Bihar Election Results 2024: चिराग पासवान के चेहरे का ये रंग कुछ कहता है, पीएम मोदी के हनुमान ने लगाई 'लंबी' छलांग

Bihar Election Results 2024: लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने बिहार की जितनी सीटों पर उम्मीदवार उतारा उनमें से सभी सीटों पर अभी तक उनके उम्मीदवार जीत रहे हैं. खुद चिराग पासवान हाजीपुर से जीत रहे हैं.

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Bihar Election Results 2024 : बिहार में लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) इतिहास रचने के बेहद करीब
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव (Bihar Election Results 2024) परिणाम का रुझान अब ये साफ कर रहे हैं कि इस बार भारतीय जनता पार्टी और एनडीए गठबंधन को जितने सीटों की उम्मीद थी वो उसे हासिल नहीं कर पाएंगे. बिहार और उत्तर प्रदेश में एनडीए के हाथ से कई सीटें निकलते भी दिख रही हैं. लेकिन एनडीए के घटक दल लोकजन शक्ति पार्टी (रामविलास) के लिए आम चुनाव 2024 एक वरदान की तरह साबित हुआ है. आपको बता दें कि लोकजनशक्ति पार्टी  के नेता चिराग पासवान को पीएम मोदी का हनुमान भी कहकर बुलाया जाता है. इस बार के चुनाव में चिराग की पार्टी ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है वो उन्हें मिली उपाधि को सही साबित करता है. 

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आपको बता दें कि बिहार में एनडीए गठबंधन के तहत लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) को कुल पांच सीटों पर ही उम्मीदवार उतारने का मौका मिला था. ये सीटें थीं हाजीपुर- जहां से खुद चिराग पासवान चुनाव लड़ रहे हैं औऱ बड़े अंतर से जीत की ओर भी बढ़ रहे हैं, दूसरी सीट है वैशाली- यहां से वीणा देवी बड़े अंतर से आगे चल रही हैं. तीसरी सीट जमुई - यहां से अर्चना कुमारी बड़े अंतर से आगे चल रही हैं. चौथी सीट है समस्तीपुर यहां से शामभवी आगे चल रही हैं. और पांचवीं और आखिरी सीट है खगड़िया. इस सीट से लोकजनशक्ति पार्टी के राजेश वर्मा आगे चल रहे हैं. 

लोकजनशक्ति पार्टी के इस शानदार प्रदर्शन के बाद चिराग पासवान मीडिया के सामने आए. उनके चेहरे पर जीत की खुशी और गुलाल दिख रहा था. उनके चेहरे पर एक ऐसी खुशी थी, मानों उन्हें लग रहा हो कि वह अब किसी के भरोसे पर पूरी तरह से खड़े उतर चुके हैं.  

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चिराग पासवान के लिए ये जीत इसलिए भी खास है क्योंकि पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद जिस तरह से अपने चाचा से उनके राजनीतिक मतभेद बढ़े और एक समय पर उनके पिता द्वारा खड़ी की गई पार्टी का कंट्रोल ही उनके पास से छीन लिया गया था वो बेहद हैरान करने वाला था. लेकिन इन सब के बावजूद भी चिराग पासवान ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपने बल पर अपने गुट के लोगों को एकजुट किया और पार्टी कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर तैयार किया. चुनाव से ठीक पहले उन्होंने अपनी उन कमियों पर भी काम किया जिसकी वजह से पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर खड़ा किया जा सके. 

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