सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का राजा भैया से जुड़ा ये वाकया राजनीतिक जगत के गलियारों में काफी सुर्खियों में रहा है कि कैसे उनकी वजह से वे अपने जुड़वां बच्चों की शक्ल पहली बार देख पाए थे.
बात साल 2002 की है. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का बंटवारा हो चुका था. उत्तराखंड (Uttarakhand) अलग राज्य बन चुका था और अब यूपी के हिस्से में मात्र 403 विधान सभा सीटें रह गई थीं. जब राज्य में 14वीं विधान सभा के लिए चुनाव (UP Assembly Polls) हुए तो परिणाम त्रिशंकु आए और राज्य में 8 मार्च से 3 मई तक राष्ट्रपति शासन (President Rule) लगाना पड़ा. इन चुनावों में 143 सीटें जीतकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन सरकार बनी 98 सीट जीतने वाली बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) की. मायावती (Mayawati) 3 मई, 2002 को तीसरी बार बीजेपी (BJP) के सहयोग से राज्य की मुख्यमंत्री (Chief Minister) बनी थीं.
तत्कालीन यूपी बीजेपी अध्यक्ष कलराज मिश्र इस्तीफा देकर मायावती मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बने थे. उनके साथ बीजेपी के लालजी टंडन, ओमप्रकाश सिंह और हुकुम सिंह भी कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे. तब विनय कटियार को यूपी का बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया था. इस सरकार का बचाव करते हुए तब विनय कटियार ने कहा था 'हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश है'.
मायावती के साथ पहले भी दो सरकारों में बीजेपी असहज रही थी. इस बार भी गाड़ी पटरी पर हिचकोले ले रही थी, तभी मायावती ने बीजेपी विधायक पूरण सिंह बुंदेला की शिकायत पर 2 नवंबर, 2002 को तड़के सुबह करीब 4 बजे प्रतापगढ़ जिले के कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को आतंकवाद निरोधक अधिनियम (POTA) के तहत गिरफ्तार करवाकर जेल में डलवा दिया. राजा भैया के साथ उनके पिता उदय प्रताप सिंह और चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को भी अपहरण और धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था.
मायावती ने इन विवादों के बीच प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर जगमोहन से इस्तीफे की मांग कर दी. इससे बीजेपी और मायावती में रिश्ते और बिगड़ गए. आखिरकार 26 अगस्त 2003 को मायावती ने कैबिनेट मीटिंग कर विधान सभा को भंग करने की सिफारिश राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री से करते हुए अपना इस्तीफा सौंप दिया. इन सबके बीच लालजी टंडन ने आनन-फानन में राजभवन पहुंचकर बसपा से समर्थन वापसी का पत्र गवर्नर को सौंप दिया. राज्यपाल ने इस आधार पर कि मुख्यमंत्री का पत्र मिलने से पहले समर्थन वापसी की चिट्ठी मिल गई, विधानसभा भंग नहीं की.
इसके बाद बीजेपी ने अपने सियासी धुर विरोधी मुलायम सिंह यादव की मदद की और समाजवादी पार्टी के मुखिया ने उसी दिन सरकार बनाने का अपना दावा पेश कर दिया. इस बीच बसपा के 13 विधायकों ने मुलायम सिंह को समर्थन देने का ऐलान करते हुए गवर्नर को इसकी चिट्ठी सौंप दी. मायावती उनके खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के पास चली गईं और दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग करने लगीं लेकिन बीजेपी से संबबंध रखने वाले विधान सभा अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया.
इस बीच, राजनीतिक तिकड़म के धुरंधर मुलायम सिंह यादव ने 16 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल कर लिया. बाद में उन्हें रालोद के अजीत सिंह ने भी अपने 14 विधायकों का समर्थन दिया. कांग्रेस के 25 विधायक भी मुलायम सिंह के समर्थन में आ गए और इस तरह 29 अगस्त 2003 को मुलायम सिंह यादव तीसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बने थे.
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के आधे घंटे के अंदर ही मुलायम सिंह यादव ने राजा भैया पर से पोटा के तहत सभी मुकदमे खारिज करने का आदेश दिया था. बाद में मुलायम सिंह की सरकार में राजा भैया को खाद्य मंत्री भी बनाया गया था. जब पोटा एक्ट के तहत राजा भैया 10 महीने तक जेल में बंद थे, उसी बीच उनकी पत्नी भानवी ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था लेकिन वो उसे देख नहीं पाए थे. पोटा एक्ट हटने के बाद राजा भैया को जेल से लखनऊ के सिविल हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया था. इसी बीच रास्ते में उन्होंने पहली बार अपने जुड़वां बेटों का मुंह देखा था.