महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार उठा रहे हैं विपक्ष के चुनाव की जिम्मेदारी, इस रणनीति के सहारे हैं कांग्रेस

महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के लिए उद्धव ठाकरे राज्य के हर हिस्से में चुनाव प्रचार कर रहे हैं. बड़ी पार्टी होने के बाद भी कांग्रेस लोकसभा चुनाव प्रचार में पीछे है, जबकि उद्धव ठाकरे और शरद पवार प्रचार की जिम्मेदारी उठा रहे हैं.

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नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में पांच चरणों में लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024)कराए जा रहे हैं. 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को दो चरणों का मतदान हो चुका है. बाकी बचे तीन चरणों का चुनाव प्रचार (lok sabha election campaign)जोर-शोर से चल रहा है.महाराष्ट्र की लड़ाई दो गठबंधनों की लड़ाई है. एक तरफ भाजपा (BJP), शिवसेना (ShivSena)और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का महायुति है तो दूसरी ओर कांग्रेस,शिवसेना (यूबीटी) (ShivSena-UBT)और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) (NCP)का गठबंधन है.विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) के प्रचार की कमान शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख तौर पर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray)ने संभाल रखी है. 

महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के लिए उद्धव ठाकरे राज्य के हर हिस्से में चुनाव प्रचार कर रहे हैं. बड़ी पार्टी होने के बाद भी कांग्रेस लोकसभा चुनाव प्रचार में पीछे है, जबकि उद्धव ठाकरे और शरद पवार प्रचार की जिम्मेदारी उठा रहे हैं. 

पीएम नरेंद्र मोदी के भरोसे है एनडीए

सत्ताधारी गठबंधन महायुति के प्रचार का दारोमदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कंधे पर है.बाकी के बचे चरणों के लिए 20 मई तक उद्धव ठाकरे की कम से कम 30 रैलियां होनी प्रस्तावित हैं.पहले चरण के चुनाव को छोड़ उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी के सभी घटकों के उम्मीदवारों के लिए जमकर चुनाव प्रचार किया.इस दौरान वो महाराष्ट्र के गौरव की अपील कर रहे हैं.इसके अलावा वो केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हैं. उद्धव का ठाकरे का चुनाव प्रचार लोगों की भीड़ खींच रहा. इससे एमवीए के उम्मीदवारों के प्रचार अभियान को गति मिल रही है. 

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शिवसेना की राजनीति भावनाओं को भुनाती है.कोरोना महामारी के दौरान की गई व्यवस्थाओं की वजह से उद्धव ठाकरे की एक अलग छवि गढ़ी गई है.एकनाथ शिंदे की बगावत से हुए शिवसेना में विभाजन के बाद उद्धव ठाकरे और सहानभूति बटोरने की कोशिश कर रहे हैं. वो महाराष्ट्र गौरव के मुद्दे पर वोट बटोरने की कोशिश कर रहे हैं. उनकी इस रणनीति से लोग प्रभावित भी हो रहे हैं. 

वहीं सत्ताधारी एनडीए गठबंधन ने इस चुनाव में देशभर में 400 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. भाजपा नरेंद्र मोदी की गारंटियों और राष्ट्रवाद के सहारे चुनाव मैदान में हैं. उसे शिवसेना और एनसीपी में हुए विभाजन पर भी भरोसा है. 

विपक्षी महाविकास अघाड़ी का चुनाव प्रचार

शिवसेना और एनसीपी के इतर कांग्रेस स्थानीय मुद्दों के ईर्द-गिर्द अपना प्रचार अभियान चला रही है. पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने राज्य का दौरा किया है,लेकिन उनकी रैलियां बहुत सीमित रही हैं. राहुल ने राज्य में अब तक केवल तीन रैलियां की हैं. वहीं प्रियंका गांधी की अबतक एक रैली हुई है.खरगे ने अब तक केवल नागपुर में ही एक रैली की है. प्रियंका का अगले हफ्ते जलाना में रैली का कार्यक्रम है.कांग्रेस की योजना हर चरण में राहुल की एक-दो रैलियां कराने की है. 

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खरगे, राहुल और प्रियंका के अलावा कांग्रेस अपने क्षेत्रीय नेताओं को भी प्रचार में उतारा है.पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण चुनाव अभियान समिति के प्रमुख हैं तो बाला साहब थोराट उत्तर महाराष्ट्र का जिम्मा उठा रहे हैं. 

इस तरह कांग्रेस चुनाव को स्थानीय मुद्दों पर ले जा रही है. इससे सत्ता विरोधी लहर पैदा होने की संभावना है, वहीं  शिवसेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे और एनसीपी के शरद पवार चुनाल प्रचार के दौरान भाजपा और नरेंद्र सरकार की नाकामियों को निशाना बनाते हैं. महाविकास अघाड़ी की इस रणनीति के फायदे के बारे में जानने के लिए हमें चार जून तक इंतजार करना होगा.
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