बिहार में पिछला लोकसभा चुनाव परिणाम दोहरा पाएगा NDA? सामने ये हैं चुनौतियां

लोकसभा चुनाव 2019 में 'मोदी की सुनामी' में भाजपा, CM नीतीश कुमार की JDU और दिवंगत राम विलास पासवान की LJP को संयुक्त रूप से 39 सीट पर जीत मिली थी.

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पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए का मत प्रतिशत 53 से अधिक था. (फाइल)
पटना:

बिहार (Bihar) में पांच वर्ष पहले विपक्ष को करारी शिकस्त देने वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) इस लोकसभा चुनाव में सभी 40 सीट पर जीत हासिल करने की उम्मीद कर रहा है. हालांकि इनमें से लगभग एक-चौथाई सीट ऐसी हैं, जो राजग के लिए चिंता का सबब बन सकती हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में 'मोदी की सुनामी' में भाजपा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और दिवंगत राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को संयुक्त रूप से 39 सीट पर जीत मिली थी. राज्य में राजग का मत प्रतिशत 53 से अधिक था, जो विपक्षी 'महागठबंधन' को मिले मतों से लगभग 20 प्रतिशत ज्यादा था. 

हालांकि राजग को मिली प्रचंड जीत के बीच कुछ सीट ऐसी थीं, जहां भाजपा को इस बार परेशानी हो सकती है. पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की कम से कम छह सीट पर जीत का अंतर एक लाख मतों से कम था और इनमें से चार सीट गंगा के दक्षिणी क्षेत्र में हैं. 

इनमें से एक लोकसभा सीट जहानाबाद है, जहां जद (यू) के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे, लेकिन जीत का अंतर मात्र 1,751 मतों का था. जहानाबाद सीट पर उपविजेता रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता सुरेंद्र प्रसाद यादव ने पूर्व में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. 

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इस बार राजद ने एक समय अपनी कट्टर प्रतिद्वंद्वी रही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के साथ गठबंधन किया है. दोनों दलों ने विधानसभा चुनावों में जहानाबाद और आसपास के क्षेत्रों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था.

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यह क्षेत्र कुछ दशक पहले तक धुर-वामपंथी कार्यकर्ताओं और जमींदारों की निजी सेना के बीच खूनी संघर्ष के लिए सुर्खियों में रहता था. 

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जहानाबाद से कौनसा दल लड़ेगा चुनाव? मंथन जारी 

विधानसभा चुनाव 2020 में राजद-भाकपा (माले) गठबंधन ने जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी सीट पर जीत हासिल की थी. 

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लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजग और 'महागठबंधन' दोनों ही माथापच्ची में जुटे हैं और यह तय करने की कोशिश कर रहे हैं कि इस बार किस पार्टी को यह सीट दी जाए और किसे उम्मीदवार बनाया जाए. 

इस बार पटना साहिब से सटे पाटलिपुत्र में भी कड़ा मुकाबला देखे जाने की उम्मीद है हालांकि ज्यादातर शहरी आबादी भाजपा समर्थक मानी जाती है. 

विधानसभा चुनाव में 'महागठबंधन' का पलड़ा रहा था भारी 

विधानसभा चुनावों में औरंगाबाद और काराकाट लोकसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाली सीट पर भी 'महागठबंधन' ने एकतरफा जीत हासिल की थी. राजग 2009 से इन दोनों लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करती आ रही है. 

लोकसभा चुनाव 2019 में दक्षिण बिहार की दो अन्य सीट, जिन पर भाजपा ने आसान जीत दर्ज की थी उनमें आरा और सासाराम क्षेत्र शामिल हैं लेकिन 2020 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन मतदाताओं को प्रभावित करने में सफल रहा था. आरा से मौजूदा सांसद केंद्रीय मंत्री आर के सिंह हैं. सासाराम (सुरक्षित) निर्वाचन क्षेत्र को कभी पूर्व उप-प्रधानमंत्री जगजीवन राम का गढ़ माना जाता था. 

किशनगंज में झेलनी पड़ी थी हार, इन सीटों पर भी चुनौती  

राजग को गंगा के उत्तरी क्षेत्र में किशनगंज लोकसभा सीट पर अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में राजग गठबंधन को इसी सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. 

राजग को कटिहार, छपरा, सीवान और महाराजगंज लोकसभा सीट पर भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जहां विधानसभा चुनावों में गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया था. 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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