मध्यप्रदेशः सीएम शिवराज के 'किल कोरोना कैंपेन' का नहीं दिखा असर, गांवों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई

मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण (Corona Madhya Pradesh) के नियंत्रण के लिए 'किल कोरोना कैंपेन' चलाया गया था. लगातार बढ़ते आंकड़ों और मौतों के भयावह मंजर के बीच इस अभियान की हवा निकल गई.

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मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज के किल करोना कैंपेन का नहीं दिखा असर। (फाइल फोटो)
आगर-मालवा, भोपाल:

मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण (Corona Madhya Pradesh) के नियंत्रण के लिए 'किल कोरोना कैंपेन' चलाया गया. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर जाकर कोरोना के संभावित मरीजों की पहचान के साथ उचित इलाज मुहैया कराने का दावा किया था. यह भी कहा था कि जब तक कोरोना खत्म नहीं कर देंगे चैन से नहीं बैठेंगे. कोरोना के लगातार बढ़ते आंकड़ों और मौतों के भयावह मंजर के बीच यह दावा जमीन पर नजर नहीं आता. 

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 225 किलोमीटर दूर आगर मालवा जिले के निपानिया बैजनाथ गांव में राजेश की मां सुगई बाई 8 मई को कोरोना की वजह से चल बसीं. राजेश ने पहले झोलाछाप डॉक्टर पर भरोसा जताया और फिर बाद में सरकारी अस्पताल ले गए. मां की मौत के बाद राजेश के घर पर कोई ना तो सैनिटाइजेशन हुआ ना ही स्वास्थ्य अमले की कोई टीम पहुंची. 

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इसी गांव में थोड़ा आगे फिरोज और रेहाना अपने अम्मी-अब्बू को बस तस्वीरों में ही देख रहे हैं. 1 मई को मुश्ताक खान और 8 मई को इल्लिल्लाह बी की मौत हो गई. मुश्ताक को डायबिटीज भी था. यहां भी कोई सर्वे टीम नहीं पहुंची ना एहतियात बरतने की सलाह दी गई.

कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए राज्य सरकार ने किल कोरोना अभियान चलाया. कहा गया ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ता, एएनएम, एमपीडब्ल्यू घर-घर जाकर बुखार के लक्षण वाले कोरोना के संभावित मरीजों की खोज करेंगी, स्क्रीनिंग की जाएगी, जरूरत पड़ने पर सैंपल भी लिए जाएंगे. ये सारी जानकारी सार्थक ऐप में दर्ज की जाएगी और जरूरत पड़ने पर मरीजों को कोविड केयर सेंटर में भेजा जाएगा.

सरकारी आंकड़ा कहता है जिले में कोरोना से 29 लोगों की मौत हुई लेकिन सरकारी दफ्तर में मृत्यु प्रमाण जारी करने के 613 आवेदन आये हैं. 3000 की आबादी वाले निपानिया बैजनाथ में ही पिछले 1 महीने में 20 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. 

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कई लोग सर्दी बुखार और खांसी जैसे लक्षणों में घर पर ही या झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करा रहे हैं, सरकारी अस्पताल जाने में डरते हैं. जिससे इस तरह खुले खेतों में इलाज की तस्वीरें दिखती है या फिर तंत्र-मंत्र साधना का सहारा लिया जाता है. आगर मालवा में कोरोनावायरस से निपटने के लिए लोगों ने कभी मशाल लेकर दौड़ लगाई तो कभी अभिमंत्रित जल के छिड़काव से कोरोनावायरस से निपटने की कोशिश में लगे रहे. अधिकारी अपनी पीठ थपथपाते रहे.

सरकारी सूत्रों के मुताबिक 8 मई को कोरोना के लगभग 54% मामले गांवों से आये यानी हर जिले में लगभग 5-6 मामले ग्रामीण इलाकों से आये. जबकि 8 अप्रैल को 49% मामले ग्रामीण इलाकों से आ रहे थे और 51% शहर से. मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा चरमराया था, कोरोना ने बस और परतें उधेड़ दी हैं. महामारी से निपटने के लिए डॉक्टरों के खाली पड़े पदों की पूर्ति के साथ ही नैतिक व्यवहार में बदलाव और संसाधनों की कमी को दूर करने की भी जरूरत है, तभी किल कोरोना जैसे अभियान जमीन पर असर दिखा पाएंगे.

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