लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने बिहार विधानसभा के स्थापना दिवस के अवसर पर गुरुवार को पटना में बिहार विधानसभा और बिहार विधान परिषद के सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया, और बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में बिहार विधानमंडल के 300 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया. राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव और कई अन्य विशिष्टजन इस अवसर पर उपस्थित थे.
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बिरला ने कहा कि संसद और विधानमंडलों को प्रभावी बनाने के लिए यह आवश्यक है कि जनप्रतिनिधि जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों और विधायी माध्यमों से उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में कार्य करें. ओम बिरला ने सदन की गरिमा और मर्यादा को बनाए रखने पर जोर देते हुए कहा कि लोकतंत्र में सदन की शुचिता उसके सदस्यों के आचरण से जुड़ी होती है. इसलिए इसकी शुचिता बनाए रखना सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है. लोकसभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि सदन वाद-विवाद और संवाद के लिए है ना कि व्यवधान के लिए. विधानमंडलों के सदनों के वेल में नारेबाजी और पट्टियों के प्रयोग पर रोष व्यक्त करते हुए बिरला ने कहा कि अब उपयुक्त समय आ गया है, जब सभी विधानमंडल और राजनीतिक दल सामूहिक रूप से इस प्रवर्ति पर अंकुश लगाने पर विचार करें.
ओम बिरला ने लोकसभा के डिजिटल संसद ऐप का उल्लेख करते हुए, सभी राज्यों के विधानमंडलों का आह्वान किया कि इस दिशा में काम करें. उन्होंने यह भी बताया कि लोकसभा एक मिशन मोड में इस दिशा में कार्यरत है जिससे सभी विधानमंडलों की जानकारी एक प्लेटफार्म पर लायी जा सके. यह टिप्पणी करते हुए कि जनप्रतिनिधियों को नैतिक आचरण के उच्चतम मानदंडों का पालन करना चाहिए, बिरला ने कहा कि जनप्रतिनिधि को अपना हर काम ईमानदारी और पारदर्शिता से करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि सदस्यों को अपने सार्वजनिक और निजी जीवन में सदाचार के उच्चतम मानदंडों का पालन करना चाहिए. उनका आचरण ऐसा होना चाहिए जिससे सदन की प्रतिष्ठा बढ़े, समाज को प्रेरणा मिले और दूसरों के लिए वे एक उदाहरण बने.
विधायकों की भूमिकाओं और दायित्वों के बारे में बोलते हुए ओम बिरला ने कहा कि जनता और सरकार के बीच एक सेतु के रूप में, सदस्यों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी लोगों की समस्याओं का समाधान करना है. उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोकतंत्र में लोगों की आस्था बढ़े, उनकी आशाएं और आकांक्षाएं पूरी हों और जनकल्याणकारी कार्यक्रमों के लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचें ताकि समाज में सकारात्मक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन हो सके. लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो हमें अपने देश और अपने लोकतंत्र को मजबूत करने के प्रति स्वयं को पुनःसमर्पित करना चाहिए.
हाल ही में संपन्न हुए सत्रहवीं लोकसभा के आठवें सत्र में 121 प्रतिशत उत्पादकता का जिक्र करते हुए बिरला ने राज्य विधानमंडलों में उत्पादकता सम्बन्धी प्रतिस्पर्धा शुरू करने पर बल दिया. उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि सत्रों के दौरान बैठकों की घटती अवधि पर सभी हितधारक गौर करें जिससे लोगों की भावनाओं को उचित प्रकार से प्रतिबिंबित किया जा सके. ओम बिरला ने बिहार विधानसभा डिजिटल टीवी और बिहार विधानसभा पत्रिका का भी शुभारंभ किया. उन्होंने बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी स्मृति स्तंभ की प्रतिकृति का अनावरण भी किया और परिसर में एक बोधि वृक्ष लगाया. लोकसभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (PRIDE) तथा बिहार विधानसभा सचिवालय के समन्वय से बिहार विधानसभा और बिहार विधानपरिषद के सदस्यों के लिए इस प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.