ज्ञानवापी मस्ज़िद मामले में हिंदू पक्ष की तरफ़ से आज वाराणसी कोर्ट में एक नई अर्ज़ी दाखिल की गई है. जिसमें मांग की गई है कि हटाए गए कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा द्वारा अकेले ज्ञानवापी मस्ज़िद में 6 और 7 मई को किए गए सर्वे की रिपोर्ट को दाख़िल करने की अनुमति दी जाए. साथ ही कमिश्नर अजय मिश्रा को दोबारा कमीशन में शामिल करने की मांग भी की गई है. इस मामले की सुनवाई चल रही है.
दरअसल कल ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे मामले में वाराणसी की कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्र को हटा दिया था. मिश्र की निष्पक्षता पर सवाल उठने के बाद ये कदम उठाया गया था. इसके साथ ही कोर्ट ने बाकी दो कमिश्नरों को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो दिन की मोहलत भी दे दी थी. कोर्ट ने पाया था कि अजय मिश्र ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के लिए प्राइवेट वीडियोग्राफर रखा था, वे लगातार मीडिया में केस से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात रख रहे थे. जिसके चलते मिश्र को कार्यमुक्त करने का फैसला लिया गया.
पहले कोर्ट ने अकेले अजय मिश्रा को सर्वे करने की ज़िम्मेदारी दी थी. अजय मिश्रा ने दो दिन 6 और 7 मई को अकेले सर्वे की कार्यवाही की थी. बाद में मुस्लिम पक्ष की आपत्ति के बाद कोर्ट ने अजय मिश्रा के साथ विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह को नियुक्त कर सर्वे रिपोर्ट 17 मई को दाखिल करने के आदेश दिए थे.
वहीं कमिश्नर से हटाए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए अजय मिश्र ने कल कहा था, 'मैंने जिन फोटोग्राफर को रखा, उसने धोखा दिया. मैंने जिस पर विश्वास किया, उससे मुझे धोखा मिला, इसमें मैं क्या कर सकता हूं.' हटाए जाने का कारण बताए जाने पर सिंह ने कहा कि मिश्र ने माना कि विशाल सिंह की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई है.' उन्होंने विशाल सिंह से ऐसी उम्मीद नहीं थी. उनकी (विशाल की) शिकायत पर मुझे हटाया गया.'
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