बीजेपी विरोधी मोर्चे का नेतृत्व मुद्दा नहीं, लोगों को विकल्प देने की जरूरत: शरद पवार

शरद पवार ने कहा कि सरकार ऐसी नीति लाए जिसके तहत हिंसा की घटनाओं में जिन दुकानदारों के प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जाता है, उन्हें मुआवजा दिया जा सके

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नागपुर:

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने आज कहा कि अगले आम चुनाव में संभावित भाजपा विरोधी गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा, इसका कोई मुद्दा नहीं है, लोगों को उनकी इच्छानुसार राजनीतिक विकल्प देने की जरूरत है. अमरावती और महाराष्ट्र के कुछ अन्य स्थानों पर हाल की हिंसा को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिसमें ऐसी घटनाओं के शिकार दुकानदारों और व्यापारियों को मुआवजा दिया जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख के साथ "अन्याय" किया गया. वे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद वर्तमान में न्यायिक हिरासत में जेल में है.

शरद पवार ने नागपुर में विदर्भ चैंबर ऑफ कॉमर्स (एनवीसीसी) के प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद प्रेस से बातचीत की. उन्होंने महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में हाल की हिंसा पर चिंता जताई और कहा कि निर्दोष दुकानदार और व्यापारी हिंसा का शिकार हो जाते हैं और उनकी कोई गलती नहीं होने के बावजूद उन्हें नुकसान होता है.

एनसीपी सुप्रीमो से जब पत्रकारों ने भाजपा विरोधी गठबंधन के संभावित गठन के बारे में पूछा और यह भी प्रश्न किया कि क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उस मोर्चे का नेतृत्व कर सकती हैं, तो उन्होंने कहा कि गठबंधन के मुद्दे पर संसद के आगामी सत्र में चर्चा की जाएगी.

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उन्होंने कहा, 'उस गठबंधन का नेता कौन होगा यह कोई मुद्दा नहीं है. आज एक विकल्प देने की जरूरत है, जो लोग चाहते हैं और हम लोगों की इच्छा को पूरा करने के लिए विभिन्न दलों का समर्थन लेंगे.'

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इस साल जून में पवार ने राष्ट्रीय राजधानी में अपने आवास पर टीएमसी, एसपी, आप, रालोद और वामपंथी दलों सहित आठ विपक्षी दलों के नेताओं की मेजबानी की थी और सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ तीसरे मोर्चे की संभावना के बारे में अटकलों के बीच देश के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की थी. 

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पवार देश के सबसे वरिष्ठ राजनेताओं में से एक हैं और पूरे विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ उनके अच्छे संबंध हैं. उनके प्रयासों के कारण ही वैचारिक रूप से विपरीत शिवसेना और कांग्रेस ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए एनसीपी से हाथ मिलाया.

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त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा, जिसका असर महाराष्ट्र में महसूस किया गया,  का उल्लेख करते हुए पवार ने कहा कि राज्य में जो कुछ नहीं हुआ है, उसके लिए कड़ी प्रतिक्रिया देना अच्छा नहीं है.

उन्होंने कहा कि "सरकार को एक नीति तैयार करने की आवश्यकता है ताकि हिंसा के पीड़ितों की मदद की जा सके. एक ऐसी नीति लाई जानी चाहिए जिसमें निर्दोष छोटे व्यापारियों को कराधान में बदलाव के रूप में या क्षतिपूर्ति के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के माध्यम से उनके नुकसान का मुआवजा दिया जा सके. 

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि अमरावती में जो हुआ वह एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा था. "मैं समझ सकता हूं कि किसी राज्य विशेष में कुछ होता है और उस राज्य में प्रतिक्रिया होती है. लेकिन त्रिपुरा में कुछ हुआ, लेकिन उससे यहां प्रतिक्रिया हुई जो कि अच्छा नहीं है. इसके अलावा कुछ लोगों ने कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश की .. वहां जो हुआ वह सही नहीं है. सरकार को इस मुद्दे को बहुत सख्ती से देखना होगा."

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