कैंसर ने मां को छीना, अहमदाबाद क्रैश में गई पिता की जान, 18 दिन में अनाथ हुईं दो मासूम बच्चियां

37 साल के अर्जुन अपनी पत्‍नी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए भारत आए थे. पत्‍नी भारती चाहती थीं कि उनकी मृत्यु के बाद की रस्में गुजरात में की जाएं.

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अहमदाबाद:

अहमदाबाद में क्रैश हुई एयर इंडिया की फ्लाइट A171 ने इतने दर्द दिए हैं, कि उन्‍हें भरना या फिर उन पर मरहम लगा पाना शायद ही कभी संभव हो पाएगा.  कुछ ऐसा ही जख्‍म लंदन में अपने पिता का इंतजार कर रही 8 और 4 साल की दो छोटी बहनों को मिला है. ये दोनों बच्चियां सिर्फ 18 दिनों के अंदर अनाथ हो गई हैं. आपका दिल टूट जाएगा जब आपको पता लगेगा कि दोनों की मां का साथ जिंदगी ने 26 मई को लंदन में कैंसर की वजह से साथ छोड़ दिया था. 

पत्‍नी की अंतिम इच्‍छा के लिए आए थे भारत

अभी ये बच्चियां अपनी मां भारती की मौत के गम से उबरी भी नहीं थीं कि अब पिता की जान चली गई. अहमदाबाद में क्रैश हुई फ्लाइट में दोनों ने अपने पिता अर्जुन पटोलिया को भी खो दिया है. 37 साल के अर्जुन अपनी पत्‍नी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए भारत आए थे. पत्‍नी भारती चाहती थीं कि उनकी मृत्यु के बाद की रस्में गुजरात में की जाएं. उन्होंने वडोदरा से 60 किलोमीटर दूर पोइचा के नीलकंठधाम में नर्मदा नदी में उनकी अस्थियां विसर्जित कीं और अमरेली जिले के अपने पैतृक गांव वडिया में. 

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अस्थि विसर्जन के बाद लौट रहे थे लंदन 

अर्जुन लंदन लौट रहे थे तभी किस्मत ने उन्हें एक और क्रूर झटका दिया. उनकी मां सूरत में रहती हैं. अर्जुन के चचेरे भाई संजय ने कहा, 'मेरी भाभी भारती चाहती थीं कि उनका अंतिम संस्कार भारत में ही हो इसलिए अर्जुन उनकी अस्थियां यहां लेकर आए.' संजय का कहना है कि उन्‍होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि कुछ ही दिनों में उन्‍हें अर्जुन का भी अंतिम संस्कार करना पड़ेगा. अर्जुन ने सन् 1990 में अपने पिता को खो दिया था और बचपन से ही उन्‍हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. उन्‍हें मां ने पाल-पोस कर बड़ा किया था. वह कटलरी और घरेलू सामान बेचकर गुजारा करती थीं. 

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17 साल में थे लंदन में 

अर्जुन 20 साल की उम्र में यूके चले गए थे और वहां जाने से उन्‍होंने सूरत के स्वामीनारायण गुरुकुल में कक्षा 12 तक की पढ़ाई की. वह पिछले 17 सालों से लंदन में रह रहे थे. वहां उन्होंने एक फर्नीचर की दुकान चलाई और भारती से मिले जो एक अकाउंटेंट थीं. वहीं पर उन्होंने शादी की और दो बेटियों की परवरिश करते हुए साथ-साथ जीवनयापन किया. भारती कच्छ जिले की रहने वाली थीं और उनका परिवार अब अहमदाबाद में बस गया है. 

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मां ने दिया डीएनए सैंपल 

भारती का अंतिम संस्कार करने के लिए परिवार हाल ही में पिछले रविवार को नर्मदा नदी पर एकत्र हुआ था. लेकिन जैसे ही सबने भारती के जाने के गम के साथ जीने का फैसला किया कि अर्जुन की मौत ने उन्‍हें तोड़कर रख दिया. अर्जुन के छोटे भाई गोपाल, जो लंदन में ही रहते हैं, अब दोनों बच्चों की देखभाल कर रहे हैं. उनकी मां ने उनके शव की पहचान के लिए अपना डीएनए सैंपल दिया है ताकि शव को अंतिम संस्कार के लिए वाडिया लाया जा सके. 

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