आजकल ये खबरें आए दिन आती हैं कि कहीं बिल्डिंग में लिफ्ट फंस गई, कहीं नीचे गिर गई, लोग परेशान हुए, जान जाने तक की खबरें आईं हैं. ये समस्या छोटी-बड़ी हर सोसायटी में बन गई है. करोड़ों रुपये के फ्लैट्स और बड़ी से बड़ी इमारतों में भी ये समस्या क्यों है? किसकी गलती है? लिफ्ट लोगों की सहूलियत के लिए लगाई जाती है. लेकिन अब ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं. जिसमें लिफ्ट की वजह से लोगों की जान पर बन आई है. ताजा मामला ग्रेटर नोएडा का है, जहां अस्पताल में लिफ्ट अटकने से 16 लोगों की जान 30 मिनट तक मुश्किल में फंसी रही.
16 लोग 30 मिनट तक लिफ्ट में फंस रहे
यूपी में ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-1 में यथार्थ सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इस गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है. सोमवार देर रात अस्पताल की लिफ्ट अचानक रुक गई, जिसमें एक बुजुर्ग महिला समेत 16 लोग करीब 30 मिनट तक फंस रहे. इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें फंसे हुए एक युवक ने अपनी आपबीती बयान की है.
पीड़ितों ने आरोप लगाए कि लिफ्ट का ऑटोमैटिक रेस्क्यू डिवाइस यानी ARD सिस्टम फेल हो गया. पीड़ितों की कहना है कि अस्पताल प्रबंधन और सिक्योरिटी की ओर से समय पर कोई मदद नहीं पहुंची. जिस अस्पताल में ये घटना हुई वो एक प्रतिष्ठित मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल है.
खतरे की लिफ्ट!
- लखनऊ: लिफ्ट में फंसकर किशोर की मौत
- हैदराबाद: लिफ्ट में फंसने से 1 साल के मासूम की मौत
- मेरठ: अस्पताल में लिफ्ट गिरने से महिला की मौत
- गुरुग्राम: बेसमेंट में गिरा होटल का लिफ्ट, 5 घायल
- तमिलनाडु: अस्पातल में आग, लिफ्ट में दम घुटने से 6 मौत
- ग्रेटर नोएडा: फ्यूजन होम्स के लिफ्ट में फंसी बच्ची
- पंचकूला: लिफ्ट में फंसे शॉपिंग करने आए लोग
- ग्रेटर नोएडा: ला रेजिडेंशिया सोसायटी में 7 दिन बंद रही लिफ्ट))
पिछले दो दिन में एक और घटना यूपी के गाज़ियाबाद से सामने आई. गाजियाबाद के कौशांबी में मीडिया मजेस्टिक टावर की लिफ्ट में एक बच्चा फंस गया. जैसे ही सोसाइटी के मेंटेनेंस डिपार्टमेंट के कर्मचारियों को इसका पता चला, उन्होंने तुरंत लिफ्ट का दरवाजा खोल बच्चे को बाहर निकाला. सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि बच्चा लिफ्ट में अकेला था. उसने एक के बाद एक कई बटन दबाए. लिफ्ट में अटक जाने के बाद वो डर गया. कुछ देर बाद सिक्योरिटी गार्ड की कड़ी मशक्कत के बाद बच्चे को बाहर निकाला गया.
लिफ्ट में फंसें तो क्या करें?
- शांत रहें, घबराए नहीं
- आपातकालीन बटन दबाएं
- इंटरकॉम का इस्तेमाल करें
- मोबाइल से मदद लें
- दरवाज़ा ज़बरदस्ती खोलने की कोशिश ना करें
- वेंटिलेशन का ध्यान रखें
- परिवार या दोस्तों को सूचित करने की कोशिश करें
- इस्तेमाल से पहले लिफ़्ट ज़रूर जांच लें
यूपी लिफ्ट ऐक्ट 2024
- लिफ्ट हादसों के बाद यूपी सरकार ने किया लागू
- हादसा होने पर बिल्डिंग स्वामी को देनी होगी जानकारी
- 24 घंटे में डीएम, प्राधिकरण, कोतवाली को बताना होगा
- स्थानीय विकास निकायों, प्राधिकरणों कानून लागू करेंगे
- लिफ्ट लगाने वाली कंपनी का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी
- लिफ्टों में ऑटोमैटिक रेस्क्यू डिवाइस ज़रूरी
- सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य
- एनुअल मेंटनेंस कॉन्ट्रैक्ट करना ज़रूरी
- बिल्डर, AOA को लिफ़्ट की नियमित जांच करानी होगी
- जांच की जानकारी प्राधिकरण को देनी होगी
- नियमित आपातकालीन ड्रिल ज़रूरी
- आपातकालीन स्थिति के मद्देनज़र साल में दो मॉक ड्रिल
- लिफ्ट, एस्केलेटर बदलने पर नया रजिस्ट्रेशन
- रजिस्ट्रेशन शुल्क न्यूनतम पांच हज़ार रुपये
- लिफ्ट में ऑपरेटर की तैनाती भी ज़रूरी
- मरम्मत के बाद AMC टीम से प्रमाण पत्र लेना होगा
- सभी लिफ्टों का बीमा होना अनिवार्य है
- दुर्घटना होने पर यात्रियों को सुरक्षा कवर और मुआवज़ा मिले
लिफ्ट में फंसने, गिरने के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ऊंची-ऊंची सोसायटियों में लोगों के लिफ्ट में फंसने की घटनाएं भी आम हो गई हैं. आए दिन लिफ्ट बीच में फंस रही हैं और लोग उनमें फंस रहे हैं.