Lok Sabha Election 2024 Phase 1: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में इन दिग्गज नेताओं की साख दाव पर

Lok Sabha Election Phase 1 Voting: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में जिन महत्वपूर्ण सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें नागपुर, कन्याकुमारी, चेन्नई सेंट्रल, मुज्जफनगर, सहारनपुर, कैराना,पीलीभीत, डिबरुगढ़, जोरहट, जयपुर, छिंदवाड़ा, जमुई, बस्तर, नैनीताल व लक्षद्वीप आदि शामिल हैं.

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Indian General Election 2024 Phase 1: पहले चरण का मतदान शुरू

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के लिए पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल यानी आज हो रहा है. इसके लिए 102 सीटों पर चुनाव प्रचार बुधवार शाम समाप्त हो गया. पहले चरण में जिन महत्वपूर्ण सीटों पर चुनाव हो रहा है उनमें नागपुर, कन्याकुमारी, चेन्नई सेंट्रल, मुज्जफनगर, सहारनपुर, कैराना,पीलीभीत, डिबरुगढ़, जोरहट, जयपुर, छिंदवाड़ा, जमुई, बस्तर, नैनीताल व लक्षद्वीप आदि शामिल हैं. 18वीं लोकसभा के लिए हो रहे यह चुनाव सात चरणों में संपन्न होने हैं. पहले चरण के तहत देश के 21 राज्यों और केंद्रीय शासित प्रदेशों में वोट डाले जा रहे हैं. जिसके तहत 102 सीटों पर मतदान शुरू हो चुका है. पहले चरण में आठ केंद्रीय मंत्री, दो पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व राज्यपाल चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

पहले चरण में कौन सी लोकसभा सीट से किस बडे़ नेताओं की साख दांव पर लगी

बीकानेर, राजस्थान

राजस्थान का बीकानेर, जो कभी कांग्रेस का गढ़ था, 2004 से भाजपा का गढ़ बन गया है. कल, मौजूदा सांसद, भाजपा के अर्जुन राम मेघवाल चौथी बार कांग्रेस के गोविंद राम मेघवाल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.  इस बार यहां कांग्रेस जीत की उम्मीद कर रही है. भाजपा सांसद ने 2009 से लगातार चार बार सीट जीती है. 

चेन्नई सेंट्रल, तमिलनाडु

तमिलनाडु के 39 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक, चेन्नई सेंट्रल, DMK का गढ़ रहा है, जिसे बचाने के लिए फिर से दयानिधि मारन मैदान में हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विनोज पी. सेल्वम से चुनौती मिल रही है. भाजपा उम्मीदवार 2021 में हार्बर विधानसभा क्षेत्र में डीएमके के पीके शेखर बाबू से हार गए थे.

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छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा ही कांग्रेस का एकमात्र गढ़ है, यह सीट 44 साल तक कमल नाथ के परिवार का गढ़ रही है. इस बार, कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ भाजपा के विवेक बंटी साहू के खिलाफ अपने पिता की सीट का बचाव कर रहे हैं. 

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डिब्रूगढ़, असम

असम के 14 निर्वाचन क्षेत्रों में से डिब्रूगढ़ सबसे चर्चित सीटों में से एक है. यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और असम जातीय परिषद के लुरिनज्योति के बीच चुनावी जंग है. 

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जमुई, बिहार

बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक जमुई में राष्ट्रीय जनता दल की अर्चना रविदास और एनडीए के अरुण भारती के बीच लड़ाई है. भारती लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान के बहनोई हैं, जिन्होंने पिछली बार यह सीट जीती थी. 

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जोरहाट, असम

असम की 14 लोकसभा सीटों में से जोरहाट पर भी लोगों की नजरें टिकी है, क्योंकि तीन बार के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बेटे गौरव गोगोई इस सीट को भाजपा से वापस छीनने की कोशिश कर रहे हैं. ये सीट दोनों पार्टियों के लिए यह प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है. जोरहाट वही जगह है जहां से 1970 के दशक में तरूण गोगोई दो बार जीते थे. 1991 से 2014 तक, यह सीट कांग्रेस के बिजॉय कृष्ण हांडिक की थी, जो छह बार विधायक रहे, 2014 में भाजपा ने इस पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया. गौरव गोगोई के प्रतिद्वंद्वी मौजूदा सांसद टोपोन कुमार गोगोई हैं. 

नागौर, राजस्थान

राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से एक, नागौर में भी करीबी मुकाबले की उम्मीद है. इस बार चर्चा कांग्रेस से भाजपा में आईं डॉ. ज्योति मिर्धा और इंडिया गठबंधन से मैदान में उतरे हनुमान बेनीवाल के मुकाबले की है. प्रचार अभियान के दौरान दोनों नेताओं की बयानबाजी सुर्खियां बनी. किसी समय कांग्रेस का किला रहा नागौर 10 साल से कांग्रेस से दूर है.

नागपुर, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के नागपुर में नितिन गडकरी तीसरी बार सीट बचाने की कवायद में लगे हैं. वहीं कांग्रेस ने शहर के पूर्व मेयर और नागपुर पश्चिम के मौजूदा विधायक विकास ठाकरे पर भरोसा जताया है.

उधमपुर, जम्मू और कश्मीर

कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 370 प्रमुख मुद्दा है, वहीं जम्मू क्षेत्र के उधमपुर में राजपूतों का वर्चस्व है. कश्मीर की तरह, धारा 370 यहां एक मुद्दा है लेकिन बेरोजगारी और विकास जैसे मुद्दे हिंदू-बहुल क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं. ऐसे में लड़ाई कठिन होने की उम्मीद है, क्योंकि कांग्रेस के चौधरी लाल सिंह दो बार के विजेता और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को चुनौती दे रहे हैं. जबकि गुलाम नबी आजाद की डीपीएपी (डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी) ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री जीएम सरूरी को मैदान में उतारा है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

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