आंगनबाड़ी केंद्रों में 24 प्रतिशत यानी लगभग 25000 रोजाना खुल ही नहीं रहीं. मध्य प्रदेश में पिछले साल पोषण आहार में टेक होम राशन में गड़बड़ी के एनडीटीवी के खुलासे के बाद विधानसभा में खूब हंगामा हुआ था, लेकिन यहां 5 दिन बाद महिला बाल विकास विभाग के सुर बदल गये. बहरहाल, सच की पड़ताल हमने राजधानी भोपाल के ही 8 आंगनबाड़ी केंद्रों में की. 5 में तो हालात ठीक थे, लेकिन 3 सरकारी रिपोर्ट और पोषण ट्रैकर के खुलासे की तस्दीक कर रहे थे.

Advertisement

नये भोपाल के बावड़िया कलां इलाके में आंगनबाड़ी क्रमांक 712 का बस दरवाज़ा खुला था. अंदर कोई नहीं था. 800 मीटर दूर दूसरी आंगनबाड़ी थी. उसमें बच्चे भी मिले. उनसे बात करने की इजाज़त नहीं मिली. सहायिका कहने लगीं यहां सब ठीक है, लेकिन शहर के दूसरे छोर पुराने भोपाल में ऐशबाग के करीब विकास कॉलोनी की आंगनबाड़ी खुली नहीं मिली. पास में रहने वाले गीता साहू और इरफान जैसे अभिभावकों का आरोप है कि वहां कुछ नहीं मिलता. गीता के 4 बच्चे हैं. उनका कहना है कि उनके बच्चों को आंगनबाड़ी में बैठने तक नहीं देते, वहां जाने पर उन्हें भगा देते हैं. दलिया तक नहीं देते.  ये हालात तब हैं जब राज्य ने खुद विधानसभा में माना था कि प्रदेश में शून्य से पांच साल उम्र के 65 लाख दो हजार 723 बच्चे हैं. इनमें से 10 लाख 32 हजार 166 बच्चे कुपोषित हैं. इसमें भी 6.30 लाख अति कुपोषित हैं, एसआरएस के सर्वे के मुताबिक मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर 46 है, जो देश में सबसे ज्यादा है.

Advertisement

बीजेपी कह रही है ये तकनीकी दिक्कत है, कांग्रेस चाहती है सरकार बताए बच्चों को निवाला कौन खा रहा है. बीजेपी प्रवक्ता यशपाल सिसोदिया ने कहा कि नई व्यवस्था है. थोड़ी तकनीकी दिक्कत है, नीचे तक लागू होने में वक्त लग रहा है, कहीं नेटवर्क की समस्या है, तो कहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को ऐप चलाना नहीं आ रहा है.

Advertisement

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा शिवराज सिंह ने खुद कहा था कुपोषण कलंक है. ताजा रिपोर्ट बताती है कि बच्चों को ना नाश्ता मिल रहा है ना भोजन ... इसे कौन डकार रहा है. इस बात का मुख्यमंत्री को खुलासा करना चाहिए. जिम्मेदारी उनकी बनती है, क्योंकि विभाग उनके ही पास है.

Advertisement

ये भी पढ़ें : IAF का मिग-21 क्रैश, घर की छत पर गिरा विमान का मलबा, 3 की मौत

केरल नाव हादसे में 3 बच्चों सहित एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत : रिपोर्ट

Featured Video Of The Day
Modi Cabinet ने One Nation, One Election पर लगाई मुहर, कितना व्यावहारिक फैसला?
Topics mentioned in this article