कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को कहा कि सीबीआई अब ''पिंजरे में बंद तोता'' नहीं है और देश की शीर्ष अपराधिक जांच एजेंसी के रूप में अपना कर्तव्य निभा रही है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि एक समय था जब सरकार में बैठे लोग जांच में बाधा पैदा करने का काम करते थे. मंत्री ने यह भी कहा कि अतीत में कुछ अधिकारियों को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, वे चुनौतियां ''अस्तित्व में नहीं हैं.''
रिजिजू ने रविवार को ट्वीट कर कहा, 'सीबीआई अब 'पिंजरे में बंद तोता' नहीं है, बल्कि वास्तव में भारत की शीर्ष आपराधिक जांच एजेंसी के रूप में अपना कर्तव्य निभा रही है.' उन्होंने सीबीआई के जांच अधिकारियों के पहले सम्मेलन में शनिवार को दिए गए अपने संबोधन का एक छोटा वीडियो भी साझा किया.
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रिजिजू ने अपने संबोधन में कहा, 'मुझे अच्छी तरह याद है कि एक समय था, जब सरकार में बैठे लोग कभी-कभी जांच में बाधा बन जाते थे.' उन्होंने कहा कि आज एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो खुद भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में मुख्य भूमिका निभा रहा है.
कानून मंत्री ने कहा, 'मैं उन कठिनाइयों को जानता हूं जब सत्ता में बैठे लोग भ्रष्टाचार में शामिल होते हैं, तब उनका अनुपालन करना मुश्किल होता है... सीबीआई के लिए यह मुश्किल भरा रहा. तब हमने अतीत में न्यायपालिका से कुछ तल्ख टिप्पणियां सुनी हैं. हम अब एक लंबा सफर तय कर चुके हैं.'
उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2013 में कोयला खदान आवंटन मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई को ''पिंजरे में बंद तोता'' करार दिया था. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के स्थापना दिवस पर एक अप्रैल को 19वां डीपी कोहली स्मृति व्याख्यान देते हुए प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा था कि गुजरते समय के साथ कई मामलों को लेकर सीबीआई की कार्रवाई और निष्क्रियता पर सवाल खड़े हुये हैं, जिसके चलते इस जांच एजेंसी की विश्वसनीयता सार्वजनिक जांच के दायरे में आ गई है.
उन्होंने विभिन्न जांच एजेंसियों को एक छत के नीचे लाने के लिए एक स्वतंत्र निकाय बनाने का भी आह्वान किया था.
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