कोरोना महामारी के बीच देश के अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड और दवाओं की कमी किसी से छुपी नहीं है. स्वास्थ्य अमले के बिगड़ते हालत को दिखाने के लिए यह तस्वीर काफी है कि स्वास्थ्य सुविधाओं/ढांचे के ठप पड़ने के बीच लोग किस तरह खुद ही व्यवस्था करके मरीज को अस्पतालों तक पंहुचाने लगे है. ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में देखने को मिला जब एक महिला मरीज की तबियत बिगड़ी तो आननफानन में परिजनों ने एम्बुलेंस के लिए कॉल किया. लेकिन एम्बुलेंस आने में देर हो रही थी, ऐसे में परिजनों ने पास ही में खड़े ठेले (cart) को एम्बुलेंस बना लिया और ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर मरीज को अस्पताल पहुंचाया.
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इस तस्वीर को रास्ते मे जिसने भी देखा वो मानो थम सा गया, सरकार के फेल होते सिस्टम की पोल खोलता ये वीडियो इस बात को बयां करता है कि सरकार आम आदमी को कितनी सुविधाएं दे पा रही है और कितनी नहीं. हालांकि सांस लेने में तकलीफ़हो रही महिला की जान, परिवार के सदस्यों ने सूझबूझ से जुगाड़ करते हुए सही समय पर अस्पताल पहुंचा कर बचा ली. महिला को अभी भी अस्पताल में ऑक्सीजन लग रही है
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पड़ोसी कल्लू और पति इब्राहिम ने दिखाई हिम्मत तो बची जान
इब्राहिम ने बताया, 'मेरी पत्नी पत्नी छोटी बी (30 वर्षीय) को दमे की शिकायत है. उसे तेजी से सांस चलने लगी और सांसे अटकने लगी तो बाइक से इलाज के लिए उज्जैन लाया गया. यहां सबसे पहले उसे विराट नगर अपने रिश्तेदार के यहां परिजन लेकर गए. जब तबीयत ज्यादा खराब होने लगी तो हम सब घबरा गए, एम्बुलेंस को कॉल किया लेकिन एम्बुलेंस वाले ने मना कर दिया. इसके बाद क्षेत्र में पास में ही रहने वाले कल्लू ने ठेला गाड़ी को 50 रुपये किराए पर लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर का जुगाड़ करते हुए ठेले को एम्बुलेंस का रूप दे दिया. महिला को ठेले से अस्पताल ले जाते हुए रास्ते भर ऑक्सीजन दी गई और फिर उसे शहर के निजी अस्पताल ले जाकर आननफानन में भर्ती किया. अस्पताल में छोटीबी को ऑक्सीजन लग रही है और उनकी हालत स्थिर बनी हुई है. इब्राहिम की मानें तो थोड़ी देर हो जाती कुछ भी हो सकता था.
जानकारी के अनुसार महिला के पति इब्राहिम, जो केवल 8वीं तक ही पढ़े हैं, ने सही निर्णय लेकर साहस दिखाते हुए पत्नी को समय रहते अस्पताल पहुंचाया. इब्राहिम ने बताया कि अभी भी ऑक्सीजन की कमी हो रही है. ऑक्सीजन शहर में मिल नहीं रही है, ऐसे में बड़ी दुविधा यही है की कल तो जैसे तैसे जान बचा ली. आगे क्या करंगे, हम नहीं जानते..