मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने महिला जज (Madhya Pradesh High Court) को उसके बर्थडे पर आपत्तिजनक बधाई संदेश (Advocate send Objectionable Message To Women Judge) भेजने के आऱोप में 4 माह से जेल में बंद वकील को जमानत दे दी दी है. हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान आरोपी वकील की दूसरी जमानत याचिका (Bail petition) 50 हजार रुपये की जमानत और इतनी ही राशि के निजी मुचलके पर मंजूर कर ली. हालांकि सिंगल बेंच ने अपने इस आदेश में स्पष्ट किया कि वह मुकदमे के गुण-दोषों पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है.
हाईकोर्ट ने वकील की जमानत याचिका मंजूर करने के साथ यह शर्त भी लगाई कि अगर उसने महिला जज (Ratlam Women Judge) से संपर्क का कोई भी प्रयास किया तो जमानत आदेश निरस्त माना जाएगा. पुलिस को आरोपी को दोबारा गिरफ्तार करने का अधिकार होगा. हाई कोर्ट से जमानत की गुहार करते वक्त आरोपी वकील की ओर से कहा गया कि मामले में निचली कोर्ट में आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है. लेकिन कोरोना वायरस के कारण अदालत का अंतिम निर्णय आने में काफी वक्त लग सकता है.
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील की ओर से यह भी उल्लेख किया गया कि वह मामले में बिना शर्त माफी मांगता है और वह संबंधित महिला न्यायाधीश से आइंदा न तो कोई संपर्क करेगा, न ही उनकी अदालत में पैरवी करेगा. अधिकारियों ने बताया कि रतलाम के जिला कोर्ट के एक अधिकारी की 8 फरवरी को पेश लिखित शिकायत पर वकील के खिलाफ धोखाधड़ी, दस्तावेजों की जालसाजी की धारा 467 और अन्य धाराओं के साथ ही आईटी ऐक्ट के प्रावधानों के तहत वहां के स्टेशनरोड थाने में केस दर्ज किया गया था.
वकील पर आरोप है कि उसने रतलाम की महिला जज के जन्मदिन के अवसर पर उनके सरकारी ईमेल पर 28 जनवरी को देर रात अशोभनीय बधाई संदेश भेजा, जबकि वह आरोपी को जानती तक नहीं थीं. वकील पर यह आरोप भी है कि उसने महिला जज के फेसबुक खाते से उनकी डीपी डाउनलोड की और जालसाजी के जरिये ग्रीटिंग कार्ड बनाने में इसका दुरुपयोग किया.
इस ग्रीटिंग कार्ड पर कथित रूप से अशोभनीय संदेश लिखकर इसे स्पीड पोस्ट के जरिये उस वक्त महिला जज को भेजा गया जब उनकी अदालत चल रही थी. वकील को इस केस में 9 फरवरी को गिरफ्तार किया गया. रतलाम के एक अपर सेशन जज ने उसकी जमानत याचिका 13 फरवरी को खारिज कर दी थी. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी 27 अप्रैल को आरोपी की पहली जमानत याचिका नामंजूर कर दी थी.