Explainer: शिवहर में 'डॉन' की बीवी को चुनौती दे रही है पूर्व मुखिया, यह कैंडिडेट बढ़ा रहा है दोनों की टेंशन

इस बार शिवहर के मैदान में दो महिलाएं आमने सामने हैं. जदयू उम्मीदवार लवली आनंद माफिया डॉन की छवि रखने वाले आनंद मोहन सिंह की पत्नी हैं.वहीं आरजेडी की रितु जायसवाल एक पूर्व मुखिया हैं. बीजेपी इस सीट पर 2009 से जीत रही थी. लेकिन इस बार समझौते में यह सीट जदयू को मिली है.

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शिवहर में बीजेपी 2009 से जीत रही थी.
नई दिल्ली:

माफिया छवि वाले आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) 27 अप्रैल 2023 को जेल से रिहा हुए थे.वो आईएएस अधिकारी और गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया (G Krishnaiah) की हत्या के दोष में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे. उनकी रिहाई नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार की ओर से जेल मैनुअल में किए गए बदलाव के बाद संभव हुई.जेल से रिहा होने के बाद आनंद मोहन सिंह राजनीति में सक्रिय हो गए थे.वो जदयू (JDU) के समर्थन में नजर आने लगे. जब लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई तो जदयू ने उनकी पत्नी लवली आनंद (Lovely Anand) को शिवहर (Seohar Lok Sabha Seat) से उम्मीदवार बनाया.वहां उनका मुकाबला आरजेडी (RJD) की रितु जायसवाल (Ritu Jaiswal)से है.शिवहर में 25 मई को मतदान होना है.

बीजेपी की परंपरागत सीट

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवहर से बीजेपी की रमा देवी ने जीत दर्ज की थी.वो 2009 से शिवहर से जीत रही थीं. इस बार समझौते के तहत बीजेपी ने अपनी सीट जदयू को दे दी है.शिवहर में रमा देवी को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा था.शिवहर सीट को बनिया बहुल माना जाता है.अनुमान के मुताबिक शिवहर में करीब एक चौथाई बनिया समुदाय के हैं. इसे ध्यान में रखते हुए आरजेडी ने शिवहर से बनिया समुदाय की रितु जायसवाल को उम्मीदवार बनाया है. 

आनंद मोहन और लवली आनंद वाम दलों को छोड़कर अब तक करीब सभी दलों में रह चुके हैं.शिवहर में लवली आनंद को बाहरी उम्मीदवार होने के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. इसके जवाब में वो मतदाताओं को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि आनंद मोहन ने शिवहर से 1996 और 1998 का लोकसभा का चुनाव जीता था. लवली आनंद ने शिहर से 2009 और 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा था.लेकिन उन्हें जीत नसीब नहीं हुई.वहीं 2004 में उनके पति आनंद मोहन ने भी शिवहर से चुनाव लड़ा था. उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था.लवली आनंद 1994 में वैशाली से लोकसभा के लिए चुनी गई थीं.उनके बेटे चेतन आनंद 2020 में शिवहर विधानसभा सीट से आरजेडी के टिकट पर जीते हैं. 

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शिवहर में दो बार हार चुकी हैं लवली आनंद

साल 2014 के चुनाव में लवली आनंद ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव ल़ड़ा था. वो 46008 वो पाकर चौथे स्थान पर रही थीं.वहीं 2009 का चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा.वो  81 हजार 479 वोट पाने में कामयाब हुई थीं. उनके पति आनंद मोहन ने 2004 में शिवहर से अपनी पार्टी बिहार पीपुल्स पार्टी के टिकट पर किस्मत आजमाई थी, लेकिन 84 हजार 418 वोट के साथ उन्हें तीसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा था.

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लवली आनंद पिछले दो चुनाव शिवहर से हार चुकी हैं.

अगर पिछले चार चुनावों की बात करें तो शिवहर में दूसरे स्थान पर मुस्लिम उम्मीदवार रहे हैं. साल 2004 में बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे मोहम्मद अनवारुल हक दो लाख 29 हजार 360 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. वहीं उस चुनाव में आरजेडी ने सीताराम सिंह को मैदान में उतारा था. वो चुनाव जीतने में सफल रहे थे. वहीं 2009 के चुनाव में मोहम्मद अनवारुल हक बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे. लेकिन इस बार भी उन्हें एक लाख सात हजार 815 वोटों के साथ दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा.उन्हें बीजेपी की रमा देवी ने हराया. 

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साल 2014 के चुनाव में आरजेडी ने मोहम्मद अनवारुल हक को उम्मीदवार बनाया. लेकिन इस बार भी उन्हें दो लाख 36 हजार 267 वोटों के साथ दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था. साल 2019 के चुनाव में आरजेडी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया. उसने सैयद फैसल अली को उम्मीदवार बनाया. लेकिन उन्हें दो लाख 68 हजार 318 वोटों के साथ दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा.

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क्या आरजेडी की जीत दिला पाएगी हिंदू उम्मीदवार

इन चार चुनावों से सबक लेते हुए आरजेडी ने इस बार शिवहर में हिंदू उम्मीदवार उतारा है.मुसलमान उम्मीदवार होने की वजह से वोटों का ध्रुवीकरण हो जा रहा था. इसका फायदा बीजेपी को मिल रहा था. आरजेडी ने जब 2004 में सीट जीती थी, तो उसका उम्मीदवार हिंदू था. इसी को ध्यान में रखते हुए आरजेडी ने शिवहर में हिंदू उम्मीदवार दिया है. उसे उम्मीद है कि मुसलमान-यादव के अलावा उसे वैश्य मतदाताओं का भी समर्थन मिलेगा. आरजेडी ने इस बार माई (MY) और बाप (BAAP) का फार्मूला दिया है. माई मतलब मुसलमान-यादव और बाप का मतलब बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी और पुअर है. 

शिवहर सीतामढ़ी की रहने वाली हैं.

वैसे अगर देखें तो शिवहर के दोनों प्रमुख उम्मीदवार बाहरी ही हैं. लवली आनंद सहरसा की रहने वाली हैं.वहीं आरजेडी उम्मीदवार रितु जायसवाल शिवहर के पड़ोसी जिसे सीतामढ़ी की रहने वाली हैं. यहां खास बात यह है कि सीतामढ़ी जिले की दो विधानसभा सीटें बेलसंड और रीगा शिवहर लोकसभा सीट के तहत आती हैं. इसी आधार पर रितु जायसवाल खुद को बाहरी नहीं मानती हैं.रितु सीतामढ़ी जिले के सिंहवाहिनी पंचातय की मुखिया रह चुकी हैं. आरजेडी ने उन्हें 2020 के विधानसभा चुनाव में सीतामढ़ी की परिहार विधानसभा सीट से टिकट दिया था. लेकिन वो मात्र डेढ़ हजार के अंतर से यह चुनाव हार गई थीं.

एआईएमआईएम का उम्मीदवार बढ़ा रहा है टेंशन

शिवहर की लड़ाई यही पर खत्म नहीं होती है.शिवहर में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने एक हिंदू को उम्मीदवार बनाया है. एआईएमआईएम के उम्मीदवार राणा रंजीत सिंह राजपूत जाति के हैं. वो सिर पर टोपी और माथे पर टीका लगाकर नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे. रंजीत सिंह के भाई रणधीर सिंह शिवहर में ही आने वाली मधुवन विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक हैं.ऐसे में एआईएमआईएम का उम्मीदवार जदयू और आरजेडी दोनों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. शिवहर में राजपूत वोट करीब दो लाख है. एआईएमआईएम उम्मीदवार उसमें सेंधमारी कर सकता है. वहीं इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार हमेशा दूसरे नंबर पर रहा है. ऐसे में अगर एआईएमआईएम मुस्लिम वोटों में बंटवारा करने में सफल रहती है तो उसका खमियाजा आरजेडी को उठाना पड़ सकता है.

नामांकन दाखिल करता एआईएमआईएम उम्मीदवार.

शिवहर लोकसभा सीट तीन जिलों में फैली है. इसमें पूर्वी चंपारण की मधुबन, चिरैया और ढाका विधानसभा सीट आती है. वहीं शिवहर की एकमात्र सीट शिवहर है. वहीं सीतामढी की रीगा और बेलसंड विधानसभा सीट शिवहर में आती है. इनमें से चार पर बीजेपी और दो पर आरजेडी का कब्जा है. लेकिन आरजेडी के चेतन आनंद बागी हो चुके हैं.

अब यह चार जून को पता चल पाएगा कि शिवहर की जनता का वोट लवली आनंद को मिलता है या रितु जायसवाल को.

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