ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में लॉजिस्टिक्स प्रबंधन बना निर्णायक कारक: रक्षा मंत्री

राजनाथ सिंह ने कहा कि लॉजिस्टिक्स को केवल सामान की आपूर्ति भर न समझा जाए, बल्कि इसे रणनीतिक दृष्टि से देखा जाए. “चाहे सीमाओं पर तैनात सैनिक हों या आपदा राहत में जुटे कर्मी — बिना संसाधनों के उचित प्रबंधन के, सबसे प्रबल इच्छाशक्ति भी असफल हो सकती है.

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  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर में लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट की सफलता को युद्ध जीतने में निर्णायक बताया
  • उन्होंने लॉजिस्टिक्स को केवल सामान आपूर्ति नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया
  • भारत की सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए समय पर संसाधन उपलब्ध कराना लॉजिस्टिक्स का मुख्य लक्ष्य है
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नई दिल्ली:

“चाहे युद्ध हो, आपदा या वैश्विक महामारी — मजबूत लॉजिस्टिक्स श्रृंखला वाले राष्ट्र ही सबसे स्थिर, सुरक्षित और सक्षम होते हैं”. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर में पूरी दुनिया ने देखा कि विभिन्न एजेंसी ने जिस तरह लॉजिस्टिक मैनेजमेंट कर, हमारी फोर्सेज के मोबिलाइजेशन से लेकर, उनकी जरूरतों के साजो-सामान को उचित समय और उचित जगह पर पहुंचाने में मदद की, वह इस ऑपरेशन की सफलता में, निश्चित ही एक निर्णायक साबित हुआ.

रक्षा मंत्री रविवार को वडोदरा स्थित गति शक्ति विश्वविद्यालय (GSV) के दीक्षांत समारोह को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आज युद्ध केवल हथियारों से नहीं, बल्कि संसाधनों की सटीक और समय पर आपूर्ति से जीते जाते हैं और ऑपरेशन सिंदूर इसका श्रेष्ठ उदाहरण है.

राजनाथ सिंह ने कहा कि लॉजिस्टिक्स को केवल सामान की आपूर्ति भर न समझा जाए, बल्कि इसे रणनीतिक दृष्टि से देखा जाए. “चाहे सीमाओं पर तैनात सैनिक हों या आपदा राहत में जुटे कर्मी — बिना संसाधनों के उचित प्रबंधन के, सबसे प्रबल इच्छाशक्ति भी असफल हो सकती है. लॉजिस्टिक्स वह शक्ति है, जो अव्यवस्था को नियंत्रण में बदलती है. हथियारों से ज्यादा, शक्ति का मूल्यांकन समय पर संसाधन पहुँचाने की क्षमता से होता है.

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राजनाथ सिंह के कहा कि हमारी Army, यानी थलसेना की बात करूं, तो उनके लिए, लॉजिस्टिक का अर्थ होता है कि हथियार, ईंधन, राशन और दवाइयां, दूरदराज के क्षेत्रों तक बिना देरी के पहुंचे. हमारी नेवी के लिए यह ensure करना जरूरी होता है कि शिप्स को पोर्ट्स पर necessary spare parts, fuel और provisions इत्यादि उपलब्ध हों. इसके अलावा हमारी Air force के लिए यह जरूरी होता है, कि जेट्स की उड़ानें बिना किसी बाधा के चालू रहें, जिसमें ग्राउंड सपोर्ट , फ्यूल सप्लाई और इमरजेंसी कोआर्डिनेशन  शामिल हैं. मै भी यह पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि जितनी ज्यादा हमारी लोजिस्टिक्स  मजबूत होंगी, उतनी ज्यादा हमारी सीमाएं भी मजबूत होंगी. जब लद्दाख की ऊंचाइयों में माइनस 30 डिग्री में तैनात जवान को, सर्दियों में विशेष जैकेट समय से मिल जाती है या जब समुद्री सीमा पर गश्त करते युद्धपोत को आवश्यक मेन्टेन्स किट और ईंधन समय से मिलता है, तो यह सिर्फ साजो-सामान की आपूर्ति नहीं होती, यह भरोसे की डोर होती है.

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तभी तो नेपोलियन बोनापार्ट ने किसी समय कहा था, कि “An army marches on its stomach.” यानी सेनाएं केवल हथियारों से नहीं, बल्कि राशन, वस्त्र, दवाइयों, और ईंधन जैसे मूलभूत संसाधनों से चलती हैं. ये तभी संभव है, जब लॉजिस्टिक सिस्टम  मज़बूत, तेज़ और भरोसेमंद हो. कभी-कभी हमारे पास हथियार होते हैं, गोला-बारूद होता है, लेकिन अगर उन्हें सही समय पर, सही स्थान तक नहीं पहुंचाया गया, तो वे निष्क्रिय हो जाते हैं. सैनिकों को भी तभी बल मिलता है, जब उसके पास समय पर आवश्यक सामग्री हो. आज लॉजिस्टिक्स को सिर्फ सामान पहुँचाने की प्रक्रिया के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे एक रणनीतिक महत्व के रूप में देखा जाना चाहिए. चाहे हम सीमा पर लड़ रहे सैनिकों की बात करें, या आपदा प्रबंधन में जुटे कर्मियों की, अगर कोआर्डिनेशन नहीं होगा, अगर रिसोर्सेज का सही कार्यान्वयन नहीं होगा, तो मजबूत से मजबूत इरादे भी कमजोर पड़ जाएंगे. 

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उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की आर्थिक प्रगति में लॉजिस्टिक्स एक मजबूत आधारस्तंभ है, जो उत्पादन से लेकर उपभोग तक हर चरण को जोड़ता है. कोविड महामारी के दौरान लॉजिस्टिक्स के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि उसी के चलते लाखों वैक्सीन, ऑक्सीजन सिलिंडर और चिकित्सकीय दल देश के कोने-कोने में समय पर पहुंच सके.

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रक्षा मंत्री ने पिछले 11 वर्षों में देश में हुए अभूतपूर्व बुनियादी ढांचे के विकास का उल्लेख करते हुए कहा कि यह परिवर्तन नीति सुधारों और मिशन मोड परियोजनाओं के ज़रिए समग्र और समन्वित दृष्टिकोण से संभव हो सका है. इसका प्रभाव केवल भौतिक संपर्क तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे आर्थिक उत्पादकता बढ़ी, लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आई और सेवा वितरण में सुधार हुआ है.

उन्होंने प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान को भविष्य की बुनियाद बताते हुए कहा, “रेलवे, सड़क, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, सार्वजनिक परिवहन और लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर — ये सात स्तंभ मिलकर भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं. गति शक्ति केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी दृष्टिकोण है, जो अत्याधुनिक तकनीक और डेटा-आधारित योजना से देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को भविष्य-उन्मुख बना रहा है.

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य एकीकृत, कुशल और किफायती लॉजिस्टिक्स नेटवर्क विकसित करना है, जो लागत को घटाए और निर्णय प्रक्रिया को डेटा-आधारित बनाए. “हमारा लक्ष्य है कि मौजूदा 13-14% लॉजिस्टिक्स लागत को विकसित देशों के स्तर पर लाया जाए। इससे भारतीय उत्पादों की घरेलू और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होगी. लागत में कमी से सभी क्षेत्रों में दक्षता बढ़ेगी और उद्यमिता को गति मिलेगी.

छात्रों को रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्हें महज़ नौकरी ढूंढने वाला नहीं, बल्कि समस्याओं का समाधान करने वाला बनने की प्रेरणा दी. “भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना है, और उसके लिए हमें स्मार्ट लॉजिस्टिक्स सिस्टम चाहिए. कोई भी देश तब तक विकसित नहीं बन सकता, जब तक वस्तुएं, सेवाएं और लोग तीव्रता और सहजता से न आ-जा सकें.

गति शक्ति विश्वविद्यालय, जिसकी स्थापना 2022 में रेल मंत्रालय के अधीन एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में की गई थी, लॉजिस्टिक्स एवं परिवहन क्षेत्र में विश्वस्तरीय प्रतिभा तैयार करने के उद्देश्य से कार्यरत है.

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