नीतीशे कुमार हैं... बिहार में 'कमजोर कड़ी' साबित हो रही ट्रंप कार्ड, टारगेट पर लगे JDU के तीर

नीतीश कुमार ने एक बार फिर से साबित किया है कि बिहार में कोई है वो सिर्फ 'नीतीशे कुमार हैं'. बिहार में आज भी ये बात सच होती दिख रही है कि नीतीश कुमार जिस पक्ष में होते हैं पलड़ा उसी का भारी होता है.

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नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव को लेकर वोटों की गिनती (Lok Sabha Election Result 2024) लगातार जारी है. रुझानों के मुताबिक, जहां NDA 300 के आसपास दिख रही है. वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन 230 के पार सीटें लाता दिख रहा है. बीजेपी और एनडीए के लिए ये नतीजे बेहद चौंकाने वाले हैं. उत्तर प्रदेश में जहां बीजेपी को बड़ा नुकसान होता दिख रहा है. वहीं बिहार में भी बीजेपी 2019 के मुकाबले पिछड़ गई है, हालांकि जेडीयू ने वहां एनडीए की लाज बचाई है. जेडीयू को एनडीए के साथ लाना बीजेपी के लिए नीतीश कुमार ट्रंप कार्ड साबित हो रहे हैं.

बिहार में एनडीए गठबंधन में बीजेपी की सीटें फंस गई हैं. जेडीयू जहां लड़े 16 में से 15 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं बीजेपी सिर्फ 9 सीटों पर बढ़त बनाती दिख रही है. बीजेपी ने बिहार में 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था. चिराग पासवान की पार्टी अपनी सभी पांचों सीटों पर लीड कर रही है. 2019 के इलेक्शन में बीजेपी ने 17 सीटें और जेडीयू ने 16 सीटों पर जीत हासिल की थी.

2024 लोकसभा चुनाव से लगभग डेढ़ साल पहले विपक्ष ने बीजेपी औऱ नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक गठबंधन बनाया और नीतीश कुमार उसके सूत्रधार थे. उन्होंने कई राज्यों का दौरा किया और कई विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं के साथ मुलाकात कर उन्हें गठबंधन के साथ जुड़ने के लिए राजी किया. ओडिशा में नवीन पटनायक को छोड़ दें तो लगभग सभी दल जिनसे नीतीश कुमार ने मुलाकात की वो विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल हो गए.

लेकिन चुनाव से एन वक्त पहले नीतीश विपक्षी इंडिया गठबंधन में नाराजगी जताकर एनडीए के साथ हो लिए. उस समय उनकी काफी आलोचना भी की गई, कि जिन्होंने सभी दलों को जोड़ा, जिन्होंने सत्ता और नरेंद्र मोदी के खिलाफ हुंकार भरी आज वो ही एनडीए की गोद में बैठ गए. ऐसे में बिहार में कई बार गठबंधन बदलने के बाद नीतीश कुमार के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के साथ जाने को नीतीश कुमार की साख से जोड़ा जाने लगा.

कहते हैं ना कि नीतीश कुमार कभी कच्ची गोलियां नहीं खेलते. शायद यही वजह है कि पिछले 19 साल से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने हुए हैं. नीतीश कुमार काफी अनुभवी नेता हैं, लंबी राजनीतिक जीवन में उन्होंने ऐसे कई कठिन दौर और उलटफेर देखे हैं. ऐसे में वो समझते हैं कि कब, कैसे और कहां कौन सी बाजी खेलनी है.

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बिहार में सिर्फ 'नीतीशे कुमार हैं'

चुनाव से पहले बीजेपी ने जेडीयू से संपर्क किया या जेडीयू ने बीजेपी से, ये बीती बात हो गई, लेकिन आज की हकीकत ये है कि नीतीश कुमार ने एक बार फिर से साबित किया है कि बिहार में कोई है वो 'नीतीशे कुमार हैं'. बिहार में आज भी ये बात सच होती दिख रही है कि नीतीश कुमार जिस पक्ष में होते हैं पलड़ा उसी का भारी होता है.
 

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