LIC IPO का आकार घटाकर 3.5% किया गया, 21 हजार करोड़ मिलने का अनुमान: सूत्र

सरकार अब एलआईसी में अपने 3.5 फीसदी शेयरों को 21,000 करोड़ रुपये में बेचेगी, हालांकि ये नियामकीय मंजूरी के तहत होगा. मसौदा में कहा गया था कि सरकार एलआईसी की पांच फीसदी इक्विटी बेचेगी.

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LIC IPO News : एलआईसी आईपीओ का आकार घटाया गया. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

LIC IPO 2022 : भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने अपने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) का आकार घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया है, जो पहले 5 फीसदी था. सूत्रों ने शनिवार को ये जानकारी दी. जबकि मसौदा प्रस्ताव में सरकार ने 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव रखा था. सरकार अब एलआईसी में अपने 3.5 फीसदी शेयरों को 21,000 करोड़ रुपये में बेचेगी, हालांकि ये नियामकीय मंजूरी के तहत होगा. मसौदा में कहा गया था कि सरकार एलआईसी की पांच फीसदी इक्विटी बेचेगी. इसके तहत एलआईसी का बाजार मूल्य 6 लाख करोड़ रुपये आंका गया था.

हालांकि पहले सरकार ने एलआईसी का बाजार वैल्यू करीब 17 लाख करोड़ रुपये आंका था. पिछले कुछ महीनों में निवेशक बहुत जोखिम लेने से बच रहे हैं. रोड शो के बाद हमने महसूस किया कि उच्च मूल्यांकन को सामने रखने का कोई मतलब नहीं है. लिस्टिंग के बाद ज्यादा वैल्यूएशन का पता लगाया जा सकता है. आखिरकार, सरकार अभी भी लगभग 95 प्रतिशत मुद्दे पर कब्जा कर लेगी.

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पिछले कुछ महीनों में निवेशक बहुत जोखिम लेने से बच रहे हैं. रोड शो के बाद हमने महसूस किया कि उच्च मूल्यांकन को सामने रखने का कोई मतलब नहीं है. लिस्टिंग के बाद ज्यादा वैल्यूएशन का पता लगाया जा सकता है. आखिरकार, सरकार अभी भी लगभग 95 प्रतिशत मुद्दे पर कब्जा कर लेगी. एलआईसी का आईपीओ मई के पहले हफ्ते में आने की संभावना है. इनवेस्टमेंट बैंकिंग के सूत्रों ने ये जानकारी दी है. सरकार की प्रारंभिक योजना तो जीवन बीमा निगम को पिछले वित्तीय वर्ष में ही उसे सूचीबद्ध करने की थी, लेकिन रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद बाजार पर असर पड़ा और सरकार को अपनी योजना टालनी पड़ी. 

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66 साल पुरानी कंपनी का अभी तक बीमा क्षेत्र में वर्चस्व रहा है, उसके पास 28 करोड़ से ज्यादा पॉलिसी हैं. वह दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी बीमा कंपनियों में से एक है, यह अनुमान 2020 के आंकड़ों के आधार पर लिया गया है. निवेशकों का कहना है कि घाटे में चल रही सार्वजनिक कंपनियों के अलावा एलआईसी में निवेश से जुड़े ये फैसला सरकार की वित्तीय मांग से जुड़ा हो सकता है. 

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