भगवान राम एकात्मक शक्ति हैं, अयोध्या का राम मंदिर आदर्श बदलाव लाएगा : JNU वाइस चांसलर

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने कहा - राम मंदिर का निर्माण भारत के सभ्यतागत इतिहास के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए महत्वपूर्ण है.

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री डी पंडित (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने भगवान राम को एकजुट करने वाली शक्ति करार देते हुए कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारत के सभ्यतागत इतिहास के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए महत्वपूर्ण है और यह देश में एक आदर्श बदलाव लाएगा. डॉ पंडित ने ऐसा माहौल बनाने की भी वकालत की, जहां किसी को भी किसी अन्य के मत/मजहब का अपमान नहीं करना चाहिए.

उनकी यह टिप्पणी उस घटना के कुछ हफ्ते बाद आई है, जिसमें विश्वविद्यालय परिसर की दीवारों पर बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण से संबंधित भित्तिचित्र बनाए गए थे और नारे लिखे गए थे.

उन्होंने ‘पीटीआई वीडियो सेवा' के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि विश्वविद्यालय इस घटना के बाद धार्मिक ‘असहिष्णुता' की घटनाओं से बचने के लिए परिसर में सुरक्षा उपाय बढ़ाने को लेकर कदम उठा रहा है.

अयोध्या में रामलला के ‘प्राण-प्रतिष्ठा' समारोह के बारे में उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण देश में एक आदर्श बदलाव लाएगा और अगर किसी को अपने देश के साथ एकात्म होना है तो ये प्रतीक (भगवान राम) ही हैं, जो लोगों को एकजुट कर पाएंगे.''?

उन्होंने कहा, 'राम मेरे लिए एकात्मकता के प्रतीक हैं. राम पूरे देश के लिए एकात्मकता के प्रतीक हैं. राम मंदिर का निर्माण भारत के सभ्यतागत इतिहास के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए महत्वपूर्ण है.' उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि यह एक आदर्श बदलाव है. अगर मुझे अपनी विविधता के बावजूद अपने देश के साथ एकात्म महसूस करना है, तो ये प्रतीक (राम) ही हैं जो हमें एक साथ लाएंगे.''

पिछले साल दिसंबर में जेएनयू के ‘स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज' की दीवार पर बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण से संबंधित भित्तिचित्र बनाए जाने की घटना सामने आने के बाद विवाद खड़ा हो गया था. भित्तिचित्र के बारे में उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन परिसर की टूटी हुई दीवारों की मरम्मत के लिए केंद्र के साथ बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा कि इन टूटी दीवारों वाले स्थानों से बाहरी लोग अक्सर विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करते हैं और संभव है उन्होंने ध्यान आकर्षित करने के लिए ऐसी बातें लिखी हों.

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डॉ पंडित ने कहा, ‘‘हमारी समस्या यह है कि हमारे पास परिसर में पर्याप्त कैमरे नहीं हैं. तो आप अपराधी को कैसे पकड़ेंगे? दूसरे, हमारे पास सुरक्षाकर्मी हैं, लेकिन वे प्रवेश द्वार पर होते हैं तथा कई लोग टूटी दीवारों वाले स्थान से परिसर में प्रवेश करते हैं. इसलिए हम यह नहीं जानते कि इसे वास्तव में किसने लिखा है- क्या वह कोई अंदरूनी व्यक्ति है या बाहरी व्यक्ति.''

परिसर की दीवारों पर भित्तिचित्र बनाए जाने की कई घटनाएं हुई हैं. कुलपति ने कहा, ‘‘किसी भी विश्वविद्यालय में ऐसे विक्षिप्त तत्व हो सकते हैं, जो लोगों का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं और मुझे लगता है कि इस प्रकार की चरम विचारधारा या कट्टरता, या दूसरे के प्रति असहिष्णुता को खत्म करने का एकमात्र तरीका ऐसा माहौल बनाने का है, जहां कोई भी एक-दूसरे के मत/मजहब का अपमान न करे.''

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उन्होंने कहा कि प्रशासन का लक्ष्य विश्वविद्यालय में एक ऐसा महौल बनाना है, जहां हर कोई दूसरों की आस्था को ठेस पहुंचाए बिना या अपमान किए बिना जिम्मेदार तरीके से स्वतंत्र रूप से अपनी बात रख सके. उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था चौकस करने के प्रयास के तहत जेएनयू प्रशासन वर्तमान में परिसर के उन स्थानों की पहचान कर रहा है, जहां सीसीटीवी कैमरे लगाए जा सकें.

जेएनयू में अप्रैल 2022 में रामनवमी उत्सव के दौरान कथित तौर पर कावेरी छात्रावास में मांसाहार परोसने को लेकर दो छात्र समूहों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. झड़प के दौरान कुछ छात्रों को चोटें भी आई थीं.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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