लोकसभा चुनाव 2024: क्या पूर्वांचल का गढ़ बचा पाएगी बीजेपी, ऐसा है सपा-कांग्रेस और बसपा का हाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पूर्वांचल का ही प्रतिनिधित्व करते हैं.पूर्वांचल की इन 21 सीटों में से आठ सीटों पर छठे चरण में मतदान हो चुका है.बाकी बचीं 13 सीटों पर सातवें और अंतिम चरण में 1 जून का मतदान कराया जाएगा.

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नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 21 सीटें पूर्वी उत्तर प्रदेश में आती हैं. इस इलाके को पूर्वांचल के नाम से जाना जाता है. इस इलाके को बीजेपी का गढ़ माना जाता है.साल 2019 में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने यहां की 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी.वहीं चार सीटें बसपा और एक सीट सपा के खाते में आई थी.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पूर्वांचल का ही प्रतिनिधित्व करते हैं.पूर्वांचल की इन 21 सीटों में से आठ सीटों पर छठे चरण में मतदान हो चुका है.बाकी बचीं 13 सीटों पर सातवें और अंतिम चरण में 1 जून का मतदान कराया जाएगा.आइए देखते हैं कि 2024 के चुनाव में इन सीटों का गणित कैसा है. कौन है लड़ाई में और कौन है लड़ाई से बाहर.

उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी ने 2019 का चुनाव बसपा के साथ मिलकर लड़ा था. सपा-बसपा के  गठबंधन ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बसपा ने जो 10 सीटें जीती थीं, उनमें से चार सीटें उसे पूर्वांचल में ही मिली थीं.वहीं सपा ने एकमात्र सीट जो जीती थी, वो आजमगढ़ सीट पूर्वांचल में ही आती है.हालांकि उपचुनाव में उसे इस सीट पर हार मिली थी. इस बार के चुनाव में सपा ने कांग्रेस से हाथ मिलाया है. 

पूर्वांचल में सपा और बसपा का सपना

पूर्वांचल की 11 सीटें ऐसी हैं,जिस पर कभी न तो सपा जीत पाई और न कभी बसपा. महाराजगंज,गोरखपुर, कुशीनगर, बांसगांव, वाराणसी और बलिया सीट बसपा के लिए अभी भी सपना बनी हुई हैं.वहीं बस्ती, संतकबीर नगर, कुशीनगर, वाराणसी और भदोही में सपा को कभी जीत नहीं मिली है. 

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साल 2024 के चुनाव में बसपा पूर्वांचल की इन सभी सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ रही है. वहीं सपा ने समझौते में बांसगांव, महराजगंज, वाराणसी और देवरिया सीट कांग्रेस को दी है. सपा ने अपने कोटे की भदोही सीट तृणमूल कांग्रेस को दी है. भदोही में तृणमूल के टिकट पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेशपति त्रिपाठी मैदान में है. बाकी की सीटों पर सपा ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं.पूर्वांचल की जिन सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है उनमें से बांसगांव, महराजगंज और देवरिया में उसके उम्मीदवार चुनौती पेश कर रहे हैं.बांसगांव में कांग्रेस उम्मीदवार सदल प्रसाद 2019 में बसपा के टिकट पर मैदान में थे और दूसरे स्थान पर रहे थे. इस बार वो कांग्रेस के टिकट पर मैदान में है. वहीं महाराजगंज में कांग्रेस ने अपने विधायक वीरेंद्र चौधरी को मैदान में उतरा है.देवरिया में कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश सिंह सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में बीजेपी को चुनौती दे रहे हैं.  

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पूर्वांचल में बसपा का जनाधार

बसपा ने 2019 में पूर्वांचल में जिन चार सीटों पर जीत दर्ज की थी, उनमें से दो सांसद उसका साथ छोड़ चुके हैं.ऐसे में उसने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं.बसपा ने केवल जौनपुर में ही अपने सांसद श्याम सिंह यादव पर फिर भरोसा जताया है.हालांकि बसपा ने पहले उनका भी टिकट काटकर बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को दे दिया था. बाद में यादव को टिकट दिया. वहीं गाजीपुर में उसकी टिकट पर जीते अफजाल अंसारी इस बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. मुख्तार अंसारी की मौत के बाद गाजीपुर में यह पहला चुनाव है.ऐसे में मुख्तार की मौत से पैदा हुई सहानुभूति का लाभ लेने की कोशिश अफजाल कर रहे हैं. 

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मिर्जापुर में चुनाव प्रचार करतीं बसपा प्रमुख मायावती.

गोरखपुर और वाराणसी, बीजेपी के अभेद्य किले

पूर्वांचल में दो सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी अपनी जीत को लेकर सबसे अधिक आश्वस्त रहती है, ये हैं वाराणसी और गोरखपुर. वाराणसी में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दो चुनाव से जीतते आ रहे हैं. इस बार भी वहां चर्चा केवल उनके जीत के अंतर को लेकर है.वहां कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पीएम मोदी को चुनौती दे रहे हैं.

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वाराणसी के संकट मोचन मंदिर में पूजा-अर्चना करते पीएम नरेंद्र मोदी.

गोरखपुर को बीजेपी का परंपरागत सीट माना जाता है. इस सीट पर बीजेपी 1989 से जीतती आ रही है. वो केवल 2018 का उपचुनाव ही गोरखपुर में हारी है.इस हार के बाद बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया था. साल 2019 में बीजेपी के टिकट पर फिल्म अभिनेता रविकिशन जीते. इस बार भी वो बीजेपी के उम्मीदवार हैं.सपा ने गोरखुपर सीट जीतने के लिए पिछले सात चुनाव में पांच बार निषाद उम्मीदवार उतारे हैं. लेकिन उसे 2018 के उपचुनाव को छोड़कर कभी जीत नसीब नहीं हुई.जब सपा उम्मीदवार प्रवीण कुमार निषाद जीते थे, वे बाद में बीजेपी के साथ चले गए.इस बार भी सपा ने रवि किशन के खिलाफ काजल निषाद नाम की एक अभिनेत्री को खड़ा किया है.वो सपा के टिकट पर विधानसभा और नगर निगम महापौर का चुनाव हार चुकी हैं.

गोरखपुर में चुनाव प्रचार करते अखिलेश यादल और प्रियंका गांधी वाड्रा.

बीजेपी के सहयोगी दलों की प्रतिष्ठा दांव पर

पूर्वांचल की लड़ाई देश के अन्य हिस्सों की तुलना में जाति पर अधिक आधारित है. इसलिए राजनीतिक दल टिकट देते समय जातीय समिकरणों का अधिक ध्यान रखते हैं.पूर्वांचल की अधिकांश सीटों पर पिछड़ी जातियों की संख्या अधिक है.इन जातियों की राजनीति करने वाली सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल जैसे दलों का आधार भी यूपी के इस इलाके में ही है.इस बार ये तीनों दल बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. 

सुभासपा घोसी से मैदान में है.वहां उसके उम्मीदवार अरविंद राजभर को सपा के राजीव राय से कड़ी चुनौती दे रहे हैं.वहीं निषाद पार्टी को संतकबीर नगर सीट मिली है. वहां से पार्टी प्रमुख के बेटे प्रवीण कुमार निषाद बीजेपी के सिबंल पर चुनाव मैदान में है. सपा ने पप्पू निषाद को मैदान में उतारा है.निषाद वोटों के बंटवारे की वजह से सपा की लड़ाई वहां कमजोर मानी जा रही है.

अनुप्रिया पटेल के सामने क्या है चुनौती

अपना दल (एस) मिर्जापुर और  रॉबर्ट्सगंज में चुनाव लड़ी रही है.अपना दल ने ये दोनों सीटें पिछले चुनाव में भी जीती थीं. पार्टी प्रमुख अनुप्रिया मिर्जापुर से मैदान में हैं.वहां सपा ने उनके खिलाफ भदोही से बीजेपी सांसद रमेश बिंद को उतारा है.बिंद का टिकट बीजेपी ने काट दिया था.वो अनुप्रिया के सामने कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं.वहीं बसपा ने मनीष तिवारी को टिकट देकर बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है.

वहीं अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रॉबर्ट्सगंज से अपना दल (एस) ने अपने सांसद का टिकट काट दिया है.वहां पिछली बार पकौड़ी लाल कोल जीते थे. इस बार उनका टिकट काटकर उनकी बहू रिंकी कोल को दिया गया है.रिंकी मिर्जापुर की छानबे सीट से अपना दल (एस) की विधायक हैं. उनके खिलाफ सपा ने पूर्व सांसद छोटे लाल खरवार को उम्मीदवार बनाया है.इस सीट पर अपना दल (एस) को एंटी इंनकंबेंसी का सामना करना पड़ सकता है.

वाराणसी में अजय राय के समर्थन में रोड शो करतीं प्रियंका गांधी और डिंपल यादव.

पूर्वांचल का भूगोल

पूर्वांचल उत्तर प्रदेश के 17 जिलों को मिलाकर बनता है.ये जिले हैं, गोंडा, वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, गाजीपुर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ, महाराजगंज, बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, बलिया और सोनभद्र.इनमें लोकसभा की 21 सीटें आती हैं. 

पूर्वी उत्तर प्रदेश की इन 21 में से आठ सीटों डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीर नगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर और भदोही में छठे चरण में मतदान हो चुका है.वहीं चुनाव के अंतिम चरण में 1 जून को 13 सीटों महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और  रॉबर्ट्सगंज में मतदान कराया जाएगा. 

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