नवंबर में भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश बनने जा रहे न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने लंदन में एक व्याख्यान में कहा कि कानून से बदलाव की आकांक्षाएं होती हैं. नेशनल इंडियन स्टूडेंट्स एंड एल्युमिनाई यूनियन (एनआईएसएयू) ब्रिटेन और एलएसई साउथ एशिया सेंटर के बीच साझेदारी के तहत बुधवार को लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (London School Of Economics) में आयोजित ‘इंडिया ऐट 75' विषयक व्याख्यान आयोजित किया गया. उन्होंने कहा, ‘‘कानून से बदलाव की आकांक्षा होती है और जो जवाब मिलते हैं वे इस पर आधारित होते हैं कि आप विमर्श की रूपरेखा कैसे तय करते हैं.''
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘बाहरी मतभेद कमजोरी नहीं, बल्कि संविधान की ताकत को चिह्नित करते हैं.''न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने एक संवैधानिक ढांचे के भीतर परस्पर विरोधी अधिकारों के अस्तित्व की संभावना पर बात की. उन्होंने समझाया कि कैसे न्यायपालिका संविधान के संबंध में सामान्य अच्छाई के अपने दृष्टिकोण के आधार पर अधिकारों की व्याख्या करती है और जहां राष्ट्रीय पहचानों को एक राष्ट्र के अतीत से पहचाना जा सकता है, वहीं एक संवैधानिक पहचान संतुलन बनाती है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अस्तित्व हमारे जागरुक रहने की क्षमता पर निर्भर करता है.''एनआईएसएयू ब्रिटेन की अध्यक्ष सनम अरोरा ने कहा, ‘‘एलएसई संयोग से इस साल डॉ बी आर आंबेडकर की पीएचडी का शताब्दी वर्ष मना रहा है. इसी जगह एनआईएसएयू का जन्म हुआ था और इस तिहरे अवसर पर हमारे साथ डॉ चंद्रचूड़ की उपस्थिति बड़े सम्मान की बात है.''
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