मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जुलाई में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं. इस बीच लोगों पर चुनावी बुखार चढ़ने लगा है. साथ ही राज्य में धीरे-धीरे राजनीतिक उत्साह भी बढ़ने लगा है. चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों ने नेतागिरी की वेश-भूषा अपनाना शुरू कर दिया है. इस लिहाज से सर्वोत्कृष्ट राजनीतिक पोशाक 'कुर्ता पायजामा' की मांग में इंदौर के बाजार में बढ़ गई है. स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शहर के प्रसिद्ध दर्जी की दुकानों पर कतार लगाना शुरू कर दिया है.
इंदौर के एक पुराने और प्रसिद्ध दर्जी के अनुसार, खादी और लिनन कुर्ता पजामा राजनीतिक नेताओं के बीच पसंदीदा विकल्प है. राजनीतिक फैशन पर हावी खादी आरामदायक होने के साथ-साथ, हल्के बनावट और नरम होने के अनुभव के कारण राजनेताओं के बीच सबसे पसंदीदा विकल्प बनी हुई है.
पोशाक के रंग के बारे में बात करते हुए दर्जी ने कहा कि पार्टियां एक विशेष रंग चुनते समय अपनी राजनीतिक विचारधाराओं को दर्शाती हैं. उदाहरण के लिए, कांग्रेस के नेता क्लासिक सफेद पसंद करते हैं, जबकि भगवा पार्टी भाजपा के नेता रंगीन कुर्ता पजामा पसंद करते हैं.
"140 साल पुरानी" सिलाई की दुकान चलाने वाले नयन मकवाना ने कहा कि चूंकि नगरपालिका चुनाव नजदीक है, इसलिए कई उम्मीदवारों ने कुर्ता और पायजामा के 10 से 15 जोड़े ऑर्डर करना शुरू कर दिए हैं. मकवाना ने कहा, "कांग्रेस नेता सफेद रंग पसंद करते हैं, जबकि भाजपा नेता रंगीन कुर्ता और पजामा पसंद करते हैं. हमारे बड़े ग्राहकों में, हिमाचल के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, कैलाश विजयवर्गीय और कई स्थानीय नेता हमारे स्थान पर कपड़े सिलवाते हैं." .
उन्होंने कहा, "ज्यादातर नेता खादी को ही पसंद करते हैं." दूसरे कपड़ा व्यापारी संतोष खत्री ने एएनआई को बताया, कपड़ा बाजार में नेताओं के लिए खादी की कई किस्मों के पर्याप्त भंडार हैं. खत्री ने कहा, "रंगीन खादी के कपड़े की बहुत मांग है, जो तंग और पतला रहता है. चुनाव के मद्देनजर सफेद लिनेन की भी मांग है. राजनेता लिनेन पसंद करते हैं."
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एक दशक पुराने स्टोर पाकीजा के मैनेजर इमरान खान ने बताया, "जिस दुकान से वे कपड़ा लेते हैं, ज्यादातर लोग वहीं मौजूद दर्जी से सिलाई भी करवाते हैं." उन्होंने कहा कि नगर निगम पंचायत चुनाव को देखते हुए ही नेताओं की खादी की मांग बढ़ी है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा सूती कपड़ों में राजा साहब नाम के कपड़े की कई किस्मों की भी मांग है. भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओं के ऑर्डर मिलने शुरू हो गए हैं.
राज्य चुनाव आयुक्त बीपी सिंह ने घोषणा की कि मध्य प्रदेश में तीन चरणों में 25 जून, 1 जुलाई और 8 जुलाई को पंचायत चुनाव होंगे और मतों की गिनती 8, 11, 14 और 15 जुलाई को होगी. राज्य के 52 जिलों में 22,921 ग्राम पंचायतों में सरपंच के 22,921 पदों, कुल 3,63,726 पंचायत सदस्यों, 313 पंचायतों के 6771 सदस्यों और जिला पंचायत सदस्यों के 875 पदों के लिए चुनाव होंगे.
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