मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में पिछले दिनों राम भक्तों की रैलियों पर हुए पथराव (Stone-pelting) की घटनाओं के बाद अब शिवराज सिंह की सरकार (Shivraj Singh Chouhan Government) सख़्त हुई है, पत्थरबाजों के ख़िलाफ़ सख़्त क़ानून बनाने जा रही है. राज्य में पत्थरबाजों से संपत्ति के नुकसान की वसूली के लिये कानून का मसौदा तैयार हो गया है, अगर दोषी मुआवजा नहीं भरता तो उसकी संपत्ति नीलाम करके पीड़ित को पैसा दिया जाएगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अनुमति के बाद इसे कैबिनेट में रखा जाएगा. गौरतलब है कि दिसंबर में उज्जैन में राम मंदिर में चंदे के लिये जनजागरण रैली पर पथराव हुआ, सांवेर में भी जनजागरण रैली पर पथराव के आरोप लगे. इन घटनाओं के बाद मुख्यमंत्री ने सख्ती दिखाई है और पत्थरबाजों के खिलाफ कानून की बात कही है.
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गृह विभाग ने यूपी, महाराष्ट्र और कर्नाटक के अधिनियम पढ़े और मसौदा तैयार कर लिया है. यह तय हुआ है कि पत्थरबाजों से नुक़सान की भरपाई की जाएगी और जो पैसा नहीं देंगा उसकी संपत्ति कुर्क कर दी जाएगी. महिला और बच्चों को आगे करके पत्थरबाजी करने के मामले में सख्त कार्रवाई होगी. पत्थरबाजी के लिए उकसाने वालों से भी वसूली होगी.
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नुकसान का आकलन अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी के हाथों में होगी. नुकसान की भरपाई के लिये पीड़ित नहीं, प्रशासन आवेदन देगा. नुकसान की भरपाई के लिए दावा अधिकरण आदेश देगा. 3 महीने में प्रक्रिया पूरी करने का प्रावधान होगा. प्रदर्शन में शामिल सभी लोगों पर एक समान जिम्मेदारी तय होगी, नुकसान की राशि समय पर नहीं देने की स्थिति में ब्याज भी वसूला जाएगा. CM शिवराज सिंह चौहान ने कहा अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई राजधर्म है, इस तरह के मामले कहीं भी पत्थर बरसा दो ये कानून व्यवस्था का साधारण उल्लंघन नहीं है, इसलिये असाधारण क़ानून की जरूरत है.
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दूसरी ओर, इस क़ानून के प्रस्ताव पर विपक्षी पार्टी, कांग्रेस ने ऐतराज जताया है, पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कहा अब पत्थरबाजी के लिए कानून बना रहे हैं, छुरीबाज, बंदूकबाज सबके लिए कानून हैं लेकिन सरकार केवल ध्यान भटकाने के लिये कर रहे हैं, विकास के काम कर नहीं पा रहे हैं, इन सब बातों को पूरी ताकत से हम विधानसभा में उठाएंगे और लड़ेंगे. लेकिन गृह विभाग का कहना है कि प्रीवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रापर्टी अधिनियम 1984 में लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर पांच साल तक की सजा का प्रावधान है, आईपीसी में भी दंगा और हिंसात्मक गतिविधियों पर कार्रवाई का उल्लेख है लेकिन पत्थरबाजी शामिल नहीं है, नुकसान की भी भरपाई का जिक्र नहीं है इसलिये इस कानून की ज़रूरत है. माना जा रहा है कि विधानसभा के 22 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में विधेयक को पेश किया जा सकता है.