क्‍या मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों में शिक्षा नहीं, सन्नाटा भरा है? शिक्षकों के 100 में 74 पद खाली 

छिंदवाड़ा की राजा शंकर शाह यूनिवर्सिटी, गुना की क्रांतिवीर टंट्या टोपे यूनिवर्सिटी, खरगोन की क्रांति सूर्य टंट्या भील यूनिवर्सिटी और सागर की रानी अवंतीबाई लोधी यूनिवर्सिटी में छात्रों के लिए कोई फुल-टाइम शिक्षक नहीं है.

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  • मध्यप्रदेश के 17 सरकारी विश्वविद्यालयों में स्वीकृत असिस्टेंट प्रोफेसर के करीब 75 फीसदी पद खाली पड़े हैं.
  • 5 विश्वविद्यालय तो ऐसे हैं, जहां 1 भी असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं है और हजारों छात्र बिना शिक्षकों के पढ़ रहे हैं.
  • लाइब्रेरियन के 582 स्वीकृत पदों में से 346 पद खाली हैं, जिससे विश्वविद्यालय संसाधन संकट से जूझ रहे हैं.
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भोपाल:

मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा की हालत, विश्वविद्यालय हैं लेकिन वहां पढ़ाने वाले नहीं हैं. सरकार ने विधानसभा में खुद कबूल किया है कि प्रदेश की 17 सरकारी यूनिवर्सिटियों में स्वीकृत असिस्टेंट प्रोफेसर पदों का 74 फीसदी हिस्सा खाली पड़ा है. कुल 1069 स्वीकृत पदों में से 793 पद अब तक नहीं भरे गए हैं. ये चौंकाने वाला खुलासा कांग्रेस विधायक संजय उइके के सवाल के जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने किया. 

और भी हैरान करने वाली बात ये है कि पांच विश्वविद्यालयों में कुछ ऐसे भी हैं, जहां एक भी असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं है. छिंदवाड़ा की राजा शंकर शाह यूनिवर्सिटी, गुना की क्रांतिवीर टंट्या टोपे यूनिवर्सिटी, खरगोन की क्रांति सूर्य टंट्या भील यूनिवर्सिटी, छतरपुर की महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी और सागर की रानी अवंतीबाई लोधी यूनिवर्सिटी में छात्रों के लिए कोई फुल-टाइम शिक्षक नहीं है. इन सारे  सारे विश्वविद्यालयों का ऐलान लगभग चुनाव के पहले हुआ था

छात्र हजारों में, शिक्षक नदारद 

इसका मतलब है कि हजारों छात्र ऐसे विश्वविद्यालय में नामांकित हैं जहां पढ़ाने वाला एक भी प्रोफेसर मौजूद नहीं है. मंत्री ने यह भी बताया कि 93 विषय ऐसे हैं जिन्हें पढ़ाने के लिए कोई असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं है. पूरी प्रदेश की 17 यूनिवर्सिटियों में सिर्फ 276 असिस्टेंट प्रोफेसर काम कर रहे हैं यह आंकड़ा अपने आप में संकट की गहराई को उजागर करता है.

लाइब्रेरियन की भी कमी 

सिर्फ प्रोफेसर ही नहीं, लाइब्रेरियन के पदों की स्थिति भी दयनीय है. बीजेपी विधायक डॉ. चिंतामणि मालवीय के सवाल पर सरकार ने बताया कि 582 स्वीकृत लाइब्रेरियन पदों में से केवल 236 पर ही नियुक्ति हुई है, बाकी 346 पद खाली हैं. बीते वर्षों में सरकार ने धूमधाम से कई नए विश्वविद्यालय के उद्घाटन किए, फीते काटे, वादे किए. लेकिन आज वही विश्वविद्यालय बिना शिक्षक, बिना संसाधन और बिना दिशा के चल रही हैं.

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