बसपा (BSP) प्रमुख मायावती (Mayawati) ने मंगलवार को पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी आकाश आनंद (Akash Anand) को उनके पद से हटा दिया.इससे पहले सोमवार को बसपा ने जौनपुर में अपना उम्मीदवार बदल दिया था.उसने श्रीकला रेड्डी का टिकट काटकर श्याम सिंह यादव को उम्मीदवार बना दिया था.बसपा के इन कदमों से सपा (Samajwadi Party) प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भड़क गए.उन्होंने मायावती पर भाजपा (BJP) की मदद करने का आरोप लगाया.
क्या कहा है अखिलेश यादव ने?
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स'पर लिखा,''बसपा ने अपने संगठन में बड़े बदलाव का जो भी कदम उठाया है वो उनकी पार्टी का आंतरिक विषय है. दरअसल इसके पीछे असली कारण ये है कि बसपा की एक भी सीट आती हुई नहीं दिख रही है, क्योंकि बसपा के अधिकांश परंपरागत समर्थक भी इस बार संविधान और आरक्षण को बचाने के लिए इंडिया गठबंधन को ही वोट दे रहे हैं.इस बात को बसपा अपने संगठन की विफलता के रूप में ले रही है.इसीलिए उनका शीर्ष नेतृत्व संगठन में इतना बड़ा फेरबदल कर रहा है, लेकिन अब बाजी बसपा के हाथ से निकल चुकी है.''
उन्होंने लिखा,''सच तो ये है कि जब बसपा का प्रभाव क्षेत्र होते हुए भी पिछले तीन चरणों में उनकी एक भी सीट नहीं आ रही है तो फिर बाकी के चार चरणों में तो कोई संभावना बचती ही नहीं है.ऐसे में हम सभी वोटरों से अपील करते हैं कि आप अपना वोट खराब न करें और जो बाबासाहब भीमराव आंबेडकर जी के संविधान को बचाने के लिए सामने से लड़ रहे हैं, इंडिया गठबंधन के उन प्रत्याशियों को वोट देकर जिताएं और संविधान के संग,आरक्षण भी बचाएं.''
अखिलेश यादव ने लिखा,'' इसलिए आग्रह है कि संविधान,आरक्षण और अपना मान-सम्मान बचाना है तो अपना वोट सपा को दें या जहां इंडिया गठबंधन का प्रत्याशी हो वहां डालकर संविधान और आरक्षण विरोधी भाजपा को हराएं.''
बसपा की टिकट बंटवारे की रणनीति
सपा प्रमुख मायावती के फैसलों पर ऐसे ही हमला नहीं बोल रहे हैं. दरअसल बसपा उत्तर प्रदेश की दो दर्जन से अधिक सीटों पर विपक्षी इंडिया गठबंधन का समीकरण बिगाड़ रही है.इसी वजह से अखिलेश बहुजन समाज के लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे बसपा की साजिश को समझें.
उत्तर प्रदेश में मुस्लिम और यादव को सपा का वोट बैंक माना जाता है. लेकिन सपा ने केवल पांच मुसलमानों को टिकट दिया है. सपा की सहयोगी कांग्रेस ने केवल दो मुस्लिमों को ही टिकट दिए हैं. वहीं उसने जिन पांच यादव उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, वे सभी अखिलेश यादव के परिवार के सदस्य हैं. वहीं अखिलेश यादव के उलट मायावती ने 22 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं और छह यादवों को टिकट दिया है.
बसपा ने कन्नौज में अखिलेश यादव के खिलाफ भी एक मुसलमान इमरान बिन जफर को खड़ा कर दिया है. वहीं आजमगढ़ में बसपा ने पहले अपने प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन सपा ने जब वहां से धर्मेंद्र यादव को टिकट दिया तो लेकिन धर्मेंद्र यादव का नाम सामने आते ही बसपा ने अपना उम्मीदवार बदलते हुए मशूद अहमद को मैदान में उतार दिया. वहीं आजगढ़ से हटाए गए भीम राजभर को सलेमपुर में सपा के रमाशंकर राजभर के खिलाफ खड़ा कर दिया है.
अखिलेश यादव ने बसपा पर क्या आरोप लगाए हैं?
इससे पहले तक अखिलेश बसपा प्रमुख पर निशाना साधने से परहेज करते थे. लेकिन टिकट बंटवारे को लेकर अखिलेश ने कन्नौज में कहा कि टिकट में बदलाव से साफ जाहिर है कि बसपा भाजपा को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है.
मायावती के टिकट बंटवारे से अखिलेश यादव को अब नुकसान की चिंता सता रही है.माना जाता है कि मुसलमान और यादव सपा को ही अधिक वोट करते हैं, लेकिन सपा ने मुसलमानों और यादवों को टिकट ही कम दिए हैं. ऐसे में बसपा दोनों को लुभाने की कोशिश कर रही है. बसपा और सपा अपने लक्ष्य में कितना कामयाब हो पाते हैं, इसका पता तो चार जून को ही चलेगा.
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