दो दशक बाद दोबारा चुनाव जीतने वाले लोकसभा अध्यक्ष बने ओम बिरला

ओम बिरला के नाम एक और भी रिकॉर्ड दर्ज हो गया है, जिसके टूटने की हाल-फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. ये रिकार्ड है उनके द्वारा संसद के पुराने और नये भवन में लोकसभा की अध्यक्षता करने का.

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नई दिल्ली:

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राजस्थान के कोटा लोकसभा सीट से 41,139 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की. इसके साथ ही ओम बिरला ने एक मिथक को तोड़ दिया. वो दो दशक बाद दोबारा चुनाव जीतने वाले लोकसभा अध्यक्ष बन गए हैं. 1999 के बाद कोई भी लोकसभा अध्यक्ष दोबारा चुनाव जीतकर सदन में नहीं पहुंचा था. बिरला ने इस बार जीत की हैट्रिक लगाई है. 

लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित होने वाले अंतिम लोकसभा अध्यक्ष पी.ए. संगमा थे, जो 1996 से 1998 तक 11वीं लोकसभा के पीठासीन अधिकारी थे. उस समय कांग्रेस के सदस्य रहे संगमा 1998 के लोकसभा चुनाव में मेघालय के तुरा से दोबारा निर्वाचित हुए थे.

जीएमसी बालयोगी
अक्टूबर 1999 में जब देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी. तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेता जीएमसी बालयोगी को लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया. 3 मार्च, 2002 को एक हेलिकॉप्टर हादसे में उनका निधन हो गया.

मनोहर जोशी
जीएमसी बालयोगी के निधन के बाद अटल वाजपेयी की सरकार में शिवसेना नेता मनोहर जोशी को स्पीकर चुना गया, लेकिन जब 2004 में लोकसभा सभा के चुनाव हुए तो, जोशी मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से अपना चुनाव हार गए. इसके कारण भी वो संसद नहीं पहुंच पाए.

सोमनाथ चटर्जी
साल 2004 में यूपीए की सरकार बनी. इसमें डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. इस बार सीपीएम के नेता सोमनाथ चटर्जी को लोकसभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. लोकसभा अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति को अलविदा कह दिया और 2009 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा.

मीरा कुमार
2009 में मीरा कुमार को लोकसभा की स्पीकर बनीं, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और वो संसद नहीं पहुंच सकीं.

सुमित्रा महाजन
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला. इंदौर लोकसभा सीट से लगातार 8 बार चुनाव जीतने वाली सुमित्रा महाजन को स्पीकर बनाया गया, लेकिन, 2019 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट ही नहीं दिया.

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ओम बिरला के नाम एक और भी रिकॉर्ड दर्ज हो गया है, जिसके टूटने की हाल-फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. ये रिकार्ड है उनके द्वारा संसद के पुराने और नये भवन में लोकसभा की अध्यक्षता करने का. सत्रहवीं लोकसभा में उनके अध्यक्ष रहने के दौरान दिसंबर 2023 में लोकसभा से बड़ी संख्या में सांसदों को निलंबित किए जाने के कारण भी उनका कार्यकाल सुर्खियों में रहा था. इस दौरान ही 2023 में नई संसद का उद्घाटन हुआ और नए लोकसभा कक्ष में बिरला ने अध्यक्ष के रूप में लोकसभा की कार्यवाही का संचालन किया.

बिरला को पर्दे के पीछे रहकर संगठन के लिए काम करने वाला नेता माना जाता है. भाजपा की युवा शाखा के लिए उन्होंने सालों साल काम किया और इस दौरान भाजपा के आम कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेताओं के संपर्क में आए. इनमें तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं. यही कारण है कि शाह व मोदी ने जून 2019 में सबको चौंकाते हुए लोकसभा अध्यक्ष के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया.

Photo Credit: ANI

लोकसभा अध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले बिरला राजस्थान मूल के पहले राजनेता हैं. इससे पहले बलराम जाखड़ 1980 से 1989 तक इस पद पर रहे, जो 1980 में पहले फिरोजपुर और बाद में 1984 में राजस्थान के सीकर से सांसद थे.

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राजनीतिक जानकारों के अनुसार बिरला छात्र जीवन से ही संघ से जुड़ गए. इसके बाद वह भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े रहे और जिला व राज्य स्तर पर उसकी अगुवाई की. बिरला ने 2003 में विधानसभा चुनाव में कोटा दक्षिण सीट पर कांग्रेस के दिग्गज शांति धारीवाल को हराकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा. वो लगातार तीन बार विधायक रहे.

इस दौरान भारतीय जनता पार्टी में बिरला का कद लगातार मजबूत हुआ. 2014 के आम चुनाव में पार्टी ने उन्हें कोटा सीट से लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया. बिरला ने मौजूदा सांसद इज्यराज सिंह को हराया. वहीं 2019 के आम चुनाव में बिरला ने कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 279677 मतों से हराया.

दस्तावेजों के अनुसार बिरला का जन्म 23 नवंबर 1962 को हुआ. उनके पिता उस समय श्रीकृष्ण सरकारी सेवा में थे तो मां शकुंतला घर संभालती थीं. 62 वर्षीय बिरला के लिए कोटा जन्मभूमि व कर्मभूमि दोनों रही है. उन्होंने स्कूली शिक्षा कोटा के गुमानपुरा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से की और उसके बाद बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से बीकॉम व एम कॉम किया. उनकी शादी अमिता से हुई और उनकी दो बेटियां अंजली, आकांक्षा हैं. अमिता पेशे से सरकारी चिकित्सक हैं.

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