लिव-इन रिलेशनशिप को शादी के तौर पर मान्यता नहीं देता कानून: केरल HC

पीठ का यह फैसला एक अंतर-धार्मिक जोड़े की अपील पर आया. उक्त जोड़े ने उस परिवार अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसने तलाक के अनुरोध वाली उनकी याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि उनका विवाह विशेष विवाह अधिनियम के तहत नहीं हुआ.

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
प्रतीकात्मक फोटो.
कोच्चि:

केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि कानून ‘लिव-इन रिलेशनशिप' को विवाह के तौर पर मान्यता नहीं देता है, यह ‘पर्सनल लॉ' या धर्मनिरपेक्ष कानूनों के अनुसार होने वाले विवाहों को ही वैध मानता है. न्यायमूर्ति ए. मुहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की पीठ ने कहा कि इसलिए, किसी समझौते के आधार पर एकसाथ रहने वाला जोड़ा न तो विवाह होने का दावा कर सकता और न ही उसके आधार पर तलाक का अनुरोध कर सकता है.

पीठ का यह फैसला एक अंतर-धार्मिक जोड़े की अपील पर आया. उक्त जोड़े ने उस परिवार अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसने तलाक के अनुरोध वाली उनकी याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि उनका विवाह विशेष विवाह अधिनियम के तहत नहीं हुआ.

इस जोड़े में एक हिंदू और दूसरा ईसाई है. जोड़ा एक पंजीकृत सहमति के तहत 2006 से एकसाथ रह रहा था और दोनों का 16 साल का एक बच्चा भी है. चूंकि वे अब अपने रिश्ते को जारी नहीं रखना चाहते थे, उन्होंने तलाक के लिए पारिवार अदालत का रुख किया था.

उच्च न्यायालय ने उनकी अपील का निस्तारण करते हुए कहा, ‘‘कानून ने अभी तक लिव-इन रिलेशनशिप को विवाह के तौर पर मान्यता नहीं दी है. कानून विवाह को तभी मान्यता देता है जब वह पर्सनल कानून के तहत या विशेष विवाह अधिनियम जैसे धर्मनिरपेक्ष कानून के अनुसार होता है.

अदालत ने कहा, ‘‘यदि पक्षकार एक सहमति के आधार पर एकसाथ रहने का फैसला करते हैं, तो यह उन्हें विवाह के रूप में दावा करने और तलाक का दावा करने के योग्य नहीं बनाता.''

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि वर्तमान मामले में, परिवार अदालत के पास तलाक के लिए इस तरह के दावे पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र नहीं था और उसे जोड़े की याचिका खारिज करने के बजाय, उसे यह कहकर वापस कर देना चाहिए था कि यह विचार योग्य नहीं है.

Advertisement

उसने परिवार अदालत को जोड़े की याचिका यह कहते हुए वापस करने का निर्देश दिया कि यह विचार योग्य नहीं है.

पीठ ने कहा, ‘‘पक्षकार को इस मामले में किसी राहत के लिए कहीं और का रुख करने की आजादी होगी. तदनुसार, इस अपील का निस्तारण किया जाता है.''

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
India China Relations: ड्रैगन' की वीज़ा डिप्लोमेसी के क्या मायने? | US Trade War | NDTV India
Topics mentioned in this article