700 शूटर, हाईप्रोफाइल टारगेट, कई देशों में नेटवर्क : जानिए लॉरेंस बिश्नोई जेल से कैसे चला रहा गैंग

पिछले कुछ सालों में बिश्नोई गैंग की आपराधिक गतिविधियां काफी बढ़ी हैं. पंजाबी गायकों और शराब माफियाओं से जबरन वसूली करने से लेकर हाई-प्रोफाइल हत्याएं करने तक, ये गिरोह अपने कारनामों के बाद कुख्यात हो गया है.

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नई दिल्ली:

2022 में पंजाब के मनसा जिले में मशहूर पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की दिनदहाड़े हत्या के बाद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हुई. कुछ सालों बाद, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद कुख्यात बिश्नोई गिरोह एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार भी उसके गैंग के सदस्यों ने मुंबई के अनुभवी राजनेता सिद्दीकी की हत्या की जिम्मेदारी ली है.

66 साल के एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की शनिवार रात मुंबई के बांद्रा पूर्व में उनके विधायक बेटे के दफ्तर के बाहर तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी गई. अपराधियों ने खुद को बिश्नोई गिरोह से होने का दावा किया है. लॉरेंस बिश्नोई फिलहाल गुजरात के साबरमती जेल में बंद है.

बिश्नोई का जेल से बाबा सिद्दीकी हत्याकांड को अंजाम देना, उसके गिरोह के मजबूत नेटवर्क और उसकी आपराधिक दुनिया में गहरी पैठ को दिखाता है. वह जेल में बैठकर न सिर्फ अपना गैंग चला रहा है बल्कि वारदात को अंजाम देने के लिए मजबूत नेटवर्क भी बना लिया है.

कई देशों में फैला है लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह

क्राइम के ग्लोबल ऑपरेशन के साथ, कई महाद्वीपों में फैला बिश्नोई गैंग कोई छोटा-मोटा सिंडिकेट नहीं है. उसका नेटवर्क बहुत विशाल है. ये भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों तक फैला हुआ है. विदेशों में खासकर कनाडा में उसके स्ट्रांग लिंक हैं. यहां अपराध के सिंडिकेट में उसका बराबर का भागीदार गोल्डी बरार भी है. उसके प्रभाव और नेटवर्क का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लॉरेंस बिश्नोई फिलहाल जेल में बंद है, तब भी वो अपने गिरोह को चला रहा है.

जबरन वसूली, हत्या और हथियारों की तस्करी में बिश्नोई गिरोह की भागीदारी पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रही है. ये गैंग मुख्य रूप से हाई-प्रोफाइल टारगेट से पैसे की उगाही करता है, जिसमें पंजाबी गायक, शराब माफिया, प्रमुख व्यवसायी और मशहूर हस्तियां शामिल हैं. इन्हें डराने-धमकाने या मारने के लिए ये लोग पेशेवर निशानेबाजों को शामिल करते हैं.

1993 में पैदा हुआ लॉरेंस बिश्नोई पंजाब के अबोहर के पास धत्तरांवाली गांव का रहने वाला है, जो दिल्ली से लगभग सात घंटे की दूरी पर है. उसके पिता हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल थे. लेकिन लॉरेंस बिश्नोई की महत्वाकांक्षा उसे क्राइम की दुनिया में ले गई. चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय में पढ़ने के दौरान उसका पहली बार संगठित अपराध की दुनिया से परिचय हुआ, उसकी मुलाकात वहां गोल्डी बराड़ से हुई, जो बाद में उसका करीबी सहयोगी बन गया.

कैसे काम करता है लॉरेंस बिश्नोई 

गुजरात की साबरमती जेल हो या दिल्ली की तिहाड़ जेल, लॉरेंस बिश्नोई बातचीत के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता है. पिछले कुछ सालों में इस गैंगस्टर को एक जेल से दूसरी जेल में स्थानांतरित किया जाता रहा है और उसे कारावास में अकेले रखा गया है. इस साल की शुरुआत में सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में लॉरेंस बिश्नोई को कथित तौर पर पाकिस्तान के गैंगस्टर शहजाद भट्टी के साथ बातचीत करते भी देखा गया था.

ऐसे कैदियों के मोबाइल फोन में अक्सर उन लोगों के आईपी पते और जगहों को छिपाने के लिए हाई-एंड वीपीएन नेटवर्क लगे होते हैं. लॉरेंस बिश्नोई भारत और विदेशों में अपने सहयोगियों के साथ बात करने के लिए सिग्नल और टेलीग्राम जैसे ऐप का उपयोग करता है. बिश्नोई गिरोह का जाल कई देशों में फैला हुआ है. खासकर उत्तरी अमेरिका में, लॉरेंस बिश्नोई अक्सर अपने भाई अनमोल और सहयोगियों गोल्डी बराड़ और रोहित गोदारा के संपर्क में रहता है. इस गिरोह की खालिस्तानी आतंकवादियों और उत्तरी अमेरिका में स्थित खालिस्तानी अलगाववादी समूहों के साथ घनिष्ठ दोस्ती है.

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भारत में बिश्नोई गैंग के लगभग 700 शूटर हैं

बताया जाता है कि भारत में इस गिरोह के लगभग 700 शूटर हैं. सूत्रों के मुताबिक, बिश्नोई गैंग स्थानीय गैंगस्टरों के संपर्क में रहता है. ये स्थानीय ग्रुप ही शूटरों को हायर करते हैं, जो हथियारों चलाने में एक्सपर्ट होते हैं और बिश्नोई गिरोह के निर्देश पर किसी भी कॉन्ट्रेक्ट किलिंग की घटना को अंजाम देते हैं. इसके लिए उन्हें पैसे दिए जाते हैं.

नई भर्ती होने वाले शूटर अक्सर गरीब या कम उम्र के लड़के होते हैं, जो जल्दी पैसा कमाने की तलाश में रहते हैं. इन शूटरों को ये भी पता नहीं होता है कि वो किसके लिए काम कर रहे हैं. उन्हें बस जिसको मारना है वो टारगेट दिया जाता है. बिश्नोई गिरोह एक कॉर्पोरेट कंपनी की तरह काम करता है, ठीक उसी तरह जैसे दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी काम करती है.

बिश्नोई गिरोह के पास शार्पशूटर और भारी मात्रा में हथियार के अलावा, अलग-अलग डिवीजन और लोग भी हैं, जो खाना, कानूनी सहायता और सूचना इकट्ठा करने का काम करते हैं.

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लॉरेंस बिश्नोई गैंग के हाई-प्रोफाइल केस

पिछले कुछ सालों में बिश्नोई गैंग की आपराधिक गतिविधियां काफी बढ़ी हैं. पंजाबी गायकों और शराब माफियाओं से जबरन वसूली करने से लेकर हाई-प्रोफाइल हत्याएं करने तक, ये गिरोह अपने कारनामों के बाद कुख्यात हो गया है.

माना जाता है कि जेल के अंदर से भी लॉरेंस बिश्नोई ने गिरोह के संचालन पर पूरा नियंत्रण बनाए रखा था. जेल अधिकारियों को लंबे समय से संदेह है कि लॉरेंस बिश्नोई, देश की हाई सिक्योरिटी के भीतर कैद कई अन्य गिरोह के लीडरों की तरह, तस्करी के मोबाइल फोन और बाहर उसके आदेशों को पूरा करने वाले वफादार सहयोगियों की मदद से अपना आपराधिक साम्राज्य चलाता है. लॉरेंस बिश्नोई कुछ दिन पहले भरतपुर जेल के अंदर मोबाइल फोन के जरिए जबरन वसूली की कोशिश करता हुआ पकड़ा गया था.

लॉरेंस बिश्नोई की सबसे बड़ी साजिशों में से एक काला हिरण के शिकार को लेकर बॉलीवुड स्टार सलमान खान की हत्या की योजना है, क्योंकि काले हिरण को बिश्नोई समुदाय द्वारा पवित्र माना जाता है. इसको लेकर इसी साल 14 अप्रैल को, बाइक सवार दो लोगों ने मुंबई के बांद्रा में सलमान खान के घर के बाहर कई राउंड फायरिंग भी की थी, जिसमें कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी.

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25 लाख में दी गई थी सलमान खान की हत्या की सुपारी!

चार्जशीट के मुताबिक, बिश्नोई गैंग ने एक्टर की हत्या के लिए 25 लाख रुपये की सुपारी दी थी. अगस्त 2023 से अप्रैल 2024 तक कई महीनों में ये योजना बनाई गई थी. जांच से पता चला है कि गैंग का इरादा पाकिस्तान से आधुनिक हथियार हासिल करना था, जिसमें एके-47, एके-92, एम16 राइफल और तुर्की निर्मित जिगाना पिस्तौल शामिल है.

बिश्नोई गिरोह के नेटवर्क में अन्य अपराधियों में कुख्यात गैंगस्टर संदीप उर्फ ​​काला जठेरी भी शामिल है. जठेरी को 2021 में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था.

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